जिले के किसान करवा सकेंगे अपनी फसलों का बीमा

बीमा प्रीमियम पर सरकार दे रही है अनुदान
फसल खराबे पर मिलेगा मुआवजा
अजमेर, 3 नवम्बर। जिले के किसान अपनी फसलों का बीमा प्रधानमंत्राी फसल बीमा योजना के अन्तर्गत करवाकर फसल खराबे की स्थिति में मुआवजे के हकदार हो सकते है। फसल बीमा के लिए सरकार द्वारा नियमानुसार बीमा प्रीमियम पर अनुदान दिया जा रहा है। यह जानकारी कृषि विभाग के उपनिदेशक वी.के.शर्मा ने दी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्राी फसल बीमा योजना की अधिसूचना जारी होने के साथ ही यह योजना राजस्थान राज्य के 33 जिलों में लागू हो गई है। अजमेर जिले में योजना के क्रियान्वयन के लिए इफ्को-टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी का चयन किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2016-17 में भूमिधारक व बटाईदार, फसली ऋण लेने वाले कृषक तथा गैर ऋणी कृषक द्वारा फसलों का बीमा करवाया जा सकेगा। एक कृषक अधिकतम 7 हैक्टर तक अधिसूचित फसलों का बीमा अनुदानित दर पर करा सकता है। जिले में गेहू, जौ, चना, सरसों, तारामीरा तथा जीरा की फसलें योजनान्तर्गत अधिसूचित है।
उन्होंने बताया कि समस्त ऋणी कृषकों का बीमा बैंको द्वारा अनिवार्य आधार पर सात हैक्टेयर भूमि पर बोई गई फसल का अनुदानित दर पर किया जाएगा। इसी प्रकार गैर ऋणी कृषकों द्वारा आॅन-लाइन घोषणा पत्रा भरकर बीमा प्रस्ताव ई-मित्रा केन्द्रों, बैंको एवं बीमा कम्पनी द्वारा राज्य सरकार के बीमा पोर्टल पर दर्ज किए जाएंगे। इसमें कृषक का नाम, पिता का नाम, ग्राम, खाता नं., पटवार सर्किल, तहसील, बैंक खाता संख्या, बैंक के आईएफएससी कोड, कृषक की आधार संख्या, भामाशाह कार्ड संख्या, मोबाइल नम्बर तथा महिला अथवा पुरूष, अनुसूचित जाति, जनजाति अथवा अन्य कृषक श्रेणी और बीमित रकबा का विवरण शामिल करना होगा।
श्री शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्राी फसल बीमा योजना के आवेदन के साथ गैर ऋणी कृषकों को बीमा के लिए प्रस्तावित खाता की नवीनतम जमाबंदी नकल एवं अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। बीमित कृषक द्वारा जिस कृषक से बंटाई पर जमीन ली गयी है, वह संबंधित खातेदार से लिखित में यह शपथ पत्रा प्राप्त कर प्रस्तुत करेगा कि उस खातेदार के द्वारा बीमित कृषक को जमीन बंटाई पर दी गयी हैं। इस शपथ पत्रा में संबंधित कृषि भूमि का विवरण शामिल होगा। कृषक के निवासरत जिले की परिधि क्षेत्रा में ही बंटाई की भूमि मान्य होगी। इन शर्तो के पालन न होने की स्थिति में संबंधित गैर ऋणी कृषक का प्रधानमंत्राी फसल बीमा योजना का प्रस्ताव निरस्त माना जाएगा।
उन्होंने बताया कि बीमा कम्पनी द्वारा अधिकृत एजेन्ट, मध्यस्थी गैर ऋणी कृषकों से प्रीमियम राशि नकद प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन बीमा कम्पनी को प्रीमियम का भुगतान आरटीजीएस अथवा एलईएफटी के जरिए ही किया जाएगा। बीमा कम्पनी द्वारा गैर ऋणी कृषकों को देय मुआवजे का भुगतान बैंको के माध्यम से संबंधित कृषक के बैंक खाते में तय समय सीमा में हस्तान्तरित करना होगा। ऋणी व गैर ऋणी कृषक सात हैक्टर से अधिक बोई गई फसल का बीमा पूर्ण प्रीमियम अदा कर करवा सकता है। कृषकों द्वारा अलग-अलग वित्तीय संस्थानों से कृषि ऋण लेने की स्थिति में एक अधिसूचित क्षेत्रा एवं फसल का बीमा एक ही संस्थान से करवाना होगा। कृषक यदि दोहरा बीमा करवाने का प्रयास करता है तो बीमा पोर्टल उसे अस्वीकार कर देगा।
उन्होने बताया कि जिन ऋणी कृषकों ने अपनी अधिसूचित फसल के लिए नियमानुसार, फसलवार, तिथिवार तथा फसली ऋण बैंक से स्वीकृत करा कर आहरित किया हो उन्हे अधिसूचित फसल का बीमा सम्बन्धित बैंक के माध्यम से आवश्यक रूप से करना होगा। इसी प्रकार जिन गैर ऋणी कृषकों ने कृषि ऋण स्वीकृत नहीं करवाया हो उन्हें आॅन-लाइन प्रस्ताव पत्रा भरकर नजदीकी ई-मित्रा केन्द्र, बैंक शाखा अथवा अधिसूचित बीमा कम्पनी के एजेण्ट के माध्यम से संबंधित बीमा कम्पनी में निर्धारित दर से फसल बीमा हेतु प्रीमियम राशि जमा करवानी होगी। संबंधित गैर ऋणी कृषक का बैंक में खाता होना आवश्यक है। ऋणी एवं गैर ऋणी कृषकों को फसल बीमा हेतु आधार नम्बर बैंक को उपलब्ध करवाना अनिवार्य होगा।
उन्होंने बताया कि कृषक फसलों में हुए नुकसान की जानकारी बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर 18001035499 पर नुकसान के 48 घण्टे के भीतर बीमा कम्पनी के कार्यालय में दे सकते है। साथ ही कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय में फोन से या लिखित रूप से भी नुकसान की सूचना प्रदान की जा सकती है। इस योजना के अन्तर्गत वर्षा में कमी अथवा विपरित मौसमीय परिस्थितियों में बुवाई नही होने की स्थिति में असफल बुवाई की श्रेणी में आने पर, खडी फसल (बुवाई से कटाई) में सूखा, सूखा अवधि, बाढ, जलप्लावन, कीट एव व्याधि, भूस्खलन, प्राकृतिक आग एवं बिजली का गिरना, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, टाइफून, समुद्री तूफान, हरीकेन एवं टोरनेडो से होने वाले उपज में नुकसान के लिये क्षेत्रा आधार पर व्यापक जोखिम बीमा कवर उपलब्ध रहेगा। इसी प्रकार फसल कटाई उपरांत सूखने के लिये खेत में काटकर फैलाकर छोडी गई फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा एवं असामयिक वर्षा से होने वाले नुकसान के लिये कटाई उपरांत अधिकतम 02 सप्ताह (14 दिन) की अवधि के लिए एवं अधिसूचित क्षेत्रा में पृथक खेतों में ओलावृष्टि, भू-स्खलन एवं जलप्लावन से व्यक्तिगत आधार पर हुए नुकसान के लिए भी मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अजमेर जिले के लिए जीरा, चना, सरसों तथा तारामीरा की फसलों के लिए 30 नवम्बर तथा जौ एवं गेंहू की फसलों के लिए 31 दिसम्बर तक बीमा करवाया जा सकता है। प्रति हैक्टेयर बीमीत राशि जौ के लिए 22 हजार 355, जीरा के लिए 36 हजार 74, चना के लिए 15 हजार 224, सरसों के लिए 20 हजार 536, तारामीरा के लिए 16 हजार 371 तथा गेंहू के लिए 31 हजार 16 रूपए निर्धारित की गई है। कृषक को प्रति हैक्टेयर जौ के लिए 335, जीरा के लिए एक हजार 804, चना के लिए 228, सरसों के लिए 308, तारामीरा के लिए 246 तथा गेंहू के लिए 465 रूपए का प्रीमियम जमा करवाना होगा।

error: Content is protected !!