यह फोटो है एतिहासिक चुनाव के बाद और पहले की

——– राजेंद्र याग्निक——
यह ऐतिहासिक फोटो है विधानसभा चुनाव के बाद और लोकसभा चुनाव के पहले की। जिसमें शहर कांग्रेस के की वर्तमान होते हुए निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन और आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष एवं अजमेर में समानांतर कांग्रेस चलने वाले धर्मेंद्र राठौर की। यह अजीब संयोग उस समय हुआ जब 7 मार्च को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आवाह्नन पर केंद्र की भाजपा सरकार और एसबीआई के चुनावी बांड योजना की मिली भगत के विरोध में केसरगंज कांग्रेस कार्यालय से एसबीआई शाखा गोल चक्कर के पास तक एक जुलूस कांग्रेस जनों ने निकाला। जिसमें राठौर और विजय जैन एक झंडे और एक डंडे के नीचे नजर आ रहे हैं साथ ही कदम से कदम मिलाकर साथ-साथ चलते दिखाई दे रहे हैं। यह फोटो कितनी असली है कितनी नकली यह तो वह दोनों ही जाने लेकिन यह तय है विधानसभा चुनाव के पहले राठौर साहब ने अजमेर की पूरी कांग्रेस को अपने हाथ में ले लिया था कांग्रेस कार्यालय की जगह आरटीडीसी होटल में कार्यकर्ताओं की बैठक और प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जाती रही थी।
तब विजय जैन साहब ने आरोप लगाया था कि समानांतर कांग्रेस सरकार चला रहे हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान होगा। कांग्रेस गुटों में विभाजित हो गई। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है। राठौर साहब ने मनोनीत पार्षद की नियुक्ति करवाई और ब्लॉक अध्यक्ष भी अपने समर्थकों को बनाया। जैन साहब ने अपनी रिपोर्ट हाई कमान तक भेजी थी पर कोई असर हुआ नहीं। अजमेर सहित अन्य जिले में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। ऐसा क्यों हुआ राठौर साहब अच्छी तरह से जानते हैं और जैन साहब भी समझते हैं। अब लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच राठौर साहब फिर अवतरित हो चुके हैं और विजय जैन साहब के साथ कांग्रेस के झंडे के नीचे दिखाई देने लगे हैं। राजनीति इसी को कहते हैं कि वक्त के साथ करवट बदल ली जाए। सरकार बदलने से प्रदेशवासी खुश हो या नहीं हो लेकिन आरटीडीसी के अधिकारी और कर्मचारी खुश है। लेकिन राठौर साहब ने जो करवट बदली है उससे शहर के निष्ठावान कांग्रेसी प्रसन्न नहीं है। चर्चा है कि राठौर साहब फिर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने की चाह रखते हैं। दूसरी चर्चा यह भी है कि जिस तरह गहलोत खेमे के सालों पुराने कांग्रेसी भारतीय जनता पार्टी के तंबू में घुसते दिखाई दे रहे हैं उसमें राठौर साहब का नाम भी शामिल हो सकता है। इस चर्चा का लाल डायरी से कोई संबंध नहीं है। यह ऐतिहासिक फोटो किस रूप में क्या करवट ले कहा नहीं जा सकता फोटो मन के भावों को और अंतरात्मा की आवाज को नहीं बदल सकती। जो फोटो में दिखाई दे रहे हैं वे इस हकीकत से भली भांति वाकिफ है। अपन का तो इतना ही कहना है———
जो जख्म बना है मलहम से
उस जख्म का मलहम क्या होगा
जब खेवईया ही डुबाए नैया को
उस नैया का हाल अब क्या होगा

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