रॉफेल या फेल

sohanpal singh
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यूँ तो हमारे देश में सत्ता परिवर्तन बहुत ही सुगमता और जनतांत्रिक तरीके से हो जाता है लेकिन सरकारें बदलने के बाद आरोप प्रत्यारोप और स्थापित नीतियों मे तक में बदलाव होने लगता है , जिसका फायदा और नुकसान सीधे जनता को झेलना पड़ता है ? लेकिन जब यही बदलाव रक्षा निति और हथियारों की खरीद में होता है तो उसका खमियाजा देश को भुगतना ही होता है ? जैसा की UPA सरकार के समय फ़्रांस से 126 रॉफेल लड़ाकू विमान 526 करोड़ रुपये प्रत्येक विमान के हिसाब से खरीदने का सौदा किया गया था 26 विमान तैयार और बाकी के भारत में ही बनाने की योजना थी , लेकिन जब 2014 में NDA की सरकार यानि मोदी सरकार सत्ता में आई तो उसने बहुत जल्दी में पुराने सौदे को रद्द करके नया सौदा केवल 36 रॉफेल तैयार विमान 1576 करोड़ प्रत्येक विमान के हिसाब से खरीदने का सौदा पक्का हो गया है और एक भारतीय हिस्से दार भी भारत में पैदा हो गया है यानि सरकार तीन गुणी कीमत पर यानि 1050 X 36 = 37800 रुपये अधिक भुगतान करके उन्ही केवल 36 विमान खरीदेगी ? इस लिए सरकार को इस इस सौदे में 37800 करोड़ रुपया अधिक खर्च करके 90 विमान कम खरीदने का स्पष्टीकरण भी जनता को बताना चाहिए ?

S.P.Singh, Meerut

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