मोदी के गले की हड्डी न बन जाये उप्र

n modi 450-320-अंबरीश कुमार- उत्तर प्रदेश के शुरूआती अनुभव से भाजपा के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झटका लगा है। मोदी के सिपहसालार अमित शाह के पैर उत्तर प्रदेश में उखड़ते नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा की अंदरूनी हालत का पता चलते ही अमित शाह को जमीनी हकीकत का भी अहसास हो गया है। यह भी पता चल गया है कि सिर्फ दंगों से पार्टी के उम्मीदवार जीत जाएं यह संभव नहीं। दंगों की राजनीति के बावजूद दलित और पिछड़े हिंदुत्व के रास्ते पर जाते नजर नहीं आ रहे। पर असली संकट पार्टी की अंदरूनी राजनीति है जो अब खुलकर उनके सामने आ चुकी है। उत्तर प्रदेश में वैसे भी भाजपा का चाल चरित्र और चेहरा कब का बदल चुका है। कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाने वाली भाजपा के शीर्ष नेताओं की दूसरी पीढी पार्टी के लिए नए संकट पैदा कर रही है। राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, लालजी टंडन से लेकर प्रेमलता कटियार तक इस कतार में पहले से है।

बीते शुक्रवार को मोदी के सिपहसलार अमित शाह की बैठक में कल्याण सिंह, कलराज मिश्र से लेकर विनय कटियार तक नहीं आए और जो आए उन्होंने अमित शाह को जमीनी हकीकत का अहसास भी करा दिया। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अमित शाह को खरी  खरी सुनाई। कहा, उत्तर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लगातार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है और सिफारिशी लोगों को आगे बढ़ाया। नेताओं के पुत्रों के चक्कर में तपे तपाए कार्यकर्ताओं को हाशिए पर डाल दिया गया।

कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझने के बाद अमित शाह को नसीहत देनी पड़ी कि वे नीलकंठ बन जायें। नहीं तो उत्तर प्रदेश  समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की राजनीति से बाहर नहीं निकल पायेगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अमित शाह कार्यकर्ताओं और अन्य नेताओं से मिली जानकारी के बाद काफी निराश हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच चल रहे शीत युद्ध के चलते कार्यकर्त्ता भी कई खेमो में बंटे हैं। पूर्वांचल में तो भाजपा का मतलब योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी होता है। यदि उनकी मर्जी के मुताबिक टिकट नहीं दिया गया तो भाजपा उम्मीदवार को हराने में बड़ी भूमिका योगी की वाहिनी निभाती है। दूसरे मंदिर आन्दोलन के अवसान के बाद से भाजपा फिर उस ताकत से कभी उठ नहीं पाई। अयोध्या आन्दोलन के गढ़ में लल्लू सिंह की हार इसका सबसे बड़ा प्रतीक है। अभी भी फैजाबाद से मिलने वाली ख़बरों के मुताबिक भाजपा की जीत मुश्किल है। स्थानीय राजनीति में जातीय गोलबंदी भरी पड़ती है। यह एक बानगी है। ऐसे में मोदी के लिये उत्तर प्रदेश गले की हड्डी भी बन सकता है। यह बात अमित शाह की प्रतिक्रिया से और साफ हो जाती है। http://www.hastakshep.com
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