एण्ड टीवी एक्टर्स ने पर्यावरण को लेकर जिम्मेदार नागरिक के तौर पर साझा किये अपने विचार

लॉकडाउन में रहते हुए अभी हमें मुश्किल से तीन महीने हुए हैं और धरती मां में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। यह सबूत हम सबके लिये काफी है कि हमें अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिये अपनी कुछ आदतों को बदलने और एक सेहतमंद लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है। साथ ही पर्यावरण के लिये सोच-समझकर निर्णय लेना जरूरी है। हर व्यक्ति को चाहे वह बूढ़ा हो या जवान, उन्हें मौसम में बदलाव का हिमायती होना चाहिये और प्रकृति मां से जुड़ी सभी चीजों का ख्याल रखना चाहिये। हम सबके लिये अब यह बात पहले से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है कि हम अपने प्रयासों को दिशा दें और पर्यावरण की सुरक्षा के लिये पर्याप्त कदम उठायें। पर्यावरण दिवस के मौके पर एण्ड टीवी के कलाकारों ने बताया कि किस तरह छोटे-छोटे प्रयास भी पर्यावरण में बेहतर बदलाव ला सकते हैं।

भारत के सबसे स्वच्छ शहर, इंदौर से आयीं ‘हप्पू की उलटन पलटन’ की दबंग राजेश ने कहा, ‘‘ऐसे कम ही एक्टर्स हैं जो गर्व के साथ कह सकते हैं कि मैं भारत के सबसे स्वच्छ शहर से हूं। इंदौर शहर लगातार चार बार से स्वच्छता के सालाना सर्वे ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ में सबसे ‘स्वच्छ शहर‘ की श्रेणी में रहा है! भारत का ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और इंदौर का स्वच्छता की राह पर चलना, हर शहर और हर नागरिक के सामने एक उदारण पेश करता है कि वह इससे सीख लें। जब हम अपने घरों को साफ रख सकते हैं तो फिर हम अपने शहरों को क्यों नहीं? साफ-सफाई रखना ना केवल एक अच्छी आदत है बल्कि एक इंसान होने के नाते पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है। यदि हर कोई इस तरह सोचने लगे तो बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

वह आगे कहती हैं, ‘‘जहां से भी हो सकता है मैं कचरा उठाती हूं और जिम्मेदारी के साथ उसे डिस्पोज करती हूं। जब से मैंने ऐसा करना शुरू किया है, खुद में एक बदलाव महसूस किया है। मुझे खुद के लिये अच्छा महसूस होने लगा है। अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने से हमें अपनी सोच को भी साफ रखने में मदद मिलती है, हमारा दिमाग स्वच्छ रहता है। पर्यावरण को साफ-सुथरा रखना सबकी जिम्मेदारी है।’’

एण्ड टीवी के ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी’ की समता सागर ना केवल काबिल कलाकारों में शुमार हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति सजग रहने वाली इंसान भी हैं। पर्यावरण दिवस के मौके पर, समता कहती हैं, ‘‘पानी इंसानों के जीवन का आधार है और हर दिन के कामों में इसकी जरूरत पड़ती है। हममें से बहुत लोग इस बात से अनजान हैं कि हम कितने खुशकिस्मत हैं हमारे पास हर समय पानी उपलब्ध रहता है। जबकि दुनिया के कई हिस्सों में, पानी की कमी की समस्या बढ़ती जा रही है। उस दृश्य की कल्पना कीजिये कि सिर्फ एक बाल्टी पानी भरने के लिये घंटों लाइन में इंतजार करना पड़े। पानी का संरक्षण बेहद ही जरूरी मुद्दा है, खासकर हमारे जैसे बेहद ही घनी आबादी वाले देशों के लिये। यहां मानसून का मौसम भी आता है, आइये हम उसे हल्के में ना लें। जितना हो सके उतना पानी बचायें। कम मात्रा में पानी का इस्तेमाल करें, सब्जियों को धोने के बाद उस पानी का उपयोग पौधों में डालने के लिये करें। ऐसे कई सारे तरीके हैं, जिसकी मदद से हम पानी बचा सकते हैं,ताकि बाकी लोगों को भी अपने हिस्से का पानी मिल सके।’’

एण्ड टीवी के ‘कहत हनुमान जयश्रीराम’ में बाली बने, निर्भय वाधवा, वन्यजीवों को बचाने के लिये तत्पर रहते हैं। इस काम में हमेशा आगे रहने वाले, निर्भय कहते हैं, ‘‘मैं जानवरों, खासकर वन्य-जीवों की सुरक्षा को लेकर बेहद सजग रहता हूं। मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर, अक्सर वन्य-जीवों को बचाता रहता हूं। हम कई बार इस तरह की व्यवस्था करते हैं कि वह सुरक्षित रूप में अपने प्राकृतिक निवास तक पहुंच जायें। आज के समय में, हमारे जीने के तौर-तरीकों खासकर, खाने-पीने, कपड़े पहनने के तरीके, इमारतों के निर्माण की वजह से जानवरों की कई सारी प्रजातियां ऐसी हैं, जिन्हें सुरक्षा की बेहद जरूरत है।

वन्यजीवों की सुरक्षा पर जोर देते हुए निर्भय आगे कहते हैं, ‘‘आज हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हमें एक-साथ रहने का रास्ता ढूंढना ही होगा, वरना हमारा अंत हो जायेगा। वन्यजीवों और अन्य जानवरों के बिना, हम जीवित नहीं रह सकते। हम सबने फूड चेन और फूड वेब के बारे में पढ़ा है। पर्यावरण दिवस के मौके पर, आइये हम फिर से पर्यावरण के उन अध्यायों को पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लाने में मदद करें।’’ निर्भय वाधवा पहले ‘पेटा’ के लिये रैम्प वॉक भी कर चुके हैं।

‘संतोषी मां- सुनाएं व्रत कथाएं’ के आशीष कादियान पर्यावरण से जुड़े मुद्दों और उससे जुड़े उपायों पर बड़ी ही बेबाकी से बोलते आये हैं। इस पर्यावरण दिवस पर, वह कहते हैं, ‘‘लॉकडाउन 5.0 और लोगों को 30 जून तक घरों के अंदर रहने की सलाह के साथ, हमें नहीं पता कि पूरी तरह से सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा। लेकिन घर पर रहते हुए भी हम अपने पर्यावरण को नज़रअंदाज नहीं कर सकते। हम सबको इसके संरक्षण के लिये छोटे-छोटे प्रयास करने की जरूरत है। लोगो के घर पर रहने का मतलब है बिजली की ज्यादा खपत। ऐसे में परिवार के लोग सोच-समझकर इसका उपयोग कर सकते हैं। इसके बारे में परिवार के सभी लोगों को पता होना चाहिये। बिजली का अंधाधुंध उपयोग कई तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है! लॉकडाउन के दौरान मैं और मेरी मां इस बात का पूरा ख्याल रख रहे हैं कि बिजली का कम से कम उपयोग करें। छोटी-छोटी बातें जैसे जब डिवासेस का इस्तेमाल ना कर रहे हों तो उन्हें अनप्लग कर दें। ये चीजें बिजली बचाने में काफी मददगार हो सकती हैं। साथ ही हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक छोटा-सा योगदान दे सकते हैं।’’

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