जयपुर के पास खाटू श्यामजी में महाभारत के पात्र बर्बरीक का मंदिर है, कथाओं के अनुसार बर्बरीक को वरदान था की वे हारे हुए का साथ दे कर जीत दिलवा सकते थे. शतक कौरवों के खिलाफ वे पांडवो की सहायतार्थ लड़ने के लिए तैयार हो गए. कृष्ण को जब ये पता चला तो उन्होंने बर्बरीक का मस्तक मांग लिया। पांडवो के नाराज़ होने पर कृष्ण ने बताया की पांडव कम हैं इसलिए वे उनका साथ दे रहे हैं लेकिन जब कौरव कमज़ोर होंगे तो वे कौरवों का साथ देंगे और इस तरह सर्व नाश हो जाएगा। वर्तमान में राजस्थान में कई बर्बरीक हैं जो सत्ता का खेल बना सकते हैं.
यदि २०१३ के चुनाव नतीजे देखें जाएं तो ऐसे कई प्रत्याशी हैं जिन्होने मोदी लहर में भी अपनी उपस्थिति दर्ज की.
२०१३ के चुनाव में किरोड़ीलाल मीणा की नेशनल पीपल्स पार्टी, गंगानगर के ग्वार गम उद्योग से सम्बंधित बीडी अग्रवाल की नेशनल यूनियननिस्ट ज़मींदारा पार्टी, बसपा, सीपीआईएम और निर्दलीय ऐसे ही कुछ मठाधीश हैं जो या चुनाव जीते या दूसरे क्रम पर रहे. नेशनल यूनियननिस्ट ज़मींदारा पार्टी के गंगानगर से कामिनी जिंदल और रायसिंहनगर से सोना देवी बावरी चुनाव जीते और अनूपगढ़ से शिमला नायक दूसरे क्रम पर रहीं।
किरोड़ीलाल की नेशनल पीपल्स पार्टी से किरोड़ीलाल स्वयं लालसोट से, उनकी पत्नी गोलमा देवी राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ से चुनाव जीते जबकि थानागाजी से कांतिप्रसाद, नगर से वाजिब अली, बसेड़ी से छीतरिया, टोडाभीम से पृथ्वीराज मीणा, बांदीकुई से शैलेन्द्र जोशी, महवा से गोलमा देवी, सवाईमाधोपुर से किरोड़ीलाल मीणा,पीपल्दा से रामगोपाल बैरवा, बस्सी से निर्दलीय अंजू धानका निर्दलीय जीती और नेशनल पीपल्स पार्टी की अवंति दूसरे क्रम पर रहीं।
बसपा के सादुलपुर से मनोज न्यांगली, धौलपुर से बनवारीलाल कुशवाहा जीते, खेतड़ी से पूरणमल सैनी, फ़जल हुसैन तिजारा से, भरतपुर से दलवीर सिंह और नदबई से घनश्याम बाबा दूसरे नंबर पर रहे.
बयाना से निर्दलीय रितु भानावत, खींवसर से हनुमान बेनीवाल, वल्लभनगर से रणधीर सिंह भीण्डर जीते, फतेहपुर से नंदकिशोर, नवलगढ़ से रजकुमार शर्मा, लूणकरणसर से मानिकचंद सुराणा जीते। मंडावा से रीता चौधरी, पिलानी से जेपी चंदेलिया, नोखा से कन्हैयालाल झंवर, सीकर से वाहिद चौहान निर्दलीय भी अच्छे खासे वोट लेकर हारे।
टोंक से सौद सैदी, नागौर से हरेंद्र मिर्धा, भीम से लक्ष्मण सिंह रावत दूसरे नंबर पर रहे, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ से समाजवादी पार्टी के सूरजभान धानका दूसरे नंबर पर रहे.
भादरा से सीपीआईएम के बलवान पुनिया, धोद से पेमाराम दूसरे नंबर पर रहे.
मांडलगढ़ उपचुनाव में निर्दलीय गोपाल मालवीय दूसरे नंबर पर रहे.
यदि इन व्यक्तियों के बड़ी पार्टियों से संबंधों का ताज़ा विश्लेषण किया जाए तो भाजपा ने निर्दलीय शोभारानी कुशवाह और किरोड़ीलाल मीणा को दल सहित पार्टी में शामिल करके सत्ताविरोधी लहर जीत नहीं तो एक सामरिक बढ़त ज़रूर बनाई है. वहीँ कांग्रेस ने सक्रीयता दिखते हुए सोना बावरी को पार्टी में शामिल कर लिया है. नवीन पिलानिया जैसे नेता भी दूसरी तरफ जाते दिखते हैं.
२०१९ के युद्ध में राजनैतिक बर्बरीक चाहे कमज़ोर का साथ दें लेकिन २०१८ के चुनाव में इनको कमतर आंकना किसी भी दल के लिए आत्मघातक होगा।
लेखक श्री प्रवीन सिंह पस्चिमी राजस्थान के प्रतिष्ठित परिवार से तालुक रखते हे. वर्तमान मे अहमदाबाद मे वकील हे