-दीपक पारीक, अधिवक्ता, शाहपुरा- चेटीचण्ड के अवसर पर सिन्धी समाज के कार्यक्रम मे जान हुआ। तो मुझे हमारे पेशवानी जी पत्रकार की माता जी कि बात को सुनकर दिल को काफी आघात पहुँचा की देश के बटवारे में बंगालियों का आधा बंगाल, पंजाबियों को आधा बंगाल दिया गया। किन्तु सिन्धियों को क्या मिला? हमें हमारी मातृभूमि से महरूम कर दिया गया।
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हमारे वकील वासवानी जी हमेशा से कहते है कि सिन्धी समाज युं माने तो असली हिन्दु वो ही है इतिहास उठा कर देखे तो सिन्ध में वो ही रहते थे। जहां से हम हिन्द व बाद में हिन्दु नाम मिला।
आज उस समय का सबसे समृद्ध समुदायों मे से एक सिंधी समाज बीच चौराहे पर आ खड़ा हुआ। आखिर सिन्धियों के लिये आधे सिन्ध की माग क्यों नही किया गया। क्या सिंधी समाज भारतीय जनमानस का अंग नही था। देश मे उन्हे शरणार्थियों की तरह छोड़ दिया गया।
यह वह समाज था जो पाकिस्तान निर्माण के समय सबसे अधिक प्रभवित हुआ था। गांधी जी को पाकिस्तान को रूपये देने की सुध थी किन्तु इन सिन्धीयों की कोई सुध नही थी जिनके नाम पर आज भी पाकिस्तान में सिन्ध प्रान्त है। काग्रेस चाहती तो सिन्धु नदी के तरफ का भारत की ओर का सिंध प्रान्त की मॉंग कर सकती थी। किन्तु काग्रेस कि इस भूल के कारण यह समुदाय अपने अपनी अरबो खरबों से ज्यादा की सम्पति छोड़ने पर विवश हुई।
अाखिर आजादी के समय इस धर्म को हितों की अन्देखी करना किसकी भूल थी ? इस समाज को इनके घर से ऐसा निकाला गया कि जैसे किसी कुत्ते के सामने एक रोटी का टुकड़ा डाल कर बुलाओं और फिर जोर एक एक लाठी मार दों। बड़ा कष्ट होता है अपनी मातृभूमि को छोड़ने की। क्या बीतता होगा इन पर? किसी ने इनकी खबर ली? मुस्लिमों के लिये खच्चर सच्चर कमेटी का गठन आवाश्यक है किन्तु सिंधी समाज की तरह अन्य वह धर्म व समुदाय जो वास्तव मे अल्पसंख्यक है उनके लिये किसी प्रकार की योजना कभी कांग्रेस ने नही बनाई। अखिर क्यो ??
आज मै जब कुछ नये सिन्धी बच्चो से मिलता हुं तो उनको हिन्दी आती है ,राजस्थानी आती है पर सिन्धी नही आती हैं। अरे उनकी संस्कृति लुप्त हो रही है, सिन्धी साहित्य पढना व लिखना तो आैर बात है ,पर अभी तो भाषा जिसको मां कहा जाता है उसी पर संकट आ गया हैं। आज चेटीचण्ड के पर पुंजीवाद का प्रभाव भी दिखा बडे लोग नदारद थें। अपनी समाज के लोगो के बीच आने में शर्म आती हो गी शायद। ये वे ही लोग है जो हिन्दुस्तान के सारे त्यौहार जोर शोर से मचाते है पर आज उन्ही के पर्व पर नदारद थें।
आज ऐसे कई धर्म और समाज आपने अस्तित्व को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे है किन्तु गांधी एंड सन्स व दुसरी पार्टीयो को इनकी ओर कोई खबर नही है। ऐसा नही है कि इनकी खबर इनको नही है चूकिं यह एक सशक्त वोट बैक नही है इस लिये इनकी ओर ध्यान देना अपने चुनावी समय को खराब करना है।
राजनीति अपनी जगह पर है, किन्तु देश का यह सबसे सभ्य समाज कभी भी अपनी उपेक्षा और मतृभूमि के अपमान के लिये कांग्रेस और कांग्रेसी परिवार को माफ नही करेगा।हाल मे चुनावी दौरें मे काग्रेंसी स्टार प्रचारक राहुल गान्धी ने कहा था कि पाकिस्तान बटवाने मे उनके परिवार का हाथ है और उसका सम्पूर्ण श्रेय मेरी दादी इन्दिरा गांधी को जाता है। क्या राहुल गांधी भारत विभाजन का भी श्रेय लेने की हिम्मत रखते है ?
दीपक पारीक, शाहपुरा के अधिवक्ता है तथा अभिभाषक संस्था के प्रवक्ता है। अच्छे चिंतक व लेखक पारीक इन दिनों सोशल मिडिया पर खुब छाये हुए है प्रतिदिन वो सम सामयिक मुदृदों पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए विख्यात हो चुके है।
साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि आपने मेरे जैसे छोटी सी बात कहने वाले को अपने यहां जगह दी।9799633199