कहां है महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के वादे?

-बाबूलाल नागा- मुख्यमंत्री के गृह जिले झालावाड़ में 14 साल की एक किशोरी से गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी गई। अजमेर में जियारत करने पहंुची किन्नर थाने के लॉकअप में ही पुलिसकर्मियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की शिकार बनती हैं। सीकर में एक गर्भवती महिला को पुलिस वालों ने जमकर मारा जिसमें महिला का गर्भपात हो गया। भीलवाड़ा में एक महिला का मुंह काला करके चप्पल जूतों की माला पहनाकर घुमाया गया। सीकर में 11 साल की ज्यादती पीड़िता को परिजनों सहित रात दो बजे सीकर की सड़कों पर ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया गया। जयपुर में 16 वर्षीय स्कूल छात्रा ने अपने साथ हुए दुष्कर्म की घटना के बाद अवसाद में आकर खुद पर केरोसीन डाल लिया और आग लगा ली। वह न्याय के इंतजार में बीस दिन तक मौत से जूझने के बाद चल बसी। राजस्थान में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं इसका अंदाजा हाल में प्रदेश में घटी दुष्कर्म की कुछ इन घटनाओं से हो जाता है। प्रदेश में पिछले 6 महीनों में 2 हजार के करीब दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं। प्रदेश में दुष्कर्म की हो रही निरंतर घटनाएं ‘अच्छे दिन’ की आशाओं पर तुषारापात हैं। आखिर कहां है प्रदेश की महिला मुख्यमंत्री और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान में किए गए उनके वादे?

बाबूलाल नागा
बाबूलाल नागा

प्रदेश में आधी आबादी सुरक्षित नहीं है। सरकार की ओर से महिला सुरक्षा को लेकर किए गए दावे खोखले साबित हो रहे हैं। चुनाव से पहले महिला सुरक्षा और सम्मान पर बड़े-बड़े भाषण देने वालों के राज में महिलाओं की सरेआम इज्जत लूटी जा रही है। प्रदेश में मासूम लड़कियों की हिफाजत के लिए सरकार कोई कठोर कदम नहीं उठा रही है। प्रदेश में आए दिन बलात्कार, सामूहिक गैंगरेप कर हत्या जैसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार और पुलिस तंत्र तमाशबीन बनकर कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहे हैं। नतीजा यह कि प्रदेश में असामाजिक तत्व बच्चियों व महिलाओं के साथ दुष्कर्म तथा छेड़छाड़ जैसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं। हालात यह है कि पिछले एक साल में राजधानी में महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है। जयपुर पुलिस कमिश्नेट के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी 2014 से मई 2014 तक अलग-अलग थानों में छेड़छाड़ के 232 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2013 के शुरुआती पांच माह में इनकी संख्या 101 ही थी। इसके अलावा दुराचार के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014 में दुराचार के 93 मामले दर्ज हुए, जिनकी गत वर्ष संख्या 85 थी। प्रदेश में दुष्कर्म के आंकड़ों अनुसार राज्य में औसतन रोजाना 10 दुष्कर्म की वारदातें हो रही हैं। दिसंबर 2013 में वसंुधरा राजे के सत्ता में आने के बाद से अप्रैल 2014 तक ही 1484 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। आंकड़ों अनुसार बीते वर्ष विधानसभा चुनाव दिसंबर में प्रदेश में 289 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए। इसी तरह जनवरी 2014 माह में 302, फरवरी में 306, मार्च में 316 और अप्रैल में दुष्कर्म के 271 मामले दर्ज किए गए। बीते वर्ष इसी अवधि के दौरान 1162 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए। बीते वर्ष जनवरी में 247, फरवरी में 260, मार्च में 266 और अप्रैल में दुष्कर्म के 248 के मामले दर्ज किए गए। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में दुष्कर्म के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हर साल 200 मामले तो अकेले महिला आयोग के पास ही सुनवाई के लिए पहुंच रहे हैं। बीते दो साल में महिला आयोग के पास 390 मामले सुनवाई के लिए आए हैं। प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों का ग्राफ किस तेजी से बढ़ा है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि बीते साल में नए 6 हजार मामले राज्य पुलिस ने महिला अपराधों के दर्ज किए हैं। आंकड़ों अनुसार 12 हजार से अधिक मामलों में पुलिस ने चालान पेश किया है, जबकि 5,110 मामले पुलिस विभाग के पास और साढ़े तीन हजार मामले राज्य महिला आयोग के पास लंबित है।
प्रदेश में महिलाओं को न्याय दिलाने वाली व्यवस्था का कोई धणी धोरी नहीं है। महिला अपराधों के मामलों में राज्य सरकर के साथ-साथ पुलिस की कार्रवाई पर भी कई सवाल उठ रहे हैं। सीकर के दामिनी प्रकरण में राज्य सरकार ने असंवेदनशीलता दिखाई। इस प्रकरण में छह आरोपियों में से कुछ के ही खिलाफ चालान पेश किया गया है। इनमें से भी दो की जमानत आसानी से हो गई। झालावाड़ में गैंगरेप की शिकार हुई पीड़िता के पिता को सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ रही है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। महिला मुख्यमंत्री के राज में सवाईमाधोपुर के कंुडेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला के प्रसव का स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मोबाइल से वीडियो बना लिया जाता है और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ उन्हें निलंबित किया जाता है। अजमेर में पुलिस हिरासत में पुलिसकर्मियों द्वारा सामूहिक बलात्कार के इतने गंभीर आरोपों के बावजूद पुलिस द्वारा जांच में लापरवाही बरती है, उन्हें और बलात्कार के अभियुक्तों को बचाया जा रहा है। सरकार औपचारिता निभाने और पीड़ितों का मुंह बंद करने के लिए केवल मुआवजा दे रही है। हाल में केंद्र की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में अच्छे दिन लाने का वादा किया है। प्रदेश की मुखिया वसंुधरा राजे भी सुराज का सपना दिखा रही है। सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं के चलते आखिर अच्छे दिन कैसे आ पाएंगे। आखिर कैसे महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा। आए दिन महिला उत्पीड़न मामलों ने महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। शायद ही कोई ऐसा दिन जाता है, जब किसी महिला के साथ इस तरह की ज्यादती की खबर ना आती हो। मौजूदा हालातों को देखकर महिला सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। तभी महिलाओं के लिए अच्छे दिन आ पाएंगे और उनकी सुरक्षा और सम्मान में किए गए वादे साकार हो पाएंगे। (विविधा फीचर्स)

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