भगवान बना निष्ठुर

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
धरती के भगवान यानी डाक्टर जिसको हम भगवान के बाद दूसरा दर्जा इनको देते, धरती पर यदि इंसान भगवान के बाद किसी के सामने मोत से बचने के लिए गुहार लगाता है तो वह है डाक्टर ।
जहा डाक्टर का नाम आता है वहां आदर जुड़ जाता है ।
लेकिन इस धरती के भगवान के एक साथ आकस्मिक अवकाश पर चले जाने से पूरे राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था का कचूमर निकल गया है । अभी कुछ दिन पहले ही लेब टेक्नीशियन भी हड़ताल पर चले गए थे, तब भी परेशानी हुई थी ।
अब डाक्टर के अवकाश पर चले जाने के पश्चात आवश्यक सेवाओ की व्यवस्था चर मरा गई है आउट डोर की हालात तो भगवान भरोसे है । प्रदेश में जहां एक ओर मौसमी बीमारियों के अलावा स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसी खतरनाक वायरस ने पैर फैलाना शुरू कर दिया है जिस कारण प्रदेश में कई मोते हो चुकी है ।
इतना सब कुछ जानते हुए, समझते हुए, यह बुद्धि जीवी वर्ग इस तरह का फैसला करेगा, जनता ने कभी सोचा भी नही होगा ।
जबकि आज की तारीख में कोई भी सरकारी डाक्टर ऐसा नही होगा जिसको हड़ताल करनी पड़े ओर कोई खास वजह भी नही की अचानक यू यह निर्णय कर सरकार ओर खास कर गरीब आदमी जो प्राइवेट अस्पताल में इलाज का खर्चा वहन नही कर सकता उसकी आस केवल सरकारी अस्पताल और उसकी मुफ्त दवाई पर टिकी हुई है । सबसे ज्यादा मुसीबत तो इसी तबके के मरीजो की है ।
हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने रेशमा कानून लागू कर दिया है । इससे सरकार और डॉक्टर्स के बीच तनाव और बढ़ सकता है, इसी आपसी लड़ाई में कही यह अवकाश लंबा ना खिंच जाए ।
वैसे भी सरकारी अस्पताल में पिछले 5 सालों में कभी भी पूरा स्टाफ नही मिला और जो है उस पर काम का दबावोर डॉक्टर्स की आपसी गुटबाजी हमेशा कोढ़ में खाज का काम करती है । कई बार यह गुटबाजी खुल कर सामने भी आ चुकी है और इसका नुकसान हर हाल में मरीजो को ही उठाना पड़ता है ।
डॉक्टर्स ओर सरकार आपसी समन्वय से काम लेते हुए मरीजो के हित को प्राथमिकता देते हुए समझौता करें और प्रदेश के मरीजो को राहत दिलवाये ।

हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर

error: Content is protected !!