रीट पेपर लीक में उलझा शिक्षा बोर्ड

👉 _*आखिर ऐसी कौनसी मजबूरी रही, जो एक ही दिन में इतनी बड़ी परीक्षा कराई*_
👉 _*क्या चार या पांच दिन दो-दो पारियों में परीक्षा नहीं कराई जा सकती थी*_
👉 _*राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से सीख क्यों नहीं ली*_

✍️ *प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*
राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (राजस्थान एजूकेशन इलिजिबिलिटी टेस्ट यानी रीट-2021) पूरे राजस्थान में 26 सितंबर को दो पारियों में हुई। पहली पारी में लेवल फ़र्स्ट यानी कक्षा 6 से 8 तक के लिए और दूसरी पारी में लेवल सैकण्ड यानी कक्षा 1 से 5 तक के लिए परीक्षा हुई। लेवल फस्र्ट में करीब 16 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। इनमें से ही करीब 10 लाख अभ्यर्थी थे, जो लेवल सैकण्ड की परीक्षा में भी शामिल हुए। इस तरह एक दिन में दो पारियों में करीब 26 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा कराई गई। इस परीक्षा के माध्यम से ही राजस्थान में शिक्षकों के करीब 32 हजार पद मेरिट के आधार पर भरे जाएंगे। परीक्षा कराने के लिए राजस्थान सरकार ने अपने पूरे तामझाम झोंक दिए थे। अभ्यर्थियों को रोडवेज बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा दी गई, तो प्रत्येक केंद्र पर पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त किए गए। इन सबके बावजूद पेपर लीक होने का मामला सामने आ गया। राजस्थान पुलिस की खास विंग स्पेशल आॅपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया। इस गिरोह का मुख्य सरगना बत्तीलाल मीणा और उसके गुर्गे अब पुलिस के शिकंजे में हैं। राजस्थान लोक सेवा आयोग (मुख्यालय) ने भी इससे पहले पुलिस सब इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा तीन दिन तक कराई थी, जिसमें एक-एक या डेढ़-डेढ़ लाख अभ्यर्थी रोजाना बुलाए गए थे। इससे रीट कराने वाली एजेंसी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (मुख्यालय अजमेर) ने कोई सीख नहीं ली और वह इतनी बड़ी संख्या वाले अभ्यर्थियों की परीक्षा एक ही दिन कराने पर अड़ा रहा।

प्रेम आनंदकर
वह चाहता तो चार या पांच दिन तक दो-दो पारी में परीक्षा करा सकता था। इससे जहां सरकार को अपनी पूरी ताकत नहीं झोंकनी पड़ती, वहीं पेपर लीक की गुंजाइश भी कम रहती। यदि किसी दिन कोई पेपर लीक के मामले की पुष्टि हो जाती, तो केवल उसी दिन की परीक्षा दोबारा करानी पड़ती। हालांकि अभी तक एसओजी की जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, लेकिन इस बीच कुछ अभ्यर्थियों ने पेपर लीक का मामला उजागर होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है, जिसमें मामले की सीबीआई से जांच कराने की गुहार लगाई गई है। हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार और शिक्षा बोर्ड को तलब करते हुए 27 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। एसओजी की जांच का निष्कर्ष क्या होगा और कोर्ट का अगला आदेश क्या होगा, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा, लेकिन एक सवाल जरूर मन में कौंधता है कि आखिर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और सरकार एक ही दिन में इतनी बड़ी परीक्षा लेने के लिए क्यों अड़ी रही। पेपर लीक तो तब हुआ, जब परीक्षा वाले दिन पूरे राजस्थान में सुबह 6 से शाम 6 बजे तक इंटरनेट बंद कर दिया गया था। सरकार के आदेश पर कुछ कंपनियों ने इंटरनेटर 25 सितंबर की रात 12 बजे से ही बंद कर दिया था। इसके बावजूद पेपर लीक होना कहीं ना कहीं और किसी ना किसी बड़ी मिलीभगत का संदेह उत्पन्न करता है। इसका मतलब यह हुआ कि नेट बंद होने से पहले ही गिरोह के हाथ में पेपर पहुंच गया था। यह बात जुदा है कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और सरकार एक सुर में पेपर लीक होने की बात से साफ इंकार कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि एसओजी की जांच में पेपर लीक होने की बात पुष्ट हो जाती है, तो तब बोर्ड और सरकार के पास कहने को क्या होगा। वैसे सरकार कह रही है कि जिस क्षेत्र में पेपर लीक हुआ या देरी से पेपर पहुंचा, केवल उसी क्षेत्र व केंद्र के अभ्यर्थियों की परीक्षा दोबारा कराई जा सकती है। लेकिन सरकार यह भी विचारणीय बात है, क्या गारंटी है कि जिस गिरोह ने पेपर लीक किया है, वह केवल एक क्षेत्र तक ही सीमित रहा है और अन्य क्षेत्रों में नहीं गया हो। इसलिए आपको फिलहाल कोई भी निर्णय करने से पहले एसओजी की जांच के निष्कर्ष और कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए।

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