दल-बदल बनाम अवसरवादी कानून

हेमंत उपाध्याय
आजादी के 72 साल बाद व कई संशोधनों के बाद भी दल-बदल कानून देश हित व मतदाता हित में नहीं होकर, अवसरवादियों के हित व हाथ में आ गया है।जिधर बम उधर हम। जनता कीचड़ में, हमें काहे का गम। प्रदेश दलदल में, हम लगे दल-बदल में। जिनकी तिजोरियों में ज्यादा धन नहीं था उनके पास आज करोड़ों रुपए आ गए। जो गाय-भैंस खरीदने लायक नहीं थे वो आदमी व विधायक खरीद रहे हैं /जनप्रतिनिधि खरीद रहे हैं। एक दुर्जन व्यक्ति आम खरीदने गया।एकआम,दुकान से नीचे ज़मीन पर गिर गया । उस दुर्जन ने उस आम को लेने से मना कर दिया , पर जो विधायक अपनी जनता से धोखा कर रहे हैं, अपने दल व अपने निशान से गद्दारी कर रहे हैं,नैतिकता की दुहाई देने वाले नैतिकरुप से व अपने स्वार्थ के लिए गिरे हुऐ हों, उन्हें भाव देना किसी ज़रूरतमंद ग्राहक की मजबूरी ही हो सकती है। चुनाव के समय लाखों जनता के सामने जिसकी हर बुराई पर प्रकाश डालते हुए ,जिसे तरह -तरह से अनुपयुक्त ,अयोग्य निरूपित किया हो , जलील किया हो वह दल-बदल करने पर एक आदर्श दल की शान और जान बन जाता है । इतना पवित्र तो वो गंगाा स्नान से नहीं होता ।जनता का दर्द ये है कि हमने जिन वादों, दलिलों को सुनकर,जिस उम्मीदवार से उम्मीद कर उसे व उसके निशान को चुना , उसे हमारे साथ न्याय करना चाहिए । यदि वो हमें न्याय नहीं दे सकता हो तो वो त्याग पत्र देकर फिर से चुनाव लड़े । हमारी उम्मीद पर पानी नहीं फेरे । सही माने तो इस कानून को समाप्त कर दे या इस कानून का नाम बदलकर काम के अनुसार “अवसरवादी कानून कर देंं। ”

हेमंत उपाध्याय । व्यंग्यकार . लघुकथाकार
9425086246 7999749125 9424949839
साहित्य कुटीर. पं राम नारायण उपाध्याय क्र 43 खंडवा म.प्र 450001 [email protected]

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