शाह ने भी माना कि राजस्थान में ओम नमो के बिना चुनाव जीतना असंभव

भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव जीतना बना प्रतिष्ठा, चमत्कारी चेहरों से उम्मीद
राजस्थान में भाजपा की खस्ता हालत देख राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बेहद परेशान व चिंतित हैं। गत दिनों राजस्थान के कई शहरों का दौरा करने के बाद शाह को अंदाजा हुआ कि राजस्थान में भाजपा की स्थिति बहुत खराब है। ऐसी स्थिति में बिना किसी चमत्कार के राजस्थान में फिर से सरकार बनाना मुश्किल लगता है। यही बात उन्हें कई दिनों से परेशान किये हुए है। शाह ने प्रदेश के दौरे के दौरान यह महसूस किया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से कई वर्ग नाखुश हैं। वैसे राज्य में वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा का जगह जगह हो रहा विरोध देखकर तो हर कोई अंदाजा लगा सकता है कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर चल रही है। वहीं भाजपा का परम्परागत वोटबैंक कहे जाने वाले राजपूत समाज को मनाने में भाजपा की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं। इधर रावणा राजपूत समाज भी कांग्रेस के पक्ष में होने का गत दिनों संकेत दे चुका है। ज्ञात रहे राजपूत व रावणा राजपूत समाज राजस्थान में करीब 30-35 विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं, अगर ये दोनों समाज भाजपा को सबक सिखाने की ठान ले तो उसे भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

तिलक माथुर
इधर शाह भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा की स्थिति को भांप चुके हैं हालांकि उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों व निकाय तथा पंचायत के जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन आयोजित कर कार्यकर्ताओं में फिर से नई ऊर्जा व जान फूंकने की कोशिश की मगर लगता नहीं कि वे इसमें सफल हो पाए। वहीं जानी मानी न्यूज एजेंसियों के सर्वे में भाजपा का स्थिति को कमजोर बताया गया है, जिससे भी भाजपाइयों में निराशा छाई हुई है, कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। राजस्थान में भाजपा का गिरता जनाधार इस बात के संकेत दे रहा है कि राज्य में इस बार उसकी सरकार नहीं बन रही है ये बात शाह अंदर ही अंदर मान रहे हैं, मगर फिर भी भाजपा को अंगद का पैर बताकर भाजपाइयों में जोश भरने व भाजपा की बिगड़ी स्थिति को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। शाह को उनके राजनैतिक सलाहकारों ने पहले ही बता दिया था कि वसुंधरा का चेहरा आगे कर राजस्थान में चुनाव नहीं जीता जा सकता, लेकिन शाह को तब उनकी बात समझ मे नहीं आई और वो एक के बाद एक वसुंधरा राजे की जिद व मनमर्जी पूरे करते रहे। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शाह अपने ही प्यादों से मात खाते दिखाई दे रहे हैं। राजस्थान में संगठनात्मक दृष्टि से भी भाजपा काफी पिछड़ चुकी है पहले अशोक परनामी कुछ न कर पाए और अब नए अध्यक्ष मदनलाल सैनी भी कार्यकर्ताओं में कोई विशेष उत्साह भरते दिखाई नहीं दे रहे हैं। जब तक प्रदेश नेतृत्व कोई चमत्कारी कदम नहीं उठाता तब तक इस चुनावी वैतरणी को पार करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। राज्य में भाजपा की दयनीय हालत को लेकर अमित शाह कोई चमत्कारी चेहरे को कार्यकर्ताओं व आमजन के बीच लाने की रणनीति बना रहे हैं जिसमें आमजन को आकर्षित करने के लिए नरेंद्र मोदी की राज्य में जगह जगह आमसभायें करने की योजना बनाई जा रही है वहीं कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के लिए राजस्थान की राजनीति के माहिर दिग्गज नेता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर को तैयार किया जा रहा है। हालांकि ओम माथुर लंबे अरसे से राजस्थान की राजनीति में दखल नहीं देते जिसकी वजह प्रदेशवासियों को भलीभांति पता है। ज्ञात रहे उन्हें भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाने की कोशिश की गई थी लेकिन वे राजस्थान की बागडोर संभालने के लिए तैयार नहीं थे। अब जब स्थिति बेहद खराब है तो उन्हें राजस्थान में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने व नई ऊर्जा भरने के लिए तैयार किया जा रहा है। शाह ओम माथुर का कार्यकर्ताओं में प्रभाव कई बार देख भी चुके हैं हाल ही में वे उन्हें राज्य के दौरे में साथ लेकर घूम चुके हैं और कार्यकर्ताओं के बीच माथुर का स्नेह देख रहे हैं। खैर अब शाह को भी समझ में आ गया है कि राजस्थान में ओम नमो के बिना चुनाव जीतना सम्भव नहीं !

तिलक माथुर
केकड़ी_राजस्थान

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