इधर दावत, उधर आतंकी हमले का अलर्ट

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

पाकिस्तान दिवस पर प्रतिवर्ष 23 मार्च को पाकिस्तान में जश्न मनाया जाता है। यह जश्न भारत स्थित पाकिस्तान दूतावास में भी होता है। नई दिल्ली में पाक दूतावास के राजदूत अब्दुल बासित ने जो दावत का आयोजन किया इसमें कश्मीर के अलगाववादी नेता भी शामिल हुए। हुर्रियत के मीर वाइज उमर फारूख ने तो स्पष्ट कहा कि पाक दूतावास में आने पर भारत को कोई एतराज नहीं होना चाहिए। जब कश्मीर समस्या का हल राजनीतिक स्तर पर होना है तो फिर हमारी भूमिका महत्वपूर्ण है। हम चाहते है कि भारत और पाकिस्तान आपस में बहस कर कश्मीर को आजाद करवाने का प्रयास करें। एक ओर जहां कश्मीर को आजाद करवाने वाले अलगाववादी नेताओं ने देश की राजधानी में बैठकर दावत उड़ाई तो वहीं 23 मार्च को आई.बी. ने गृह मंत्रालय को सूचित किया है कि सीमा पार से कश्मीर के कठुआ और सांबा में आत्मघाती हमला हो सकता है। वहीं केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को अलगाववादियों की दावत में कोई दोष नजर नहीं आता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान दिवस पर दूतावास में पहले भी ऐसी दावतें होती रही है। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले जब पाक राजदूत ने अलगाववादियों को बुलाकर बात की थी, तब मुद्दा दूसरा था। सब जानते है कि तब विदेश मंत्रालय ने नाराजगी दिखाते हुए विदेश सचिव स्तर की निर्धारित वार्ता को खत्म कर दिया था। लेकिन अब राजनाथ सिंह को अलगाववादियों की दावत पर कोई दोष नजर नहीं आ रहा है। पाक दूतावास ने तो हाल ही में रिहा हुए अलगाववादी मसरत आलम को भी निमंत्रण भेजा था, लेकिन मसरत आलम इस दावत में शामिल नहीं हुए। इस बीच कांग्रेस के नेता पाक दूतावास की दावत का विरोध कर रहे हैं। यह बात अलग है कि कांग्रेस के शासन में भी अलगाववादियों की ऐसी दावतें होती रही है। तब भाजपा ने ऐसी दावतों का विरोध किया। लेकिन अब भाजपा को ऐसी दावतों में कोई दोष नजर नहीं आता और कांग्रेस विरोध कर रही है।
एक ओर कश्मीर मुद्दे पर भाजपा और पीएम नरेन्द्र मोदी ने नरम रूख अपना रखा है वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे संगठनों ने भाजपा सरकार के खिलाफ सख्त रूख अपनाया है। जयपुर में 21 व 22 मार्च को हुई बोर्ड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस तरह पीएम मोदी और भाजपा की नीतियों की आलोचना की गई, उससे प्रतीत होता है कि देश के हालात अच्छे नहीं है। लोकतंत्र में निर्वाचित सरकार का अपना महत्व होता है लेकिन यदि कोई संगठन निर्वाचित सरकार के मुखिया से बात करने से ही मना कर दे तो फिर लोकतंत्र को खतरा तो नजर आएगा ही। कोई भी बैठक में जिस प्रकार सूर्य नमस्कार को मुद्दा बनाया गया, उससे भी प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में विवाद और बढ़ेंगे। बोर्ड ने साफ कर दिया कि राजस्थान की सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थी सूर्य नमस्कार की प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे, क्योंकि सूर्य नमस्कार मुस्लिम धर्म के खिलाफ है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

error: Content is protected !!