राजस्थान के हाल के उपचुनाव में कांग्रेस की जीत में सबसे बडा योगदान राजपूत समाज का

राजेश टंडन एडवोकेट
राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव दोनों ही दलों याने कांग्रेस व भाजपा को देने पडेंगे राजपूत समाज को 30 से 35 विधानसभा क्षैत्रों में अपनी अपनी पार्टी के टिकट , राजपूत समाज भाजपा को कहेगा हमारे बिना कैसे बुरे हारे , और कांग्रेस को कहेगा हमारी वजह से जीते नहीं तो तुम्हारा तो सुपडा ही साफ था , और फिर अभी नहीं तो कभी नहीं इसलिये दोनों ही पार्टियों को झक मरा कर 30 से 35 टिकट तो देने ही पडेंगे अगर राज में आना है तो , अब राजपूतों के योगदान बिना सरकार किसी भी पार्टी की नहीं बन सकती ये तो तय है*

*राजस्थान में जनसंघ से लेकर भाजपा तक के सफर में जितना साथ राजपूतों ने भाजपा का दिया है उतना तो शायद ही किसी समाज ने दिया होगा , वैसे भाजपा को बनिए , बाह्मणों , और राजपूतों तथा सिन्धी व वणिक वर्ग की पार्टी कहा जाता है , पर भाजपा की एक विचित्र विडंबना है वो राज में आते ही शुरू से ही इन चारों वर्गों का सत्यानाश करना शुरू कर देती है और अन्य अवसर वादी समाजों से हाथ मिला लेती है और उन समाजों की पग चंपी में लग जाती है और उन समाजों के अधिकारियों को कर्मचारियों को मलाईदार पोस्टिंग देना शुरु कर देती है*
*और इसीप्रकार मंत्रिमंडल में भी पक्षपातपूर्ण रवैया अपना कर उन अवसरवादी समाज के लोगों को महत्वपूर्ण मंत्रालय दे देती है , वो लोग तो शुरू से ही जिसका राज होता है वो उसके साथ होते हैं वो सही मयानों में R P I के सदस्य होते हैं याने रूलिंग पार्टी ओफ इंडिया के सदस्य*

*अबकी भाजपा के राजपूतों सरदारों ने और रावणा राजपूत सरदारों ने कांग्रेसी मानसिकता के राजपूत सरदारों के साथ मिल कर एक जाजम पर बैठकर , रणनीति बना कर उपचुनाव में राजस्थान में भाजपा को ऐसा सबक सिखाया है की छटी का दूध याद दिला दिया ,और जिसकी गूंज ने दिल्ली दरबार तक को हिला कर रख दिया है ,और अपने वजूद का एहसास करवा कर रख दिया है , दिल्ली से लेकर चोमू तक चिन्तन और चिंता बैठकों का दौर भाजपा में शुरू हो गया है*
*क्योंकि राजस्थान और मध्यप्रदेश में ही कोई रीजनल पार्टियां नहीं हैं और इन दोनों राज्यों मे ही राजपूतों ने भाजपा का भंटाधार कर दिया तो फिर कांग्रेस के लिये दिल्ली दूर नहीं हैं यह बात भाजपा के कर्णधारों को अच्छी तरह पता है , इधर तो संघनिष्ठ नाराज उधर राजपूत समाज नाराज तो फिर ना बाबा जी आवे ना घंटा बाजे* ,

*आपका अपना राजेश टंडन एक नागरिक , अजमेर*

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