बढ़ रही है आप कार्यकर्ताओं की दादागिरी

-कुलीना कुमारी- जब से आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस व भाजपा के साथ विधानसभा चुनाव में खड़ा हुआ, लोगों के बीच एक नई उम्मीद पनपी व लोगों ने सोचा कि कांग्रेस व भाजपा का शासन तो देख लिया, एक नये आदमी के रूप में अरविंद केजरीवाल व उसकी पार्टी कुछ नया करेगी, वह तो जरूर जनता से किए वादे पूरे करेगी, जैसे सोच के फलस्वरूप आम आदमी पार्टी को पहली बार के चुनाव में ही 28 सीट मिला। लेकिन सबसे अधिक सीट भाजपा को मिली। यद्यपि उसे भी बहुमत नहीं मिला व ‘आप’ द्वारा उसे समर्थन नहीं दिया गया।

लेखिका महिला अधिकार अभियान की संपादक हैं
लेखिका महिला अधिकार अभियान की संपादक हैं

उस समय लगा था कि आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले जो वादा किया था उसी दिशा में जा रहा है, उसने कहा था कि कांग्रेस व भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे। तभी तो किरण वेदी का यह सुझाव कि भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाया जाय, इसको भी खारिज कर दिया गया था व बताया गया था कि कांग्रेस, भाजपा एक ही है, किसी के साथ हाथ नहीं मिलाना। लेकिन ‘आप’ का यह ढकोसला थोड़े दिनों के बाद खत्म हो गया जब कांग्रेस ने समर्थन देना स्वीकार किया। अब उसके साथ मिलकर अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है व जल्द ही अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
चूंकि आम आदमी पार्टी का मुख्य ध्येय इस संदेश को फैलाना था कि यह पार्टी आम जनता को महत्व देती है, इसके लिए उसने सरकार बनाने में जनता से राय मांगी, वेबसाइट, फोन, एसएमएस, परचा व जगह-जगह मीटिंग आयोजित कर लोगों से उसके विचार भी पूछे व जनता द्वारा दिए जा रहे समर्थन के परिणामों को जोर-शोर से उठाया गया। इसके तहत सरकार बनाने के दावे के साथ केजरीवाल ने बताया कि वेबसाइट, फोन, एसएमएस के माध्यम से अधिकतर लोग आम आदमी पार्टी के सरकार बनाने के हक में हैं।
इस संबंध में मेरा मानना है कि अगर वेबसाइट, फोन व एसमेस के जरिये जनता की राय जान कर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा तो चुनाव व मतदान प्रक्रिया की क्या जरूरत है। अगर जरूरत है और अधिकतर जनता आम आदमी पार्टी के साथ था तो उसे 70 विधानसभा सीटों में से 60 सीटें मिलनी चाहिए, कम से कम 36 तो जरूर। अगर परिणाम सबके सामने है, तो वेबसाइट, फोन, एसएमएस के माध्यम का खेल क्यों? ध्येय साफ है, आम लोगों को शामिल किए जाने का आभास दिला कर दिल्ली की गद्दी तो चाहिए ही, लोकसभा चुनाव में पत्ता साफ न हो, इस वजह से कि कांग्रेस सत्ता के विरोध में ‘आप’ चुनाव लड़ा व उसी से हाथ मिला लिया, इसी की तैयारी अभी से चल रही है।
पूरे घटनाक्रम से बाह्य तौर पर जनता खुश दिखाई देती है। वह इसीलिए खुश है कि अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद बिजली के दाम घट जाएंगे व महंगाई कम हो जाएगी। जबकि केजरीवाल ने अन्य राजनीतिज्ञों के तरह तीन महीने तक के लिए एजेंडे की घोषणा की है जबकि आम जनता को एजेंडा नहीं एक्शन चाहिए। जबकि अगर यह संभव है किसी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए (पद संभालते ही) सरकुलर जारी कर बिजली का दाम घटाये जाने का या किसी वस्तु पर मूल्य नियंत्रण करने का, तो उसके लिए लोकसभा चुनाव तक का समय लेने की जरूरत क्या है? अगर अवैध कॉलोनी के नियमित करने का ही मामला है तो तत्काल प्रभाव से उसे क्यों नियमन नहीं किया जा सकता है, जिस तरह पिछली कांग्रेस सरकार ने पहले करीब 900 कॉलोनियों को पहले नियमित किया, फिर उसकी बुनियादी जरूरतों पर ध्यान दिया गया, ऐसा ही कुछ ‘आप’ सरकार द्वारा भी किया जा सकता है। अवैध कॉलोनी के नियमन से वहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा, फिर ऐसी कॉलोनी में छोटे-बड़े सभी तरह के लोग इंवेस्टमेंट करेंगे, वहां रहने वाले लोगों को न्यूनतम जरूरत के लिए लोन मिलना आसान होगा व सबसे अधिक फायदा वहां के लोगों में नियमित कॉलोनी में रहते हैं, इसका आत्मविश्वास रहेगा।
इसी तरह अस्थायी कर्मचारी के संबंध में भी सरकार द्वारा तत्काल प्रभाव से नियमन करने की घोषणा की जा सकती है, लोकसभा चुनाव तक का समय लेने की जरूरत क्या है। इसी तरह महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्पेशल सुरक्षा दल गठित करने की बात की गई है, इसको तो वे जैसे चाहे करें लेकिन अगर वे सचमुच महिलाओं का कल्याण चाहते हैं तो पंचायती राज्यों के तरह विधानसभा में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाय लेकिन इस संदर्भ में कोई बात भी नहीं उठायी जा रही है।
आम आदमी पार्टी का उद्देश्य साफ है कि किसी तरह जनता को भरमाकर लोकसभा चुनाव तक टाला जाय, लोकसभा चुनाव में जनता से अधिकाधिक वोट प्राप्त की जाय, फिर दिल्ली क्यों? पूरे देश पर शासन किया जाय।
हमें ‘आप’ के इस उद्देश्य से भी इंकार नहीं है। अगर सत्ता का मतलब जनता में भ्रम पैदा कर या उसे मूर्ख बनाकर उस पर शासन करना है तो अरविन्द केजरीवाल को भी मुख्यमंत्री पद मुबारक हो। आजादी के 65 सालों से देश की जनता को मूर्ख बनाकर शासन करने में कांग्रेस व भाजपा मुख्य पार्टी के रूप में रही है, इस दौर में आम आदमी पार्टी भी सही।
हमें तो दिक्कत आम आदमी पार्टी द्वारा जो देश भर में बहुआयामी नेटवर्क खड़ा करने के नाम पर आम जनता को पार्टी का सदस्य बनाने व टोपी पहनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है, उससे लग रहा है। इसकी शुरुआत देश की राजधानी से जोर-शोर से शुरु हो गई है। इसके तहत लोगों से सामाजिक सुरक्षा के नाम पर 25 रुपये लिया जा रहा है, जिसमें 10 रुपये की सदस्यता शुल्क व 15 रुपये की टोपी शामिल है। ‘आप’ के कार्यकर्त्ता द्वारा बताया जा रहा है कि यदि किसी के साथ ‘सरकार विभाग में काम में आनाकानी’, रिश्वत मांगने, पुलिस उत्पीड़न या फिर अपराध से संबंधित आती है तो सदस्यता लेने वाले व्यक्ति को पार्टी के फोन पर एसएमएस भेजना है, आप के कार्यकर्त्ता उसके मदद के लिए हाजिर होंगे लेकिन उसके लिए पीड़ित व्यक्ति के पास ‘आप’ की टोपी होनी चाहिए। यह कितना बड़ा मजाक व बकवास है कि किसी व्यक्ति को कोई सामाजिक समस्या हो, उस समय उसकी कैसी भी स्थिति हो लेकिन वह ‘आप’ की टोपी ले जाना नहीं भूले। अर्थात् जो ‘आप’ द्वारा ‘टोपी पहनने से इंकार करें, उसकी बात नहीं सुनी जाएगी। यह भी क्या कम सोचनीय है कि जब दिल्ली में आप की सरकार बन रही है तो भी क्या केजरीवाल दिल्लीवासी का मुख्यमंत्री नहीं कहलाएगा, सिर्फ आप व उसकी कार्यकर्त्ताओं की मुख्यमंत्री कहलाएगा, अगर ऐसा नहीं है तो उसकी जिम्मेदारी दिल्ली के तमाम जनता के प्रति होगी। फिर केजरीवाल व उनकी पार्टी द्वारा कैसा ये खतरनाक खेल खेला जा रहा है कि जो जनता उसकी पार्टी की टोपी पहनेगी या उसकी हां में हां करेगी, उसको तो सामाजिक सुविधाएं मिलेगी, जो उसकी टोपी नहीं पहनेगा, उसकी सामाजिक सुविधा मिलना तो दूर की बात है, उसका जीवन भी खतरे में है। पिछले दिनों की कुछ घटनाओं ने मेरे इस विश्वास को पुख्ता किया है।
मेरे एक परिचित ने एक बस में अपनी एक अन्य मित्र से आम आदमी पार्टी के विरोध में अपनी विचार प्रकट कर रहा था, उसी बस से गुजर रहे कुछ आप के कार्यकर्त्ता को जैसे ये पता चला कि यह व्यक्ति आप का विरोधी है, उसने हमारे उस परिचित की खूब पिटाई की। एक अन्य बस में जिससे मैं खुद सफर कर रही थी, एक बुजुर्ग ने भी सभी राजनेताओं को बुरा बताया था जिसमें उसने ‘आप’ को भी शामिल किया था। उसकी इन बातों को सुनकर कुछ आप के जवान उसे मारने को उतारू थे। तीसरी घटना यह है कि इस विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए ‘आप’ के लोगों द्वारा निकाले गये रैली में जानकारी होने के बावजूद मेरे एक रिश्तेदार उसकी रैली में शामिल होने को बाहर नहीं निकले तो उनके मुख्य दरवाजे को बाहर से बंद करके चला गया। इसके अलावा कई अन्य घटनाएं भी ‘आप’ के काले कारनामे के तरफ इंगित करती रहती है। हाल ही में एक फोटोग्राफर जब आप के कार्यक्रम में एक बच्चे द्वारा बांटते हुए परचे को अपने कैमरे में कैद कर रहा था, तो ‘आप’ के लोगों द्वारा उसके साथ मारपीट की गई। ‘आप’ व उसके लोगों द्वारा उसके खिलाफ जाने वाले व्यक्ति के साथ जैसा व्यवहार किया जा रहा है, ऐसा तो ममता बनर्जी के द्वारा भी नहीं किया गया। ममता बनर्जी के सरकार ने तो उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को जेल में डालने का कार्य किया लेकिन ‘आप’ के लोग तो उसके खिलाफ चलने वाले लोगों को वही पीटना शुरू करते हैं व वही फैसला कर देते हैं, कानून प्रक्रिया तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं छोड़ता।
इन घटनाओं के जरिये कहा जा सकता है कि किसी लेखक, विचारक, सामाजिक कार्यकर्त्ता या किसी आम जनता का किसी सार्वजनिक स्थल पर केजरीवाल व उसकी पार्टी के खिलाफ कुछ बोलना उसके जीवन के लिए ठीक नहीं है। यद्यपि ये सारी घटनाएं केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनना तय होने के पहले का है लेकिन आज जो ‘आप’ द्वारा ये उद्घोषित किया जा रहा है कि जो उसे 25 रुपये देगा व उसकी टोपी पहनेगा, सामाजिक सुरक्षा सिर्फ उसी को, बाकी को सामाजिक सुरक्षा नहीं, मेरे इस आशंका को बल प्रदान करता है। यह उद्घोषणा सचमुच अपने देश की जनता को गुलाम बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत है। ‘आप’ द्वारा जनता में अभिव्यक्ति का अधिकार खत्म किया जा रहा है और सिर्फ केजरीवाल की जीहुजूरी हो व सिर्फ उसके पास सारे अधिकार हो, इसके प्रयास तेज किए जा रहे हैं, विधायकों व पार्षदों को दिए जाने वाले विकास फंड पर भी रोक लगाने की बात की जा रही है। ये सब केजरीवाल का सच होने के बावजूद जब दिल्ली पुलिस अधिकारी द्वारा भावी मुख्यमंत्री को जेड श्रेणी की सुरक्षा देने का प्रस्ताव भेजा जाता है तो वे कहते हैं कि उन्हें सुरक्षा की जरूरत नहीं है। अरे भई, जब आपको सुरक्षा की जरूरत नहीं है तो पूरे देशवासी को आप ‘आप’ टोपी पहनाकर क्यों गुमराह कर रहे है? कहीं ये बात तो नहीं कि आपको मात्र दस-बीस पुलिस बल अपनी सेवा के लिए नहीं चाहिए, बल्कि सेवा में ‘आप’ की टोपी पहने पूरी आम जनता ही चाहिए जो चौबीसों घंटे आपकी निगरानी कर सकें।
केजरीवाल जी आप आम जनता के कैसे नेता है जो जनता से उसकी पहचान छीनते जा रहे हैं। उसे ड्रेस कोड पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
मुझे तो लगता है कि सामाजिक सुरक्षा देने के नाम पर ‘आप’ द्वारा 25 रु. लेकर सदस्यता अभियान के रूप में लोकसभा चुनाव के लिए पैसे इकट्ठा किया जा रहा है। 121 करोड़ से अधिक के आवादी वाले देश में अगर 25 प्रतिशत लोग भी उसके सदस्य बनते हैं तो लोकसभा चुनाव के लिए ‘आप’ के पास 1 अरब से अधिक की पूंजी इकटठी हो जाएगी।
यहां तक भी ठीक है लेकिन ‘आप’ द्वारा सदस्यता अभियान के नाम पर 25 रु. जनता से लेने के बावजूद सामाजिक सुरक्षा के लिए टोपी पहनना इतना जरूरी बताया जा रहा है जैसे किसी नक्सली द्वारा दिया जाने वाला ऐसा फतवा हो कि लड़की सूट-सलवार में ही होगी, वरना उसे उठा लिया जाएगा। एक और प्रश्न विचारणीय है कि जब किसी को किसी अन्य से समस्या होगी तो ‘आप’ की टोपी पहने आम जनता ‘आप’ से मदद लेगी लेकिन जब ‘आप’ खुद समस्या का कारण होगा व जनता को उसके लोगों से परेशानी होगी तो समस्या का निराकरण कौन करेगा?
अतः ‘आप’ का इतिहास व वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि केजरीवाल व ‘आप’ का बढ़ता प्रभुत्व उन लोगों के लिए खतरनाक है, जिन्हें गुलामी प्रिय नहीं। ‘आप’ का प्रभाव उन लेखकों के लिए खतरनाक है जो वेबाक होकर टिप्पणी करते हैं व जिनका लेखक धर्म यह है कि जो कोई भी अच्छा काम करें, उसकी तारीफ में लिखना व जो बुरा करें, उसकी आलोचना करना। उन सामाजिक कार्यकर्त्ताओं व विचारकों के लिए भी शायद केजरीवाल के शासन में स्थान नहीं, जिन्हें सच कहने की आदत है। कुछ यही हाल उस जनता का भी होने वाला है जो ‘आप’ के हिसाब से चलने से इंकार करेगा।
पता नहीं ‘आप’ और केजरीवाल के इस भंवर जाल से अब देश को कौन बचाएगा?
http://www.hastakshep.com

1 thought on “बढ़ रही है आप कार्यकर्ताओं की दादागिरी”

  1. Great Expectations

    People of Delhi have ” Great Expectations ” from AAP government

    And people of India will be watching how well AAP delivers on those expectations before 2014 general elections

    Will AAP manage to deliver on its promises ?

    Here is when great expectations turn into ” Unreasonable Expectations ” !

    TV anchors are asking this question to every single AAP leader – all the time

    And , they are also asking this question to sundry BJP / Congress leaders as well

    Asking persons who are taking vicarious pleasure in predicting that AAP will fail miserably

    Other than a random AAP leader ( notably , Arvind Kejriwal himself ), no one is saying ,

    ” Of course , AAP will fail to deliver on some of those promises – especially
    those promises which require a YES nod from Central Government

    Of course , AAP may have made some miscalculations

    Of course , AAP has no experience in running a government

    Of course , AAP will make some mistakes

    Of course , AAP has no solutions to ALL the problems of Delhi

    So what ?

    In 2009 , didn’t Congress promise to ,

    > abolish poverty ( as it has been promising for past 66 years ) ?

    > bring inflation under control within 100 days of coming to power ?
    – and then repeating that promise , every 100 days ?
    – and even forcing Planning Commission and the RBI governor to say
    the same thing at every quarterly review ? ”

    Obviously , the vanquished are in a tearing hurry to write an epitaph on AAP’s tombstone !

    I am reminded of the vultures circling in the sky when they see an animal dying on the ground !

    Are you surprised that the political vultures are waiting for AAP government to die / fail ?

    Are TV anchors allowing these vultures to use their powerful media to bring about , a ” Self – fulfilling Prophesy ” ?

    Have we become an ant crawling on a M F Hussein painting , which cannot step back and see it in perspective , in all its glory ?

    On midnight of 15th August 1947 , I walked with the crowds of people ( all of them Aam Aadmi ) , from Shivaji Park to Gateway of India , in Mumbai

    It took me 12 hours to walk that distance

    But I was lucky to have witnessed history in the making

    And now , after a lapse of 66 years , I am lucky once again , to be witnessing , another glorious moment of history !

    Let us celebrate the arrival of our second freedom – the Surajya

    Let us celebrate the beginning of the end of Cancer of Corruption

    Let us celebrate the re-birth of the Common Man – the Aam Aadmi

    * hemen parekh ( 28 Dec 2013 / Mumbai )

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