-अंबरीश कुमार- उत्तर प्रदेश के शुरूआती अनुभव से भाजपा के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झटका लगा है। मोदी के सिपहसालार अमित शाह के पैर उत्तर प्रदेश में उखड़ते नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा की अंदरूनी हालत का पता चलते ही अमित शाह को जमीनी हकीकत का भी अहसास हो गया है। यह भी पता चल गया है कि सिर्फ दंगों से पार्टी के उम्मीदवार जीत जाएं यह संभव नहीं। दंगों की राजनीति के बावजूद दलित और पिछड़े हिंदुत्व के रास्ते पर जाते नजर नहीं आ रहे। पर असली संकट पार्टी की अंदरूनी राजनीति है जो अब खुलकर उनके सामने आ चुकी है। उत्तर प्रदेश में वैसे भी भाजपा का चाल चरित्र और चेहरा कब का बदल चुका है। कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाने वाली भाजपा के शीर्ष नेताओं की दूसरी पीढी पार्टी के लिए नए संकट पैदा कर रही है। राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, लालजी टंडन से लेकर प्रेमलता कटियार तक इस कतार में पहले से है।
बीते शुक्रवार को मोदी के सिपहसलार अमित शाह की बैठक में कल्याण सिंह, कलराज मिश्र से लेकर विनय कटियार तक नहीं आए और जो आए उन्होंने अमित शाह को जमीनी हकीकत का अहसास भी करा दिया। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अमित शाह को खरी खरी सुनाई। कहा, उत्तर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लगातार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है और सिफारिशी लोगों को आगे बढ़ाया। नेताओं के पुत्रों के चक्कर में तपे तपाए कार्यकर्ताओं को हाशिए पर डाल दिया गया।