उत्तर प्रदेश का सहारनपुर अशांत क्यों ?

sohanpal singh
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वर्तमान में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जिस प्रकार का माहोल है उसके लिए केवल योगी जी या मोदी जी को दोष देना गलत होगा क्योंकि योगी और मोदी केवल मोहरे है। मोहरों में अपनी कोई ताकत नहीं होती मोहरों को चलाने (खेलने) वाले पर निर्भर होता है की किस मोहरे को कहा और कैसे स्थापित किया जय और किस प्रकार की चाल चली जाय , यह ठीक उसी प्रकार से हो रहा है जैसे सतरंज के खिलाडी खेल खेलते है , ? फर्क यहाँ इतना है कि 2017 में संपन्न हुए विधान सभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने के बाद भी उत्तर प्रदेश की विधान सभा के सदस्य स्वयं अपीने भीतर से किसी एक व्यक्ति को अपना मुखिया नहीं चुन पाये जबकि चुनाव प्रचार के समय एक नहीं कऐ दलितों को भावी मुख्य मंत्री का चेहरा समझ जा रहा था प्रदेश की जनता के द्वारा । लेकिन जैसा होता है आरएसएस ने यहाँ भी खेल को पूरी तरह से खेला प्रयोग के तौर पर हिंदुत्व की एक कट्टर छवि वाले साधुन को जो लोकसभा कअ सअदृश्य था मुख्य मंत्री और दूसरे लोकसभा सदस्य को उप मुख्य मंत्री तथा तीसरे गैर विधायक को दूसरा उप मुख्य मंत्री नियुक्त करवा दिया ? प्रदेश की जनता और , विधान सभा के चुने हुए सदस्यों का इससे अधिक अपमान कोई और हो ही नहीं सकता था ? उत्तर प्रदेश देश का सबसे घनी आबादी का प्रदेश है जिसमे अधिसंख्य आबादी यानी कि लगभग 85 प्रतिशत दलितों और पिछड़ों का प्रदेश है और इनकी अपेक्षा भीं यही है की अपना ही व्यक्ति उनक नेता हों जओ लोकतान्तत्रिक तरीके से चुना हुआ हओ ! लेकिन आरएसएस की मंशा तो कुछ और ही है नए नए प्रयोग करने की ? औए उसी प्रयोग के तौर पर योगी जी को सथापित भी कर दिया ? वैसे यह सब संविधान की आड़ में ही किया है क्योंकि संविधान इसकी इजाजत देता है लेकिन सवाल नैतिकता है ? फिर पार्टी के अंदर का असंतोष और उसी कइ तहत सहारनपुर के स्थानीय सांसद नो जो तांडव एस एस पी की गैर मौजूदगी उसके घर तोड़ फोड़ की अउर दलितों और मुस्लिमो को भीड़वाने का कार्य किया उससे दलित उद्वेलित हो गए और आरएसएस और बीजेपी कि मांस को कुटिल चाल समझ कर स्वयं दलित बेकाबू हो गए गई जिसको एक माह से उपर हो गया हिंसा का तांडव जारी है ? अगर आरम्भ में ही राघव लखन पाल शर्मा पर उचित कार्यवाही की जाती तो आज यइ दिन नहीं देखना पड़ता ? चूँकि योगी जी विगत में कितना ही हिंदुत्व का राग अलापते रहे थे लेकिन आज वह ईमानदारी से प्रदेश का शासन चलाना तो चाहते है लेकिन उनके अपने ही बेकाबू है जो भगवा कपडा गले में डाल कर जो करना चाहे कर रहे है ! अफ़सोस है ऐसे शासन पर ?

SPSingh, Meerut

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