tejwani girdharदोस्तों, कई बार मुझे यह सुन कर बहुत अचरज होता है कि किसी ने एक न्यूज आइटम में अमुक आदमी को चढा दिया गया है तो अन्य न्यूज आइटम में अमुक को रगड दिया है। मानो पत्रकारिता केवल सिर पर ताज सजाने या किसी की टोपी उछालने के लिए होती है। मानो पत्रकारिता ऑब्लाइज करने अथवा दुष्मनी निकालने के लिए बनी है। हालांकि मै इन प्रतिक्रियाओं को सजह भी ले लेता हूं। वो इसलिए कि इस प्रकार की प्रतिक्रिया देने वालों का दोश नहीं है। जिन को पत्रकारिता का बेसिक टेनिंग नहीं मिली है, जिन्हें पत्रकारिता की मर्यादा सीखने को नहीं मिली है, वे पत्रकारिता को एक हथियार ही मानते हैं। मीडिया जगत में ऐसे पत्रकारों की फौज घुस गई है, जो आई ही पत्रकारिता का दुरूपयोग करने के लिए हैं। कुछ तो ब्लैकमेलिंग के लिए ही पत्रकारिता कर रहे हैं। और इन्हीं के कारण आज पत्रकारिता बदनाम हुई है। इसी वजह से आज सोसायटी में पत्रकारों की प्रतिश्ठा कम हुई है।
भई, हमने तो जो पत्रकारिता सीखी है, उसमें तो सदैव प्रयास रहता है कि निश्प़क्षता रखी जाए। जनता के सामने केवल तथ्य रखे जाएं, वह ही तय करें कि क्या उचित है और क्या अनुचित। अब कोई तथ्य किसी के खिलाफ पडता है तो पडे और कोई तथ्य किसी के पक्ष में पडता हो तो पडे। अव्वल तो तथ्य प्रस्तुत करने में पूरी सावधानी बरती जाती है, फिर भी यदि तथ्यात्मक त्रुटि है तो उसे स्वकार करने में भी गुरेज नहीं करते। लेकिन अगर कोई इन्टेंषन पर सवाल करता है तो जरा असहजता जरूर होती है।