अजमेर 19 जुलाई, देहली गेट स्थित प्रेम प्रकाश आश्रम में हर वर्ष की भांति गुरू पूर्णिमा महोत्सव अत्यंत श्रद्धापूर्वक मनाया गया। संत ओम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि प्रातः काल से ही श्रद्धालुओं का अपने गुरू की पूजा करने हेतु अत्यन्त श्रद्धा के साथ आने का सिलसिला शुरू हुआ जो कि सायं काल तक निरंतर जारी रहा।
प्रातः काल स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री द्वारा प्रेमप्रकाश सम्प्रदायाचार्य सद्गुरू स्वामी टेऊँराम जी महाराज, स्वामी बसंतराम जी महाराज व अन्य सन्तों कीश्रीविग्रह (मूर्तियों) की पूजा की गई, तत्पश्चात् संत ओम प्रकाश शास्त्री द्वारा सत्यनारायण भगवान की कथा की गई। कथा का सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक श्रवण किया। इसके बाद स्वामी ब्रह्मानन्द जी महाराज ने अपने प्रवचन दिए ।
प्रातः काल से सायं काल तक गुरू पूजा करने का दौर जारी था। आश्रम में अहमदाबाद, सूरत, आगरा, ठासरा, जयपुर, जोधपुर, नड़ियाद आदि कई जगह से श्रद्धालुओं ने यहां गुरू पूजा के लिये आकर गुरू के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय दिया।
सायं कालीन सभा में स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री जी ने अपने प्रवचन में गुरू के प्रति जिज्ञासु के कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान काल में गुरू शिष्य का सम्बन्ध औपचारिकता मात्र रह गया है। हम गुरू को अपना नहीं मानते, हम उनसे नाम दीक्षा तो ले लेते हैं, परन्तु गुरू द्वारा दिखाई गई राह पर नहीं चलते, उनके उपदेशों का श्रवण कर वहीं छोड़ आते हैं, अगर हम उनकी बतायी हुई बातों का मनन कर उनको अपने जीवन में पालन करें तो अपना जीवन सफल कर सकते हैं। गुरू ने हमें नाम रूपी संजीवनी मंत्र हमें प्रदान किया है जिसके नित्य स्मरण से हम जीवन की किसी भी तरह की कठिनाई का सामना अत्यन्त सहजता से कर सकते हैं।
प्रवचन पश्चात् श्री गुरू महाराज की आरती व प्रसाद का वितरण किया गया। पूरे दिन में आश्रम में हजारों श्रद्धालुओं ने गुरू पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। अन्त में संत ओम प्रकाष जी द्वारा घोशणा की गई कि स्वामी ब्रह्मानन्द जी का 73वां जन्मदिवस 14 अगस्त को बड़े धूमधाम से आश्रम में मनाया जाएगा।