दल बदलने पर नेता के साथ पूरे कार्यकर्ता भी जाते हैं?

क्या किसी नेता के पार्टी बदलने पर पार्टी के कार्यकर्ता पूरे के पूरे दूसरी पार्टी में शिफ्ट हो जाते हैं? यह सवाल हाल ही दलबदल या एक गठबंधन से दूसरे गठबंधन में चले जाने से उठ खडा हुआ है। राजनीति की बारीक जानकारी रखने वाले मानते हैं कि हर नेता के साथ पार्टी के कार्यकर्ता तो होते ही हैं, निजी समर्थक भी मजबूती के साथ जुडे होते हैं। जैसे ही वह पार्टी बदलता है तो केवल निजी समर्थक ही इधर से उधर जाते है। यदि नेता प्रभावषाली है तो बडी संख्या में सजातीय मतदाता भी षिफ्ट होते हैं। कोई यह सोचे कि पार्टी के समूचे कार्यकर्ता दूसरे दल में षामिल हो जाते हैं, तो यह गलतफहमी है। इसकी वजह यह है कि बडी संख्या में कार्यकर्ता पार्टी में विचारधारा की वजह से जुडे होते हैं। जैसे भाजपा के कार्यकर्ता पार्टी की विचारधारा के कारण पार्टी में होते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि उनकी अपनी पार्टी के नेताओं से असहमति हो, या वे उसे पसंद न करते हों, फिर भी पार्टी से जुडे रहते हैं। उनकी निष्ठा नेता के प्रति नहीं बल्कि विचारधारा के प्रति होती है। नेता के दलबदल करने पर उनके लिए स्थिति असहज हो जाती है और वे अपनी पार्टी में ही बने रहते है। हां, इतना जरूर है कि नेताओं के पार्टी बदलने की वजह से माहौल बदलता है और फ्लोटिंग मतदाता शिफ्ट हो सकते हैं।

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