देश की राजनीति में अरविंद केजरीवाल जैसे नेता की भी जरुरत है। यह बात अलग है कि अभी भी केजरीवाल को राजनीति के दांवपेंच सीखने की जरुरत है। केजरीवाल लगातार दिल्ली में भाजपा की सरकार का विरोध कर रहे हंै। 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में एलजी के हलफनामे के बाद भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता मिल जाएगा, लेकिन यदि भाजपा अपनी सरकार बनाने से पीछे हटी तो इसका कारण भी केजरीवाल ही होंगे। केजरीवाल को लगता है कि दिल्ली में दोबारा से चुनाव होते हैं तो आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल जाएगा। केजरीवाल का यह अनुमान कितना सही निकलता है, यह तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा, क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसेना अपना हाल देख चुकी है। अच्छा हो कि दिल्ली में भाजपा की सरकार में केजरीवाल प्रतिपक्ष के नेता बने और फिर भाजपा को सबक सिखाएं। विपक्ष में रह कर भी केजरीवाल दिल्ली के लोगों की सेवा कर सकते हंै। वर्तमान में दिल्ली विधानसभा में आप पार्टी की स्थिति अच्छी है। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 29 तथा आप के 27 सदस्य हैं। यदि अविश्वास मत के समय आप के दो-चार विधायक बागी भी हो जाएं तो केजरीवाल के प्रतिपक्ष के नेता के पद को कोई खतरा नहीं है। भाजपा को भी केजरीवाल की ताकत का डर बना रहना चाहिए। ऐसा नहीं हो कि शिवसेना की तरह डर निकल जाए।
– एस.पी.मित्तल
लेखक अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार हैं