जाट के आते ही चौधरी के लडऩे की संभावना खत्म हो गई थी

r c choudhry 1जिस बात की संभावना थी, वही हुआ। विधानसभा चुनाव में मसूदा क्षेत्र से कांग्रेस के बागी के रूप में चुनाव लड़ कर हार चुके अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट के सामने डंके की चोट पर चुनाव लडऩे के ऐलान से पलट गए। संभावना तभी उत्पन्न हो गई थी, जब भाजपा ने प्रो. सांवरलाल जाट को मैदान में उतारा। भला जाट के होते हुए दूसरा जाट कैसे लड़ सकता था। वो भी तब जब कि सचिन को निपटाने का लक्ष्य हो तो। अगर अपने ऐलान पर कायम रहते तो एक तो जाट समाज नाराज होता। अव्वल तो एक दमदार जाट के रहते उन्हें जाटों के वोट मिलते नहीं, जिनके दम पर वे चुनाव मैदान में उतरने वाले थे, दूसरा जाटों के जितने भी वोट काटते उसका नुकसान प्रो. जाट को ही होता। यानि कि प्रत्यक्षत: तो सचिन के खिलाफ लडऩा कहलाता, मगर अप्रत्यक्ष रूप से होता सचिन को फायदा। ऐसे में यह साफ था कि वे अब चुनाव मैदान में नहीं आएंगे। प्रो. जाट के होते हुए चुनाव लडऩे की संभावना इस कारण भी कम थी क्योंकि उनके ही परोक्ष समर्थन की वजह से अजमेर डेयरी पर काबिज हैं।
अब बात ये कि उनके प्रो. जाट के पक्ष में काम करने से होगा क्या? जाहिर रूप से इससे जाटों के वोटों का बंटवारा रुक जाएगा। वैसे भी जाट वोटों का धु्रवीकरण होता, चौधरी के होने से संभव है कांग्रेस के कट्टर जाट वोटों का भी नुकसान पहुंचाएं। जहां तक अजमेर डेयरी नेटवर्क और निजी संबंधों की वजह से गुर्जरों के भी कुछ वोट काटने की संभावना थी, वह कम हो जाएगी। बावजूद इसके चौधरी की बगावत को कम करके नहीं आंका जा सकता है। कारण ये कि हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय होते हुए भी 28 हजार 477 वोट हासिल किए। इसके अतिरिक्त बिना कांग्रेस की मदद के अकेले दम पर पिछले 25 वर्ष से अजमेर डेयरी पर काबिज हैं। उल्लेखनीय है उनका संसदीय क्षेत्र की 1200 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों पर असर है।
आपको याद होगा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आरोप भी लगाया कि पायलट ने ही उनका टिकट कटवाया। जयपुर में पिछले वर्ष कार्यकर्ताओं से राहुल गांधी के सीधे संवाद के दौरान चौधरी ने पायलट के खिलाफ जम कर बोला था। चौधरी ने स्थानीय की वकालत करते हुए चेताया कि अगर पायलट को दुबारा टिकट दिया तो वे उनके खिलाफ लड़ेंगे। उनका दावा था कि सचिन दो वोटों से हारेंगे। अब यह आंकड़ा बढ़ा कर उन्होंने तीन लाख कर दिया है।

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