होली की डिग्रियां

holi 1

मनमोहन सिंह : सेंटर फ्रेश

लालू : हम थे जिन के सहारे, वो हुए न हमारे

मीरा कुमार : बैठ जाइए

सोनिया गांधी : बिन हवा की आंधी

मोदी : पी एम की कुर्सी तो खो दी

नितीश कुमार : मैं गया वक्त नहीं हूँ, कि लौट के फिर आ न सकूं।

मुलायम : राज तो करो तुम, बस हमारा ख्याल रखना

आडवाणी : मेरे राम कहां हो तुम

सुरजेवाला : मेरे बाप पहले आप

ममता बनर्जी : अब तो सब से अलर्जी

नारायण दत्त तिवारी : भूली हुई यादो

राहुल : बत्ती गुल

बेनी बाबू : वही हुआ जो न होना था, हंस दिए वहां जहां पे रोना था

माया : मेरा परदेसी न आया

कांडा : कंडोम से सब होम तक

केजरीवाल : जान का बवाल

यशवंत : शहीदे आज़म

राजा (वीरभद्र) : जो मिले खा जा

सलमान खान : शिकार करने को आए थे, शिकार हो के चले

अहमद पटेल : कर दे खेल

कुमार सानू : आवाज़ दे कहां है

सोनू निगम : मेल फीमेल आल इन वन

अमरेंदर सिंह : खुदा हाफ़िज़

मुशर्रफ : सांनूं वी खिडाओ, नईं ते खेड वी गवाओ

अरनब गोस्वामी : वन मैन पाकिस्तान डेमोलिशन आर्मी

अरुण जेटली : दुर्घटना से देर भली

उमर अब्दुल्ला : अब न पंडित, न मुल्ला

नितिन गडकरी : पहले शेव, फिर फटकरी

चौरसिया : दीपक तले अंधेरा

ओम पुरी : काश तेरे चेहरे पे चेचक के दाग होते, चांद तो तुम खुद हो सितारे भी साथ होते

आसाराम : बच्चे सब से अच्छे

सचिन तेंदुलकर : क्रिकेट से गिरे कांग्रेस में अटके

विजय बहुगुणा : थोथा चना बाजे घना

चौटाला : निकालेगा दिवाला

सुखबीर बादल : आण दो

शाहरुख़ खान : शुक्रिया पर, अब बस

नवजोत सिद्धू : छा गए गुरु

पी ए संगमा : कोई भी संग ना

अमर सिंह : जाने कहां गए वो दिन

राजीव शुक्ला : विभीषण

मारूफ : हे बुद्ध, करा दे युद्ध

कुलदीप बिश्नोई : हवाई किला

संजय दत्त : पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त

सुब्रतो राय : चित फंड

जस्टिस काटजू : बोलते बहुत हैं आप

इंडिया न्यूज़ : हमेशा कन्फ्यूज़

प्रकाश करात : वो सुबहा कभी तो आएगी

के डी सिंह : माँ मुझे आँचल में छुपा ले

भूपेंद्र हुड्डा : दामाद है तो सब आबाद है

अन्ना : कुछ लेते क्यों नहीं?

उमेश जोशी : सर, खबर चला दी है

सैफ : बड़े आराम से

मनीषा पांडे : फूलन देवी

अमिताभ श्रीवास्तव : अब आया जिंदगी का असली मज़ा

एबीपी : हकले, तोतले सब इधर

टाइम्स नाओ : बोल के दिखाओ
-जगमोहन, जर्नलिस्ट कम्युनिटी से साभार

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