पदमेश गुप्त की रचनाओं का देवी नागरानी द्वारा अनुवाद

Padmesh Gupt
पदमेश गुप्त

मूल: पदमेश गुप्त
संपादक एवं प्रकाशक पत्रिका पुरवाई

1. बर्लिन दीवार
बर्लिन दीवार का वह टूटा हुआ पत्थर
कल मुझसे बोला,
मुझे इतनी घृणा से मत देखो
मेरे ज़ख्म
इतिहास के घाव के
मरहम हैं,
मैं तो तुम्हारी
हर धार
हर चुभन को
सहने को तैयार था
तुम मुझे
तराश कर
ईसा भी बना सकते थे !

2. बाढ़
बाढ़ आई
बह गए
उसमें गाँव के गाँव ।
तैरती रही लाशें
उनके बच्चों की ,
जो गए थे शहर
बांध बनाने

 

देवी नागरानी
देवी नागरानी

सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
1. बर्लिन दीवार
बर्लिन दीवार जे उन टुटल पत्थर
कल मुखे चयो,
मुखे एतरी नफ़रत साँ न डिसु
मुहिंजा ज़ख्म
इतिहास जे घाव जा
मरहम आहिन,
माँ त तुहिंजी
तिखी धार
हर चुभन खे
सहण लाइ तियारु होसु
तूँ मूंखे
तराशे करे
ईसा बि ठाहे सघीं हा !

2. बोडि
बोडि आई
वही व्या
उन्हीं में गोठन जा गोठ
तरंदियूँ रहयूँ लाशूँ
उन्हन जे बारन जूं,
जे वया हुया शहर में
बंद बधण !
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