राजनीति में कब क्या हो जाय इस बात की भविष्य वाणी कोई नहीं कर सकता ! लेकिन कब कोई राजनेता कितना नीचे गिर जाएगा यह सब को दिखाई देता है ? लोकतंत्र में सत्ता में बने रहने के लिए कभी कभी सांसदों/विधायकों को अपना समर्थक बनाना या उनका समर्थन लेना कोई अपराध नहीं है अगर लोकतांत्रिक तरीके से किया जाय । लेकिन अगर कोई व्हिसिल ब्लोअर जो साधू संत का चोला भी धारण किये हो किसी मुख्य मंत्री की पोल खिलने की तारीख निश्चित करदे और उसके बाद उस व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को राज्य मंत्री के पदलाभ से नवाज दे तो इसको क्या कहेंगे साधू संतो का सम्मान या रिश्वत क्योंकि राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त करने के बाद उस व्यक्ति को लाखों रुपया माहवार का लाभ मिलने लगेगा यानि वह भी उसी भ्रष्ठ प्रणाली का हिस्सा बन जाता है ? विगत में भी हमने देखा की किस प्रकार बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, अरविन्द केजरी वाल किरण बेदी और भी हजारो व्यक्ति भ्रष्टाचार से लड़ने वाले योद्धा का रूपं धारण करके जनता के सामने आये थे और उसी लहर पर सवार हो इसी भ्रष्ट प्रणाली पर बैठ कर नरेंद्र दामोदरदास मोदी भी तेली जाती का लबादा ओढ़ कर जनता के सामने आये थे ।और देश में दस वर्षो के बाद सत्ता का आमूल चूल परिवर्तन हो गया लेकिन देश की जनता ने भ्रष्टाचार से त्रस्त हो कर इन सबका खुले दिल से स्वागत किया और आज सब वर्णित लोग मजे ले रहे है ? लेकिन जनता जहाँ खड़ी थी उसके भी नीचे आ गई है ? हम बात कर रहे हैं मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान की क्या वह उन पांच साधू संतो को राज्य मंत्री बना कर भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो जाएंगे जो उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे ? कैसा लोक तंत्र है ये ।
SPSINGH, MEERUT