राजेश पायलट बनने की राह पर सचिन

किशनगढ के समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बतियाते सचिन पायलट
किशनगढ के समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बतियाते सचिन पायलट

-निरंजन परिहार- सचिन पायलट अपने पिता राजेश पायलट के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। अजमेर के लिए किशनगढ़ में एयरपोर्ट बनवाने के मामले में वे छा गए। राजस्थान में अब तक सचिन पायलट की कोई बहुत बड़ी राजनीतिक छवि नहीं थी। लेकिन अब वे अपने पिता राजेश पायलट की तरह न केवल तेज कदमों से आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि दूसरों को धकेल भी रहे हैं। राहुल गांधी के करीबी साथियों में उनका नाम है और काम करने में भी एक मंजे हुए राजनेता की तरह सामने आ रहे हैं। अजमेर लोकसभा क्षेत्र में भी उनकी स्थिति मजबूत है और राजनीति के सारे गुर वे करीब करीब जान गए हैं, सो उनके रहते तो कोई दूसरा वहां उभर नहीं पा रहा है। यही कारण है कि किशनगढ़ एयरपोर्ट के शिलान्यास समारोह में क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सारे के सारे पायलट को आशीर्वाद दे रहे थे। इस कार्यक्रम में कंपनी मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री सचिन पायलट का जलवा कुछ ज्यादा ही जोरदार नजर आया।

अजमेर कई सालों से एयरपोर्ट की राह देख रहा है। दुनिया भर से यहां लोग हर साल आते हैं। राजस्थान में आनेवाले सारे इंटरनेशनल वीआईपी अजमेर आते हैं। विश्व विख्यात पर्यटन स्थल पुष्कर एवं ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की वजह से दुनिया भर में अजमेर एक बहुत बड़ा आकर्षण है। लेकिन एयरपोर्ट न होने की वजह से लोगों को बड़ी तकलीफ होती रही है। वैसे एयरपोर्ट न होने की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि जयपुर और अजमेर के बीच की दूरी अब तो सिर्फ एक सौ किलोमीटर ही रह गई है। जयपुर के सांगानेर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से किशनगढ़ इतनातो और भी नजदीक होने के कारण किशनगढ़ एयरपोर्ट की मंजूरी दिलाना अपने आप में दुष्कर काम था। लेकिन वे इसमें सफल रहे। पायलट की कोशिशों से यह मुश्किल काम भी आसान हो गया।

कुल मिलाकर अजमेर के लिए किशनगढ़ में एयरपोर्ट स्थापित कराने का पूरा श्रेय केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट को ही दिया जा रहा है। राजनेता अकसर अपने कार्यों और अपने अलावा किसी और का उल्लेख कम ही करते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह आदि सभी ने अपने भाषणों में पायलट का बार बार उल्लेख करके सचिन के सयानेपन को सिद्ध भी किया और सही भी बताया। स्वीकृति के अलावा दूसरी सबसे बड़ी समस्या जमीन अक्वायर करने की थी। मामला बड़ी कोर्ट में भी पहुंतक भी गया। लेकिन सचिन पायलट ने बहुत मेहनत करके अदालती अड़चन को भी हटाया। पायलट जानते हैं कि किसी भी काम में निजी रूचि लेकर ही उसे निश्चित समय सीमा में पूरा किया जा सकता है। सो, उन्होंने मुआवजे की राशि का भी संतोषजनक इंतजामन करवाकर ग्रींण किसानों को खुश करने की कोशिश की। यही वजह थी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व मुख्यमंत्री गहलोत समेत अन्य नेताओं ने पायलट के प्रयासों को सराहना की। सिंह और गहलोत ने कहा कि वे पायलट की मेहनत और लगन की तारीफ करते हैं। और यह भी कहा कि राजस्थान की जनता की खुशकिस्मती है कि उन्हें सचिन पायलट जैसा प्रतिनिधि मिला है। गहलोत ने तो यह भी कहा कि यह मांग बरसों पुरानी है, पर सचिन पायलट ने हवाईअड्डे के लिए काफी प्रयास किए और इसका काम आगे बढ़ पाया। उनके प्रयास लगातार जारी रहे और आज शिलान्यास के रूप में वह दिन आ ही गया। यहां शानदार एयरपोर्ट बनेगा और पूरी दुनिया से जुड़ेगा। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजीत सिंह बोले कि सचिन पायलट के अथक प्रयासों से ही हवाईअड्डा शिलान्यास की स्थिति में आ पाया है। काम करने में बहुत परेशानी होती है। लेकिन पायलट तब तक नहीं माने, जब तक कि एयरपोर्ट की मंजूरी उनके हाथ में नहीं आ गई।

एयरपोर्ट की स्वीकृति लाने, उसमें आनेवाली बाधाओं को दूर करने – कराने, मुख्यमंत्री को सम्मान देते हुए उनको आगे रखकर प्रधानमंत्री के दौरे को सफल बनाने और शिलान्यास के आयोजन की गरिमा को ऊंचा उठाने के लिए मंच की व्यवस्था संभालने से लेकर भीड़ जुटाने तक के दौरान सचिन पायलट पूरी तरह से अपने पिता राजेश पायलट के अवतार में दिखाई दिए। सभा में बसों से जिस तरह भीड़ पहुंची, उनका आंकलन करने वाले कांग्रेसी पंडित मानते हैं कि बाकी लोगों के मुकाबले इस सभा में गुर्जर ज्यादा थे। हालांकि उम्मीद की जा रही थी किशनगढ़ जाट बाहुल्य इलाका है, आगे विधान सभा के चुनाव हैं, इसलिए स्थानीय विधायक नाथूराम सिनोदिया अपने क्षेत्र से भारी भीड़ जुटाएंगे यह उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अधिकांश भीड़ किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बाहर की थी। भीड़ में से बार-बार सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लग रहे थे। पायलट जब भाषण देने माइक पर आए तो भीड़ का उत्साह भी देखने लायक था। सयिच पायलट ने एयरपोर्ट बनने की राह के सारे के सारे कांटे हटाने से लेकर शिलान्यास समारोह के अवसर पर आयोजित आमसभा में भीड़ जुटाने तक के काम में जबरदस्त भूमिका निभाई। पूरे आयोजन में पायलट वन मैन शो रहे। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो जाट बाहुल्य किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में किसी गुर्जर नेता के लिए इतनी भी जुटाना बहुत मुश्किल काम था। क्योंकि यहां के जातिवादी राजनीतिक हालात की वजह से अकसर जाट गुर्जरों को और गुर्जर जाटों को नीचा दिखाने पर तुले रहते हैं। लेकिन फिर भी सारे अवरोधों के बावजूद सचिन पायलट अपने चुनाव क्षेत्र में भीड़ जुटाने में भी भारी पड़े।

निरंजन परिहार
निरंजन परिहार

वैसे, सिर्फ एक एयरपोर्ट का शिलान्यास करवाने से ही कोई आदमी बहुत बड़ा नहीं हो जाता। लेकिन कायदे से देखें तो, जो व्यक्ति अपनी दृष्टि, अपने दृष्टिकोण और पूरे परिदृश्य को ही जब लक्ष्य को समर्पित कर दे तो उसकी सफलता के रास्ते बाकी लोगं के कुछ ज्यादा ही आगे जाते हैं। सचिन पायलट, उसी राह के राही हैं। और यह मजबूती उनको कोई राहुल गांधी का साथी होने और पूर्व केंद्रीय मंत्री का बेटा होने से हासिल नहीं है। अगर जीवन में यही सब कुछ होता, तो राहुल गांधी के तो उनसे भी ज्यादा नजदीक मिलिंद देवड़ा हैं। फिर उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा तो साक्षात जिंदा भी हैं और कांग्रेस के भंडार भरनेवालों में भी हैं। फिर भी मिलिंद देवड़ा केंद्र में सचिन पायलट की बराबरी के मंत्री होने के बावजूद पायलट की बराबरी में कहीं नहीं टिकते, तो यह पायलट के परिश्रम का प्रताप है। और शायद इसलिए ज्यादा मजबूत हैं सचिन पायलट मिलिंद देवड़ा की तरह इंटरनेट, ट्वीटर और फेसबुक के जरिये अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने के मोहताज नहीं हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राजनीति में सचिन पायलट का बहुत चमकदार भविष्य आईने की तरह साफ दिखाई दे रहा है। वे अब राजेश पायलट बनने की राह पर हैं।

(लेखक राजनीतिक विशेलेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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