जो अपने घर में प्रेम नहीं घोल पाया वह भला समाज में क्या प्रेम रस घोल पाएगा

अगर आप संत नहीं बन सकते हैं तो कम से कम सद् गृहस्थ बनिए और घर को पहले स्वर्ग बनाइए
धर्म सभा को संबोधित करते हुए दिनेष मुनि ने कहा

षिर्डी – प्रेम बिना धन और यश व्यर्थ है। किसी भी घर की ताकत दौलत और शौहरत नहीं, प्रेम और मोहब्बत हुआ करती है। जिस घर में प्रेम है वहां धन और यश अपने आप जाता है। जहां पर सास बहु प्रेम करती हैं, भाई भाई सुबह उठकर आपस में गले मिलते है और बुजुर्गों का आदर सम्मान करते है वह घर जीता जागता स्वर्ग का नक्शा है। वही जिस घर में एक दूसरे की भावनाओं की कद्र नहीं होती,भाई भाई की आपस में नहीं बनती, बुजुर्गों का आदर सत्कार नहीं होता वह घर नहीं वह नर्क के समान है। उपरोक्त विचार श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि ने बुधवार 26 अगस्त को षिर्डी जैन स्थानक के ‘गुरु पुष्कर देवेन्द्र दरबार में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
सलाहकार दिनेष मुनि ने आगे कहा कि अगर आप संत नहीं बन सकते हैं तो कम से कम सद् गृहस्थ बनिए और घर को पहले स्वर्ग बनाइए। जो अपने घर परिवार में प्रेम नहीं घोल पाया वह भला समाज में क्या प्रेम रस घोल पाएगा। ईंट, चूना पत्थर से मकान का निर्माण होता है घर का नहीं। जहां पर बीबी बच्चे रहते है वह मकान है और जहां पर माता पिता,भाई बहन भी प्रेम और आदरभाव से रहते हैं वह ही असली घर है। हमने राम लक्ष्मण को नहीं देखा पर हम उन जैसा आदर्श अपने परिवार में तो कर ही सकते हैं।
डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने कहा कि अगर आपके मन में अहो भाव जाग जाए तो आपका जीवन सफल हो जाएगा लेकिन आज मकान, गहनों को देखने से ही फुर्सत नहीं है। गुणीजनों के गुण गाने से स्वयं में भी गुण आते हैं।

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