272 प्लस के लक्ष्य को साधे आगे बढती भाजपा और कांग्रेस में मचती भगदड

गढ भेदने-बचाने में लगे दल,सेनापतियों सहित कार्यकर्ता रूपी सेनायें आमने-सामने 
देश ही नहीं विश्व की भी नजर लोकसभा के आम चुनावों पर टिकी
आरोप प्रत्यारोप,दावों सहित चर्चाओं कयासों का दौर जारी 
मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के आसार पर अभी सर्वे बतला रहे कुछ सीटों से दूरी 
कांग्रेस सत्ता वापिसी के लिये ठोक रही ताल पर जानकारों का मानना राह नहीं आसान
Narendra modi 01-डा. लक्ष्मीनारायण वैष्णव- देश में इन दिनों राजनैतिक माहौल गरमाया हुआ है राजनैतिक दल गढ बचाने और भेदने की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं। जिनके पास सत्ता है वह इसको खोना नहीं चाहते तथा लम्बे समय से विपक्ष बैठे दल इसको प्राप्त करना चाहते हैं दोनो की अपने-अपने प्रयास हैं तथा इनके रणनीतिकारों की योजनायें जिन पर कार्य लगातार जारी देखा जा सकता है। वैसे देश में व्याप्त माहौल तथा चुनाव पूर्व हुये सर्वेक्षणों पर नजर डालें तो नमो-नमों की गूंज से सरावोर दिखलायी देता है हां यह बात अलग है कि सत्ता से कुछ सीटों की दूरी इनकी बतलायी गयी है। परन्तु जानकार बतलाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों को इसकी जानकारी है और उनका प्रयास लगातार जारी है जो हर कमजोर कडी पर नजर तथा उसको मजबूत करने पर कार्य कर रहे हैं। राजनीति के जानकारो की माने तो 272 प्लस पर भाजपा ने लगभग दो बर्ष पूर्व से कार्य प्रारंभ कर दिया था। जब तक कांग्रेस या उसके सहयोगी समझ पाते भाजपा काफी निकल चुकी थी।   नरेन्द्र मोदी की लगातार कमजोर क्षेत्रों में सभायें और लाखों की उपस्थिति ने कांग्रेस के होश उडाना प्रारंभ कर दिये थे। जिसका परिणाम लगातार सामने आता देखा गया एवं देखा जा रहा है लगातार शब्दों के तीरों के साथ उसमेें हताशा दिखलायी देने की चर्चा लगातार सुनी जा सकती है। जानकार मानते हैं कि रेत की तरह मुठ्ठी से फिसलती सत्ता की सोच का परिणाम भी किसी से छिपा नहीं है। लोक सभा के आम चुनाव में राजनैतिक दलों के रणनीतिकार लगातार कार्य कर रहे है मैदान में सेनापतियों के साथ कार्य कर्ता रूपी सेनायें मैदान में मोर्चा संभाल चुकी हैं। मतदाता को अपने पक्ष में करने तथा प्रतिद्वन्दी के आरोपों का जबाब देने के लिये लगातार प्रयास करते देखे जा सकते हैं।
 272 प्लस के लक्ष्य कैसे करेंगे प्राप्त –
भारतीय राजनीति के जानकारों के अनुसार राष्ट्रीय राजनीति में नमो ने एक दमदार एवं धमाकेदार तरीके से प्रवेश किया है। जनसंघ से राजनैतिक यात्रा प्रारंभ करने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी अब देश की एक बडी राष्टीय पार्टी बन चुकी है और उसके चुनाव चिन्ह से सभी परिचित भी हो चुके हैं । इतिहास की ओर नजर डालें तो देश की लगभग तीन सैकडा के करीब लोकसभा की एैसी सीटें हैं जिन पर भाजपा अपनी जीत का परचम कभी न कभी लहरा चुकी है। जाहिर सी बात है कि वहां पार्टी का जनाधार तो है और एैसी सीटों को लक्ष्य मानकर उसने अपना कार्य प्रारंभ कर दिया है। देखा जाये तो गत चुनाव जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी में जिस प्रकार व्यक्ति केंन्द्रित चुनाव था ठीक उसी प्रकार पुन:वह इतिहास दोहराया जा रहा है। नमो ने गत कुछ माह पूर्व ही भोपाल में कार्यकर्ताओं का आव्हान करते हुये उनको इस उद्ेश्य को लेकर चुनावी समर में कूदने को कहा था कि आगामी 2015-16 पं.दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी है और उनको सच्ची श्रृद्धांजली होगी कि केन्द्र सहित देश के अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकारें हों।  स्पष्ट है कि यदि अमेरिका की तरह भारत में भी राष्ट्रपति प्रणाली से चुनाव होते तो भाजपा जीत जाती।
क्या कहती है 272 प्लस की रणनीति –
पार्टी के सूत्रों ओर राजनीति के जानकारों की माने तो नरेन्द्र मोदी ने समस्त वर्गों तक पहुंचने के लिए 200 दिनों का लक्ष्य रखा है वहीं संगठन को मजबूत बनाने के लिए सभी प्रयास तेज कर दिये है। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर की माने तो भाजपा का लक्ष्य अकेले 272 से अधिक सीटें हासिल करने का है। हम इसको प्राप्त कर सकते हैं इस विश्वास के साथ मतदाताओं के पास जाने का कार्य प्रारंभ कर चुके हैंं। नमो के दावों के अनुसार गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान 20 से 25 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाताओं ने उनके पक्ष में वोट किया था एवं लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को मुस्लिमों समेत सभी वर्गों तक पहुंच बनानी होगी। सूत्रों के अनुसार भाजपा की चुनाव अभियान समिति, प्रदेश अध्यक्षों और संगठन महासचिवों के एक सम्मेलन में मोदी तथा अन्य वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं ने अगले चुनाव में बूथ स्तर पर मतदाताओं तक पहुंच बनाने की जरूरत पर जोर दिया। भाजपा को अल्पसंख्यकों समेत सभी वर्गों तक पहुंच बनानी चाहिए। गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और खासकर गरीब जनता के साथ संपर्क बढ़ाने का परिणाम ही यही था कि 20 से 25 प्रति.अल्पसंख्यकों ने भाजपा के लिए मतदान किया था। इसके पीछे का कारण यह है कि अल्पसंख्यक समुदाय को बताया गया था  कि कांग्रेस ने किस प्रकार से उनके लिए कुछ नहीं किया तथा इसी अनदेखी के कारण उनकी गरीबी बनी हुई है। इस वर्ग को अपना बनाने के लिए पार्टी को पूरे देश में इस तरह का प्रयास करना होगा। मोदी के प्लान के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय पर पकड़ बनाने के लिए मुस्लिमों में शिया, सुन्नी और अन्य कई वर्ग हैं और उनसे जुड़ी समस्याओं के समाधान का वायदा करके संवाद स्थापित किया जा सकता है।
क्या कहता है अनेक सर्वे के परिणाम-
अगर इंडिया टुडे -सी वोटर के हाल के सर्वेक्षणों के अनुसार लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को बुरी तरह पराजय का मुंह देखना पड सकता है। वहीं भारतीय जनता पार्टी को भारी सफलता मिलने की बात सामने आयी है। सर्वे में यहां पर बीजेपी को 30, कांग्रेस को 4, एसपी को 20, बीएसपी को 24 और आप को 1 सीट मिलने का अनुमान है।  जबकि सीएनएन-आईबीएन की रिपोर्ट पर नजर डालें तो  बीजेपी को 41-49, कांग्रेस को 4-10, एसपी को 8-14, बीएसपी को 10-16 और अन्य को 2-6 सीटों पर सफलता प्राप्त हो सकती है।
लगातार हो रहे चुनावी सर्वे के परिणामों पर नजर डालें तो यह तो स्पष्ट्र दिखलायी देता है कि कांग्रेस के विरूद्व और नरेन्द्र मोदी के पक्ष में हवा बह रही है। हो सकता है कि कांग्र्रेस की सीटों की संख्या 100 से नीचे रहे? कहने का मतलब है कि भारी नुकसान कांग्रेस का होता दिखलायी दे रहा है शायद यही वह बडा कारण हो सकता है कि कांग्रेस के दिग्गजों ने चुनावी समर से दूर रहने का फैसला लिया और लगातार उनका रूख भाजपा का दामन थामने की दिशा में चल रहा है। हाल ही में आया यूपीए के घटक दल के प्रमुख एवं देश के मंत्री शरद पवार का बयान में भाजपा को चुनाव परिणामों में भारी सफलता मिलने तथा सबसे बडा दल होने की बात कर रहे हैं।
जानकार कहते हैं कि एक और सर्वे के अनुसार कांग्रेस को केवल 91 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। कहने का तात्पर्य ह कि 115 सीटें कांग्रेस के हाथ से जाताी दिख रही हैं? विदित हो कि गत 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस को 206 सीटें मिली थीं। सर्वे के परिणाम में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को 72 सीटों का लाभ होता दिख रहा है भाजपा अकेले को को 188 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। ज्ञात हो कि 2009 के आम चुनाव में बीजेपी को 116 सीटें प्राप्त हुई थीं।  एनडीए के सहयोगी दलों में शिवसेना को 14 सीटें मिलने की बात है, जो गत चुनाव की तुलना में तीन अधिक है। अगर अन्य दलों पर नजर डालें तो शिरोमणि अकाली दल को पांच सीटें, आरपीआई को 2, संगमा की नेशनलिस्ट पीपल्स पार्टी को एक, हरियाणा जनहित कांग्रेस को 1 और स्वाभिमानी पक्ष को एक सीट मिल सकती है। अब बात करें बिहार की जहां जेडी (यू) भारी नुकसान दिख रहा है। हो सकता है कि 2-3 सीटों पर संतोष करना पडे जबकि भाजपा 23 से 25 सीटें प्राप्त कर सकती है। वहीं  आरजेडी को 11, एलजेपी को 1, कांग्रेस को 2 और अन्य को 2 सीटें मिलने का अनुमान है। बात करें मध्यप्रदेश की तो 29 सीटों का लक्ष्य रखा है भाजपा ने जिसमें से वह लगभग 25 -26 सीटों  को प्राप्त करती दिख रही है।  राजस्थान में भी कांग्रेस की हालत खराब है और वह वहां मात्र 2-3 सीटों पर सिमट सकती है जबकि भाजपा 21 से 22 सीटें प्राप्त कर सकती है।
अब नजर डालें सीएनएन-आईबीएन सर्वे-सीएसडीएस द्वारा कराए गए इस सर्वे पर तो अनुसार अगर अभी चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना जायेगा। भाजपा यहां पर अपनी सीटों में भारी इजाफा करते हुये 200 से अधिक पर अकेले कब्जा जमा लेगी।  एनडीए को 211 से 231 और यूपीए को 107 से 127 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। जानकारों की माने तो कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है? जिसके अनुसार वह 100 का आंकडा बडी मुश्किल से पार कर सकेगी? वहीं तृणमूल कांग्रेस और एआईएडीएमके जैसे क्षेत्रीय पार्टियोंं को भारी फायदे की उम्मीद बतलायी गयी है। तृणमूल कांग्रेस को 19 -28 तथा एआईएडीएमके को 15-23 सीटें मिल सकती हंै। वहीं लेफ्ट पार्टियों को 15-23 सीटें और आम आदमी पार्टी (आप) को 6-12 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को महज 8-14 और बीएसपी को 10-16 सीटें मिलने का अनुमान है।
मोदी बने प्रधान मंत्री में पहली पसंद-
प्रधान मंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को देखने वालों की संख्या सबसे ज्यादा बतलाये जाते हैं। जानकार बतलातें है कि अगर सीधा चुनाव हो जाये तो नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री को सर्वाधिक मतों को प्राप्त करने वाले होंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 प्रदेशों में कराये गए नैशनल ट्रैकर सर्वे में प्रधानमंत्री के रूप में भी नरेंद्र मोदी लोगों की पहली पसंद हैं। आंकडों के अनुसार नरेंद्र मोदी 34 प्रति. जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी 15 प्रति. सोनिया गांधी 5 प्रति.लोगों की पसंद हैं। उक्त सर्वे में बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले गुजरात में 26 में से 20 से 25 सीटें मिल रही हैं, कांग्रेस को 1 से 4 सीटें, जबकि अन्य के खाते में 2 सीटें जा सकती हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 23 से 27 सीटें और कांग्रेस को 2 से 5 सीटें मिल रही हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी और उसके सहयोगियों को 25 से 33 सीटें मिल रही हैं, जबकि कांग्रेस को 12 से 20 सीटें और अन्य को 1 से 5 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है।
भाजपा देश के साथ यूपी में भी उभरेगी सबसे बड़ी पार्टी-

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

अब नजर डालें एक और सर्वे की रिपोर्ट पर तो उत्तर प्रदेश में एबीपी न्यूज- एसी नीलसन सर्वे बीजेपी को 35, कांग्रेस को 12, एसपी को 14, बीएसपी को 15, आप को 2 सीटें देने का अनुमान है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश की 35 सीटों में कांग्रेस को 4, बीजेपी को 17, एसपी को 6, बीएसपी को 7 तथा अन्य को एक का अनुमान बतलाया गया है। ज्ञात हो कि पश्चिमी उप्र में 29 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस गठबंधन को 6, बीजेपी को 11, बीएसपी को 4, एसपी को 5, आप को 2 और अन्य को एक सीट मिलने का अनुमान बतलाया गया है। मध्य उप्र की  12 सीटों में से कांग्रेस 2 , बीजेपी  5, बीएसपी  3, एसपी  2 सीटें मिलनें की संभावना हैं। वहीं बुंदलेखंड की 4 सीटों में बीजेपी को 2 और एसपी-बीएसपी को एक-एक सीट मिल सकती है। बिहार में सत्ताधारी पार्टी जदयू को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। भाजपा राज्य की 40 में से 24 सीटों पर कब्जा जमा सकती है। भाजपा को 12 सीटों का फायदा हो सकता है। सर्वे के अनुसार जदयू को मात्र छह सीटें ही मिलेंगी। जबकि लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को पांच सीटें मिल सकती हैं उसे एक सीट का फायदा हो सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनावी सर्वेक्षण में कुल 4,518 लोगों की राय को शामिल किया गया है। जब लोगों से सवाल किया गया कि क्या भाजपा से नाता तोड़कर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने गलती की है तो करीब तीन चौथाई 72 फीसदी लोगों का कहना था कि हां, गलती की है। सिर्फ 26 फीसदी लोगों ने नीतीश के कदम को सही बताया। जब लोगों से सवाल किया गया कि अब मुसलमान किस पार्टी को वोट देंगे तो 53 फीसदी की राय थी कि मुसलमान राजद को वोट करेंगे। जबकि 41 फीसदी का मानना था कि मुसलमान जदयू को वोट करेंगे।

क्या रहा था 2009 का चुनावी परिणाम-
कुल सीटें 543

पार्टी का नाम    लोकसभा में सीटें
कांग्रेस                      206
भाजपा                      116
सपा                       23
बसपा                       21
तृणमूल                       19
द्रमुक                      18
जद (यू)             20
माकपा                      16
बीजद                      13
शिवसेना             11
अन्नाद्रमुक              9
एनसीपी                       9
अकाली                       4
अन्य                      58

2009 में गठबंधन की स्थिति-

गठबंधन                 सीटें
यूपीए                        262
एनडीए                      160
अन्य                        121

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