भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर इतनी अफ़रा तफरी क्यों?

आदरणीय प्रधानमंत्रीजी,
dr. s g baheti 1आप सदैव यह कहते है कि आप देश के लिए जीते है देश के लिए सोचते है व देश के लिए काम करते है। गांधी लोहिया जयप्रकाश की आप बार बार दुहाई देते है। ऐसे में निश्चय ही प्रधानमन्त्री कार्यालय जनता के हक में ही काम कर रहा होगा व आपका नारा सबका साथ सबका विकास फैसले में निहित होता होगा।
जब ये सब बाते है तो कृपया यह बताने का कष्ट करें कि भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर इतनी अफ़रा तफरी क्यों? क्या आपने corprates को commit कर रखा या केवल जिद्द ?
सब का साथ सबका विकास में किसान गरीब और गाँव भी तो है फिर क्यों किसान की इच्छा के विरुद्द भूमि अधिग्रहण पर सरकार व आप आनादा है। जब आपके एक वरिष्ट मंत्री यह बयान दे कि हम कोई भी परिणाम भुगतने को तैय्यार है पर यह बिल आयेगा और राज्य सभा में पास करायेंगे। जब पूरा विपक्ष व जमीन मालिक किसान आपको पुरजोर शब्द में लोकसभा राज्यसभा व सडको पर अपनी बात कह चुका है फिर आपकी सरकार जनता की आवाज़ सुनने को तैय्यार क्यों नही। क्या लोक तंत्र में संसदीय व्यवस्था और जन आवाज़ की संख्या बल के आगे कोई अहमियत नही। मोदीजी याद रखना राज लोकलाज से चलता है डंडे से नही।जिस जनता ने आपको राज दिया है उसी जनता ने विपक्ष को संसद दिखाई है अत: विपक्ष की आवाज भी जनता की आवाज है।
देश का औद्योगिक विकास हो यह सब चाहते है पर फर्क यह है कि देश चाहता है उद्योग भी पनपे किसान भी पनपे। शहर भी विकसित हो तो गाँव भी विकसित हो। अमीर मक्खन रोटी खाए तो गरीब को कम से कम प्याज रोटी तो नसीब हो और शायद यही है सबका विकास कि गरीब आदमी इज्जत से भर पेट रोटी तो खा सके। यह बात इसलिए कहनी पड़ रही है कि जिस प्रकार आपने गाँव की रोजगार योजना नरेगा का संसद में मजाक उड़ाया उसने हर संवेदनशील व्यक्ति को आहत किया वो सोचने को मजबूर हुआ कि क्या गरीब को रोटी का भी हक नही? खैर बात लम्बी हो जायेगी इसलिए में मूल विषय पर आते हुए कहता हूँ कि भूमि अधिग्रहण बिल को सबके हित में बनाए किसान के हक़ में बनाए और किसान की सहमति के बाद ही उसकी भूमि का अधिग्रहण करे नही तो ऐसा नही हो की जनता को नमक सत्याग्रह की तर्ज पर हल सत्याग्रह करना पड़े। मोदीजी याद रखना चाहे आप चाँद पर पहुँच जाए चाहे उससे भी परे पर भारत की आत्मा भारत की पहचान भारत का वसुधैव कुटुम्बकम् तो गाँव में बसता है और किसान है तो गाँव है।
सादर,
डॉ श्रीगोपाल बाहेती
गौ कृषि आदि रक्षिणी सभा
अजमेर

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