क्या आपने भी कभी एम्स में इलाज के लिए धक्के खाए हैं?

एम्स में आम आदमी धक्के खाता है लेकिन उनसे वसूले गए टैक्स से चल रही संसद और आम आदमी के वोटों से संसद पहुंचे सांसदों को इलाज देने के लिए एम्स ने वीआईपी व्यवस्था की है.

प्रदीप जैन
क्या आपने भी कभी एम्स में इलाज के लिए धक्के खाए हैं? क्या आपको भी एम्स से बिना बेड और इलाज के लौटना पड़ा है? क्या आपको भी इलाज के नाम पर महीनों या सालों बाद की तारीख मिली है? तो आज आपको ये जानकारी जरुर होनी चाहिए कि आम आदमी से वसूले गए टैक्स से चल रही संसद और आम आदमी के वोटों से संसद पहुंचे सांसदों को इलाज देने के लिए एम्स ने क्या वीआईपी व्यवस्था की है. एम्स के नए-नए निदेशक बने डॉ एम श्रीनिवास की एक चिट्ठी वायरल हुई है, जिसमें लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखकर ये बताया गया है कि सिटिंग एमपी को सुचारू तरीके से इलाज मिले इसके लिए एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर तैयार कर लिया गया है.
*सांसदों को वीआईपी व्यवस्था*
सिलसिलेवार तरीके से पत्र में बताया गया है कि सांसद को ओपीडी – एमरजेंसी में दिखाने और भर्ती होने – तीनों ही हालातों के लिए क्या-क्या व्यवस्था रहेगी. अस्पताल एडमिनिस्ट्रेशन ने इस काम के लिए एक कंट्रोल रुम और 24 घंटे के लिए एक ड्यूटी ऑफिसर की व्यवस्था कर दी है. ये ड्यूटी ऑफिसर एक डॉक्टर ही होगा – जिसका जिम्मा होगा सांसद महोदय को बिना देरी सही और सुचारु इलाज दिलाना. इसके लिए तीन लैंड लाइन और एक मोबाइल नंबर भी जारी कर दिया गया है.
*वायरल हो रही चिट्ठी*
चिट्ठी में बताया गया है कि लोकसभा सचिवालय या एमपी का पर्सनल स्टाफ इन नंबरों पर संपर्क करके बीमारी के बारे में जानकारी दे सकता है और ये बता सकता है कि वो किन डॉ साहब को दिखाना चाहते हैं. इस फोन के तुरंत बाद ड्यूटी ऑफिसर जो कि खुद भी एक मेडिकल प्रोफेशनल ही होगा – वो डिपार्टमेंट के डॉ से संपर्क साधेगा. जरुरत हुई तो उस विभाग के प्रमुख से भी संपर्क किया जाएगा. अप्वाइंटमेंट के दिन सांसद महोदय एम्स में एमएस ऑफिस में बने इस कंट्रोल रुम में पधार सकते हैं – जहां से उन्हें सुरक्षित डॉक्टर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एम्स प्रशासन उठाएगा.
*सांसद की सिफारिश आए मरीजों की भी होगी मदद*
इसके अलावा अगर संसद सदस्य को इमरजेंसी हालात में लाया जाता है तो पेशेंट केयर मैनेजर उन्हें रिसीव करेगा और उन्हें बिना देरी किए इलाज दिलाना सुनिश्चित करेगा. इस चिट्ठी के सबसे आखिर बिंदु में बताया गया है कि सांसदों की सिफारिश से आए मरीजों को मदद करने के लिए मीडिया और प्रोटोकॉल विभाग काम करेगा.
*वीआईईपी कल्चर एम्स में कोई नई बात नहीं..*
अगर सांसद साहब को एमरजेंसी हालात में लाया जाता है तो पेशेंट केयर मैनेजर उन्हें रिसीव करेगा और ये सुनिश्चित करेगा कि उन्हें बिना देरी के इलाज मिल सके और उन्हें इंतज़ार ना करना पड़े. सांसदों की सिफारिश से आए मरीजों को मदद करने के लिए मीडिया और प्रोटोकॉल विभाग काम करेगा. हालांकि ये वीआईपी कल्चर एम्स में कोई नई बात नहीं है – लेकिन चिट्ठी सामने आने से एक बार फिर आम आदमी के जख्म हरे हो गए हैं.
*एम्स दिल्ली आम आदमी को धक्के.. सांसदों और सिफारिशों को वीआईपी ट्रीटमेंट*
एम्स में आम आदमी धक्के खाता है लेकिन उनसे वसूले गए टैक्स से चल रही संसद और आम आदमी के वोटों से संसद पहुंचे सांसदों को इलाज देने के लिए एम्स ने वीआईपी व्यवस्था की है.
क्या आपने भी कभी एम्स में इलाज के लिए धक्के खाए हैं? क्या आपको भी एम्स से बिना बेड और इलाज के लौटना पड़ा है? क्या आपको भी इलाज के नाम पर महीनों या सालों बाद की तारीख मिली है? तो आज आपको ये जानकारी जरुर होनी चाहिए कि आम आदमी से वसूले गए टैक्स से चल रही संसद और आम आदमी के वोटों से संसद पहुंचे सांसदों को इलाज देने के लिए एम्स ने क्या वीआईपी व्यवस्था की है. एम्स के नए-नए निदेशक बने डॉ एम श्रीनिवास की एक चिट्ठी वायरल हुई है, जिसमें लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखकर ये बताया गया है कि सिटिंग एमपी को सुचारू तरीके से इलाज मिले इसके लिए एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर तैयार कर लिया गया है.
*सांसदों को वीआईपी व्यवस्था*
सिलसिलेवार तरीके से पत्र में बताया गया है कि सांसद को ओपीडी – एमरजेंसी में दिखाने और भर्ती होने – तीनों ही हालातों के लिए क्या-क्या व्यवस्था रहेगी. अस्पताल एडमिनिस्ट्रेशन ने इस काम के लिए एक कंट्रोल रुम और 24 घंटे के लिए एक ड्यूटी ऑफिसर की व्यवस्था कर दी है. ये ड्यूटी ऑफिसर एक डॉक्टर ही होगा – जिसका जिम्मा होगा सांसद महोदय को बिना देरी सही और सुचारु इलाज दिलाना. इसके लिए तीन लैंड लाइन और एक मोबाइल नंबर भी जारी कर दिया गया है.
*वायरल हो रही चिट्ठी*
चिट्ठी में बताया गया है कि लोकसभा सचिवालय या एमपी का पर्सनल स्टाफ इन नंबरों पर संपर्क करके बीमारी के बारे में जानकारी दे सकता है और ये बता सकता है कि वो किन डॉ साहब को दिखाना चाहते हैं. इस फोन के तुरंत बाद ड्यूटी ऑफिसर जो कि खुद भी एक मेडिकल प्रोफेशनल ही होगा – वो डिपार्टमेंट के डॉ से संपर्क साधेगा. जरुरत हुई तो उस विभाग के प्रमुख से भी संपर्क किया जाएगा. अप्वाइंटमेंट के दिन सांसद महोदय एम्स में एमएस ऑफिस में बने इस कंट्रोल रुम में पधार सकते हैं – जहां से उन्हें सुरक्षित डॉक्टर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एम्स प्रशासन उठाएगा.
*सांसद की सिफारिश आए मरीजों की भी होगी मदद*
इसके अलावा अगर संसद सदस्य को इमरजेंसी हालात में लाया जाता है तो पेशेंट केयर मैनेजर उन्हें रिसीव करेगा और उन्हें बिना देरी किए इलाज दिलाना सुनिश्चित करेगा. इस चिट्ठी के सबसे आखिर बिंदु में बताया गया है कि सांसदों की सिफारिश से आए मरीजों को मदद करने के लिए मीडिया और प्रोटोकॉल विभाग काम करेगा.
*वीआईईपी कल्चर एम्स में कोई नई बात नहीं..*
अगर सांसद साहब को एमरजेंसी हालात में लाया जाता है तो पेशेंट केयर मैनेजर उन्हें रिसीव करेगा और ये सुनिश्चित करेगा कि उन्हें बिना देरी के इलाज मिल सके और उन्हें इंतज़ार ना करना पड़े. सांसदों की सिफारिश से आए मरीजों को मदद करने के लिए मीडिया और प्रोटोकॉल विभाग काम करेगा. हालांकि ये वीआईपी कल्चर एम्स में कोई नई बात नहीं है – लेकिन चिट्ठी सामने आने से एक बार फिर आम आदमी के जख्म हरे हो गए हैं. एम्स के कई डॉक्टर खुद इस कल्चर के विरोध में हैं लेकिन प्रशासन की चिट्ठी सामने है और पालन करना सबकी मजबूरी.

वहीं इसको लेकर एम्स के डॉक्टर संगठन ने विरोध करना शुरू कर दिया है. एम्स में सांसदों के इलाज के लिए बनाई गई एसओपी को लेकर रेजिडेंट डाक्टरों के संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है. डाक्टरों के संगठन फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन इंडिया (फोर्डा), फेडरेशन ऑफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआइएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ट्वीट कर लिखा है कि एक तरफ प्रधानमंत्री देश से वीआइपी कल्चर को खत्म करने में लगे हैं. वहीं, दूसरी तरफ एम्स के निदेशक वीआइपी कल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं. सांसदों को इलाज में वरीयता देने से कहीं न कहीं आम आदमी को इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
अब आप सोचिए आपने एम्स में कब कब कितना इंतज़ार किया और बदले में इलाज मिला या तारीख? ऐसी सुचारु व्यवस्था एम्स में इलाज कराने वाले मरीज और उसके तीमारदारों के सपने में भी नहीं आ सकती. अगर आपको इसका साक्षात उदाहरण देखना है तो किसी दिन एम्स की ओपीडी में चले जाइये वहां आपको अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा सुबह पाँच – छह बजे से लाईन में लगा आम मरीज घंटों वेटिंग रुम में बैठा अपना नम्बर आने का इंतज़ार करता रहता है और वीआईपी और सिफारिशि मरीज व स्टाफ के प्रभावशाली मरीज मजे से वगैर किसी रोक टोक के आराम से डॉक्टर को दिखा कर चले जाते हैं तथा आम आदमी बेबस सा बैठा अपना नाम पुकारने का इंतजार करता रहता है. अगर गलती से भी उसने वहाँ बैठे स्टाफ से यह पूछ लिया कि उसका नम्बर कब आएगा पाँच – छह घंटे हो गए तो जबाब के बदले उसे तिरस्कार और फटकार ही सुनने को मिलेगी इसके अलावा वहाँ मौजूद गार्ड के धक्के अलग. नई राजकुमारी अमृत कौर ओपीडी और मेडिशिन विभाग की की ओपीडी में तो यह नज़ारा आम है . जब तक आम आदमी का नम्बर आता है तो डॉक्टर थक कर इतने पस्त हो चुकते हैं कि आम मरीज के हिस्से में चैकअप के नाम पर खानापूर्ति ही आती है. यह संवाददाता स्वयं अनेक बार इसका शिकार हो चुका है. लेकिन कुछ विभाग इस वीआईपी और सिफारिशि कल्चर से अछूते हैं . नये डायरेक्टर ने आते ही जिस तरह से एम्स में बदलाव और सुधार के लिये कारगर कदम उठाए थे उससे एक आशा की किरण जागी थी कि अब एम्स बदल रहा है वहाँ अब आमुलचूल परिवर्तन की लहर आ चुकी है अब वहाँ आम आदमी को न्याय और उसका हक मिलेगा. लेकिन वही ढाक के तीन पात एम्स में सुधार और परिवर्तन के लिए नियमों को ताक पर रख कर तथा अनेक वरिष्ठों को दरकिनार कर लाए गए नए डायरेक्टर डॉ एम श्री निवास भी इस वीआईपी कल्चर से अछूते नहीं रह पाए. सुधारवादी प्रयासों व सख्त प्रशासन के लिए पहचाने जाने वाले डॉ एम श्री निवास ने तो एम्स में वीआईपी कल्चर को अमलीजामा पहनाते हुए अधिकृत कर इसके पक्ष में पत्र तक जारी कर दिया.
आखिर वह दिन कब आएगा जब एम्स में आम आदमी को धक्के की जगह न्याय मिलेगा. कब आएगा ऐसा मसीहा जो आम आदमी की मजबूरी और परिस्थिति को समझते हुए उसे उसका सच्चा हक और न्याय दिलवाएगा.
प्रदीप जैन

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