-गौरव अवस्थी- रायबरेली। वीवीआईपी संसदीय क्षेत्र अमेठी आजादी के 20 वर्ष बाद 1967 में अस्तित्व में आयी थी। इसके पहले अमेठी में शामिल विधान सभा क्षेत्र सुल्तानपुर और रायबरेली में आते थे। इंदिरा गांधी के सत्ता बाद पहली बार लोकसभा क्षेत्रों के हुए परिसीमन में अमेठी अस्तित्व में आई। इस संसदीय क्षेत्र में सुल्तानपुर के अमेठी, जगदीशपुर, गौरीगंज और रायबरेली के सैलून और तिलोई विधानसभा क्षेत्र शामिल किये गए। इस संसदीय क्षेत्र के पहले सांसद कांग्रेस के प्रत्याशी विद्या धर बाजपेई चुने गए। दूसरी बार भी बाजपेई को ही वोटरों ने मौका दिया। जनता लहर में जनता पार्टी के रविन्द्र प्रताप सिंह सांसद बने। इस क्षेत्र को वीवीआईपी का दर्जा १९८० को तब मिला जब इंदिरा जी के बेटे संजय गांधी ने यहाँ से लोकसभा का चुनाव लड़ा। यह राजनीति में इंदिरा युग की वापसी का दौर था और संजय के चुनाव लड़ने व् जीतने से अमेठी पुरे देश में चर्चा में आ गयी। लेकिन दुर्भाग्य से एक विमान दुर्घटना में 1981 में संजय गांधी के मारे जाने से अमेठी ठिठक गई। संजय की सीट से उत्तराधिकारी के रूप में इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को मैदान में उतारा। पेशे से पायलट राजीव गांधी ने राजनीति में अमेठी से ही कदम रखा। १९८१ के उपचुनाव में वह अमेठी के सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार 1991 तक यहाँ से चुने जाते रहे। राजीव गांधी की हत्या के बाद १९९१ के उपचुनाव में उनके बालसखा कैप्टन सतीश शर्मा ने इस क्षेत्र की कमान सम्भाली। 1999 में सोनिया गांधी ने परिवार की परंपरागत सीट से चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से जीतीं। इस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष और राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी के हांथों में अमेठी की नुमाईंदगी है।
अमेठी के रोचक मुकाबले
गौरव अवस्थी
रायबरेली से सटे इस संसदीय क्षेत्र ने कई रोचक मुकाबले भी देखे। 1981 में उपचुनाव के बाद 1984 में हुए आम चुनाव का मुकाबला गांधी परिवार के बेटे राजीव गांधी और बहू मेनका गांधी ( संजय गांधी की पत्नी ) के बीच हुआ। इस चुनाव में राजीव गांधी बहुत बड़े अंतर से जीते। उन्हें लगभग 3 . 65 लाख मत मिले और संजय गांधी विचार मंच के बैनर तले निर्दलीय किस्मत आजमाने वाली मेनका को 50 हजार वोट ही मिले। 1989 का चुनाव भी काफी रोचक रहा। इस चुनाव में देश की दो जानी-मानी हस्तियों जवाहरलाल नेहरू के पौत्र राजीव गांधी और महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी आमने-सामने थे। तीसरा कोण बीएसपी के संस्थापक कांशीराम बना रहे थे। रोचक मुकाबले में अमेठी राजीव गांधी के ही साथ रही। अमेठी में अब तक हुए 11 आम चुनाव और दो उपचुनाव में 11 बार कांग्रेस का ही परचम फहरा है।