फेसबुक ईट्स वाट्स एप

whats_app-संजय तिवारी- तकनीकि की दुनिया की राजनीति में कभी ऐसे ही तरीकों का इस्तेमाल करके गूगल ने याहू को घुटने के बल बैठने के लिए मजबूर कर दिया था। नित चार साल में तब्दील होती तकनीकि की दुनिया में गूगल के उभार के आठ साल बाद से ही गूगल को वही चुनौती फेसबुक से मिल रही है। फेसबुक से लगातार मिल रही चुनौतियों में गूगल समूह के लिए यह शायद सबसे बड़ी चुनौती होगी जब फेसबुक समूह ने अमेरिका के ही इंटरनेट आधारित मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर वाट्स एप का निवाला छीनने में कामयाबी हासिल कर ली। करीब एक पखवाड़े की गुपचुप जोड़ तोड़ के बाद 19 फरवरी को फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने ऐलान कर किया कि अब वाट्स एप फेसबुक नेशन का हिस्सा है। और इस हिस्सेदारी के लिए फेसबुक ने जो रकम दांव पर लगाई है वह इतनी है कि सुनकर कोई भी दांतों तले अंगुली दबा ले। फेसबुक ने वाट्स एप्प को 19 अरब डॉलर अदा करने का वचन दिया है।
भारतीय रूपयों में आंकलन करें तो फेसबुक वाट्स एप को 1 लाख 17 हजार करोड़ रूपये से अधिक की कीमत अदा कर रहा है। रकम अदायगी तीन तरीके से की जाएगी। इसमें 4 अरब डॉलर नकद बाकी पैसा फेसबुक शेयर और स्टॉक कीमत के रूप में अदा की जाएगी। फेसबुक का बाजार मूल्य देखें तो अपने अपनी औकात का दसवां हिस्सा अकेले वाट्स एप को खरीदने में खर्च कर दिया है। इस खरीदारी के बाद से तकनीकि दुनिया में मचे हड़कंप के साथ साथ पहला सवाल यही है कि क्या फेसबुक ने फायदे का सौदा किया है या उसने एक अप्लीकेशन पाने के लिए जरूरत से ज्यादा पैसा खर्च कर दिया है?
महज चार साल पहले 2009 में शुरू हुए वाट्स एप ने इतनी तेजी से लोकप्रियता हासिल की है कि फेसबुक भी पछाड़ खाकर गिर गया है। चार साल के भीतर वाट्स एप्प के 45 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं और दर रोज दस लाख नये लोग वाट्स एप्प डाउनलोड करते हैं। ताजा आंकड़ा बता रहा है कि प्रतिदिन 53 अरब टेक्स मैसेज वाट्स एप के जरिए इधर से उधर जाते हैं। 60 करोड़ फोटोग्राफ और 10 करोड़ वीडियो। आप सोच सकते हैं कि जो मैसेजिंग सर्विस इतना डाटा प्रतिदिन प्रोसेस कर रही है उसका अपना बड़ा सेट अप और बहुत बड़ा बजट भी होगा। लेकिन मजेदार यह है कि वाट्स एप एक मैसेजिन्ग सर्विस है और न ही उसका अपना कोई डाटा सेन्टर है और न ही तकनीकि का कोई बड़ा तामझाम। महज पचास लोगों की एक छोटी सी टीम ने पूरी दुनिया में संदेश वाहन के सारे तरीकों को धता बता दिया। लेकिन वाट्स एप की सफलता का सबसे बड़ा कारण वह है जो अब तकनीकि की दुनिया का सबसे बड़ा कैरियर बन गया है। मोबाइल। वाट्स एप मोबाइल मैसेजिंग सर्विस है और इसकी सफलता का यही शायद सबसे बड़ा कारण भी है कि चार साल के भीतर इसके उपभोक्ताओं की संख्या 45 करोड़ के पार पहुंच गई।
मोबाइल मैसेजिंग की दुनिया में परंपरागत एसएमएस और एमएमएस को पहली बड़ी चुनौती ब्लैकबेरी ने तब दी थी जब उसने ब्लैकबेरी मैसेन्जर सर्विस (बीबीएम) लांच की थी। लेकिन बीबीएम मैसेन्जर की विशिष्टता ही आखिर में उसके लिए संकट बन गई। सिर्फ ब्लैकबेरी डिवाइस पर काम करनेवाली यह मैसेन्जर सर्विस लंदन में दंगों का दोषी तो पाई गई लेकिन यह कभी भी सबके लिए सर्वसुलभ नहीं हो पाई। स्मार्टफोन मोबाइल की बढ़ती मांग ने भले ही मोबाइल को बहुउद्देश्यीय बना दिया हो लेकिन इसके बाद भी मोबाइल डिवाइस पर टेक्स्ट मैसेजिंग की मांग में कोई कमी नहीं आ रही थी। शायद इसी कमी को वाट्स एप ने पूरा किया और बीबीएम की तर्ज पर वाट्स एप के निर्माताओं ने एक टूल डेवलप कर लिया जो ब्लैकबेरी की तरह किसी एक खास आपरेटिंग सिस्टम का मोहताज नहीं था। इस बाधा के टूटते ही वाट्स एप राकेट की तरह नई ऊंचाईंयों पर पहुंचता गया और कोई आश्चर्य नहीं कि आज चार साल में वह जहां है, अगले चार साल में वह उससे भी चार गुना आगे हो। क्यों न हो आखिरकार वाट्स एप्प सालाना 100 प्रतिशत से भी अधिक की दर से आगे जो बढ़ रहा है।

संजय तिवारी
संजय तिवारी

स्मार्टफोन की दुनिया में सभी महत्वपूर्ण चारों प्लेटफार्म (एन्डरॉयड, एप्पल, ब्लैकबेरी और विन्डोज) पर काम करनेवाला वाट्स एप अब अपेक्षाकृत कम इस्तेमाल होनेवाले सिंबियन आपरेटिंग सिस्टम पर भी काम करता है और नोकिया के आशा सीरिज फोन के लिए वाट्स एप्प के एप्लीकेशन डेवलप किया है। इसलिए मोबाइल की दुनिया में जितनी तेजी से स्मार्टफोन का चलन बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल सोशल नेटवर्किंग साइट्स के लिए अवसर भी बढ़ रहे हैं। खुद फेसबुक का बड़ा जोर इस वक्त मोबाइल वर्जन पर है और अकेले गूगल के एन्डरॉयड आपरेटिंग सिस्टम पर पचास करोड़ से फेसबुक डाउनलोड दर्ज हैं। फेसबुक के मोबाइल वर्जन के कारण ही आज वह सोशल नेटवर्किंग का बेताज बादशाह बन गया है। हालांकि फेसबुक मैसेन्जर के नाम से फेसबुक मैसेजिंग सर्विस भी प्रदान करता है लेकिन लोकप्रियता के मामले में वह वाट्स एप से काफी पीछे है।
मोबाइल की इस बढ़ती ताकत के पीछे अगर साफ्टवेयर के साथ गूगल खड़ा है तो अप्लीकेशन के रूप में फेसबुक सबसे ताकतवर होकर उभरना चाहता है। फेसबुक बीते कुछ समय से मोबाइल पर मौजूद एप्स को खरीदने की कोशिश कर रहा है। फोटोग्राफी टूल इंस्टाग्राम को वह पहले ही खरीद चुका है और खबर है कि फोटो चैट एप्लीकेशन स्नैपचैट को भी खरीदने की होड़ में शामल है। जाहिर है, फेसबुक के कर्ताधर्ता मोबाइल डिवाइस पर अपनी इस बढ़त को कायम रखना चाहते हैं इसलिए उन्होंने वाट्स एप पर इतना बड़ा दांव लगाया है। लेकिन इस मंहगी खरीदारी के साथ ही तकनीकि दुनिया में एक और बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि फेसबुक इतनी बड़ी रकम वसूली कैसे करेगा? क्योंकि वाट्स एप विज्ञापन नहीं बेचता और शुरू के एक साल मुफ्त सेवा देने के बाद बाद सालाना 1 डॉलर की कीमत वसूल करता है। फेसबुक ने साफ किया है वह वाट्स एप पर विज्ञापन नहीं बेचेगा। यानी सेवा जैसी थी वैसी ही बनी रहेगी। अगर वाट्स एप्प के एक्टिव यूजर्स की संख्या के अनुसार लागत वसूली को भी देंखे तो फेसबुक के लिए यह आनेवाले दिनों में भी घाटे का सौदा नहीं होने जा रहा। बशर्ते जीमेल इस्तेमाल न करने देने की तर्ज गूगल अपने आपरेटिंग सिस्टम पर कोई बड़ी अड़चन न पैदा कर दे। हालांकि इसकी संभावना न्यूनतम है फिर भी कारपोरेट वार में कुछ भी नाजायज कहां होता है? http://visfot.com

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