सपा सांसद सलीम ने गरीबों के हक में बुलंद की अपनी आवाज़

चौधरी मुनव्वर सलीम
चौधरी मुनव्वर सलीम

अवामी दर्द,कर्ब और अहसास की तर्जुमानी करने वाले सपा सांसद चौ.मुनव्वर सलीम ने एक बार फिर मुल्क के गरीबों,बेसहारों और समाज के उपेक्षित वर्ग के लोगों के लिए राज्या सभा में अपनी आवाज़ को बुलंद किया है ! बीते दिनों सलीम ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं में हो रही असमानता को दूर करने की न सिर्फ मांग कि बल्की सलीम ने सरकार को वोह उपाय भी बताये जिनसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढती इस असमानता की खाई को पाटा जा सके !
सलीम ने संसद में देश की बिगडती स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ और शिक्षा किसी भी देश की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था होती है ,सलीम ने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय नियम के तहत एक हजार नागरिकों पर एक डॉक्टर होना चाहिए और अगर भारतीय स्वास्थ्य समीक्षकों की भी मान ली जाये तो भी तीन लाख डॉक्टरों की आवयश्कता वर्तमान स्वास्थ्य नीती के तहत बताई जाती है ! सलीम ने संसद में गरीबों की आवाज़ बन कर कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की असमानता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ तो मेमसाब के कुत्ते को आधी रात को डॉक्टर मोहैय्या है और दौलतमंदों के इलाज के लिए जो अस्पताल हैं वह किसी ५ सितारा होटल से कम नहीं है ! और इस तरह के अस्पतालों से देश भरा पड़ा है जहाँ दौलत सर चढ़ कर बोलती है और दूसरी तरफ इसी हिन्दुस्तान में देश की एक बड़ी आबादी वोह भी है जिसे उसकी जात या धर्म से नहीं पहचाना जाता बल्की उसकी आर्थिक बदहाली उसके मुरझाये हुए चेहरे और फटे हुए कपड़ों की शक्ल में गरीबी की पहचान बन कर मंजर-ए-आम पर आ कर खडी हो जाती है और उसी गरीब की बेटी प्रसव पीड़ा में करहाते हुए दम तोड़ देती है लेकिन उसे एक डॉक्टर तक मोहैय्या नहीं हो पाता सलीम ने करूणा भरे अंदाज़ में कहा कि मान्यवर अफ़सोस तो यह है कि इन गरीबों के लिए अव्वल तो अस्पताल होते ही नहीं है और जो अस्पताल होते है उनकी हालत इतनी खराब होती है जिन्हें देख कर दिली तकलीफ होती है ,वहां की गंदिगी देख कर लगता है कि मरीज़ जब यहाँ इलाज कराने आता होगा तो एक नई बीमारी अपने साथ ले जाता होगा !
सलीम ने अपनी बात को आगे उसी जुमले से जोड़ा जिस जुमले से उन्होंने अपनी तक़रीर की शुरुवात की थी ! यानी स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था किसी भी देश की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था होती है और इसका संगम होता है मेडिकल कालेज , मेडिकल कालेज ही एक ऐसी संस्था होती है जहाँ शिक्षा का और स्वाथ्य सेवा का चोली-दामन का साथ होता है ! सलीम ने इन्ही मेडिकल कालेजों में सुधार की बात करते हुए कहा कि मेडिकल शिक्षा में जिस प्रकार दौलतमंदों का दबदबा बड़ा है वोह चिंता का विषय है इन दौलतमंदों के मेडिकल शिक्षा में कब्ज़े के कारण अमीर का नालायक बेटा भी मेडिकल शिक्षा ग्रहण कर रहा है और गरीब का लायक बेटा आर्थिक बदहाली के कारण इस शिक्षा को ग्रहण नहीं कर पा रहा है ! यह मुल्क की सामजिक समरसता के लिए खतरनाक स्थिति है !
सलीम ने न सिर्फ सदन और सरकार को इस घातक समस्या से अवगत कराया बल्की एक ऐसा तार्किक उपाय भी सुझाया जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रही इस असमानता को दूर किया जा सके ! सलीम ने कहा कि सरकार आज ही यह एतिहासिक ऐलान करे कि अब मंत्रियों चाहे वोह केंद्र के हो या राज्य के,सांसदों,विधायकों,विधान परिषद् के सदस्यों और तमाम छोटे बड़े सरकारी अधिकारीयों का तथा उनके परिवार जनों का उपचार केवल सरकारी अस्पतालों में ही हो , सलीम ने कहा कि इस एक क्रांतिकारी कदम के पश्चात एक ऐसे समतामूलक समाज का निर्माण होगा जहाँ कलेक्टर को चपरासी के गरीब बेटे की पीड़ा का अहसास रहेगा !
अगर सलीम की इस एक मांग को मोदी सरकार ने स्वीकार कर यह ऐतिहासिक और क्रांतीकारी कदम उठा लिया तो तमाम सरकारी अस्पतालों की लचर और जर्जर हालत में अमूल-चूल परिवर्तन आ जाएगा चूंकी जब मंत्री जी का इलाज इन सरकारी अस्पतालों में होगा तो ज़ाहिर है कि वहां के डॉक्टर भी अपनी ड्यूटी इस डर से ईमानदारी से निभाएंगे की कहीं किसी समय कोई अतिविशिष्ट व्यक्ती यहाँ इलाज हेतू न पहुच जाये और अस्पताल प्रशासन भी अस्पताल की साफ़-सफाई में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा और जब सरकारी अस्पतालों का स्तर बढेगा तो फिर मजदूर के बेटे को भी वही इलाज मुहैया हो पायेगा जो अमीरों के बेटों को हासिल होता है ! वास्तव में यही समतामूलक समाज कहलायेगा !
सलीम ने अपनी बात को आगे बदाते हुए कहा कि मेरा अनुरोध है कि सरकारी मेडिकल कालेजों को सुविधा युक्त बनाते हुए उनमें एम.बी.बी.एस और मास्टर डिग्रियों की सीटें बडाई जायें ! चीन,अफ्रीका वगेराह से शिक्षा ग्रहण कर के आने वाले लगभग एक लाख एम.बी.बी.एस डॉक्टरों को सरल प्रक्रिया के ज़रिये इंट्रेंस टेस्ट दिलाकर सेवा का अवसर प्रदान किया जाये तथा इन डॉक्टरों को दो वर्ष तक देहात में रहकर सेवा करने का नियम बनाया जाये और देहात के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों को भी सुविधायुक्त बनाया जाये !
सपा सांसद चौधरी मुनव्वर सलीम के ज़रिये सदन में दिए गए इस भाषण की इन अंतिम पंक्तियों में भी समतामूलक समाज की जो विचारधारा है वोह उनके जुमलों से ब्यान हो रही है ! यानी सलीम देश के सरकारी मेडिकल कालेजों में यदी सीट बडाने की बात बोल रहे हैं तो इससे फायदा तो गरीब के मासूम को ही होगा और वह एक लाख डॉक्टर जो विदेश से एम.बी.बी.एस. की डिग्रियां लेकर आयें हैं लेकिन उन्हें सरकार डॉक्टर मानने को तैयार नहीं है ! वर्तमान भारत सरकार के प्रधानमंत्री के विदेशी प्रेम का तो यह आलम है कि राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने यह नारा सदन के भीतर दे दिया कि प्रधानमंत्री को सदन में आने का वीजा दिया जाये !तब सवाल यह पैदा होता है कि जब तकनीक के लिए हम चीन और जापान की तरफ अपनी सवाली नज़रे उठा कर देख रहे हैं तो फिर इन्हीं देशो से मानव शरीर को स्वस्थ करने की तकनीक सीख कर आने वाले छात्रों को डाक्टर क्यूँ नहीं मान रहे हैं ? और दूसरा बड़ा सवाल यही से यह उठता है कि क्या कभी वर्तमान और पिछली सरकारों ने इस बात पर आत्म मंथन करने की कोशिश की कि क्यूँ चिकत्सा शिक्षा हासिल करने के लिए मुल्क का नौजवान परदेस का रुख कर रहा है ? क्या हमारे पास चिकित्सा शिक्षा के अच्छे शिक्षक नहीं है ? या सलीम के द्वारा बताई गयी स्वास्थ एवं शिक्षा के क्षेत्र में बडती असमानता की खाई ने ही इन मासूम बच्चों को अपना देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया है चूंकी अगर चिकत्सा शिक्षा के इन छात्रों के इस विदेशी पलायन के कारणों को तलाशा जाएगा तो आर्थिक असमानता ही इसका मूल कारण निकलेगा ! चूंकी ऐसा कहा जाता है कि जिस एम.बी.बी.एस. की डिग्री को हासिल करने के लिए हिन्दुस्तान में जो रकम छात्रों को अदा करना पड़ती है उससे काफी कम खर्च में यह विदेशों में शिक्षा ग्रहण कर हासिल कर ली जाती है ! जिसमे विदेशों में रहने और आने-जाने का खर्च भी शामिल होता है !
सलीम के संसद में दिए गए इस दार्शनिक भाषण की अंतिम पंक्तियाँ उनके मन में बसे ग्रामीण भारत के दर्द का भरपूर दर्शन करातीं हैं ,चूंकी उन्होंने इन विदेशों से शिक्षा प्राप्त कर लौटे एक लाख डाक्टरों को दो साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं लेने की सरकार से मांग करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद स्वास्थ्य केन्द्रों को सुविधाजनक बनाये जाने की जो राय व्यक्त की है वोह यह बताती है कि चौधरी मुनव्वर सलीम बापू के द्वारा कहे गए उन जुमलो को सार्थक करना चाहते हैं जिसमे बापू ने कहा है कि “शहर बसायें है इंसान ने ,और गावों बसायें हैं भगवान ने” अगर भगवान के बसाये ग्रामों की हालत नहीं सुधरेगी तो देश कैसे सुधरेगा !
अब देखना यह है कि बापू के इस दर्शन को जो सलीम ने अपने शब्दों में ब्यान किया है इसका जवाब वो सरकार क्या देती है जिसके दौर-ए-हुकूमत में बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जन्म दिवस को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया हो ? और मोदी सरकार के रहते भजपा का एक लोकसभा सदस्य संसद परिसर में बापू के हत्यारे का महीमा मंडान करता हो ! कल तक गांधी वादी समाजवाद का नारा देकर सत्ता का सिंघासन हासिल करने वाले आज जब बापू के हत्यारे का महीमा मंडन कर रहे हैं तब वोह सलीम की दार्शनिक और गांधी वादी विचारधारा को क्या समझ पाएंगे यह अपने आप एक बड़ा और अहम सवाल है !
M. Aamir Ansari
+91-9013181979

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