सोशल मीडिया में भूले मानवता..

arvind apoorva
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स्मार्ट फोन के चस्के ने संयुक्त परिवारों में एकाकीपन ला दिया है। लोग साथ बैठते जरूर हैं, लेकिन ध्यान मोबाइल की स्क्रीन पर ही रहता है। स्मार्ट फोन की लत और सोशल मीडिया का मकड़जाल,, इंसान पर इस कदर हावी हो गया है कि अब परिवार में नीरसता के साथ-साथ मानवीयता का भी ह्रास होने लगा है। ताजा उदाहरण शनिवार का ही है। अजमेर शहर से थोड़ा बाहर जायरीन परिवार की जीप ट्रेलर से भिड़ गई और परखचे उड़ गए। तीन मासूम बच्चों सहित 4 की मौत हो गई और वहां जमा करीब 200 लोगों की भीड़ ने मोबाइल पर फोटो क्लिक करने के सिवाय कुछ नहीं किया। उन्हें अस्पताल ले जाने की जरूरत थी लेकिन लोग हृदयहीन खड़े कराहते लोगों के वीडियो बनाने में व्यस्त थे। हद तो तब हो गई जब घायल मौके पर ही कराहते रहे और उनके फोटो और वीडियो सोशल मीडिया के जरिए पता नहीं कितने किलोमीटर दूर तक पहुंच गए। सलाम करता हूं नसीराबाद निवासी मणिकांत शर्मा को, जिन्होंने अपनी कार रोक कर घायलों को उसमें बिठाया और अस्पताल ले गए। शर्मा ने भी लोगों की मानवता को कोसा, कहा- वे लोगों को कार में बैठाने के लिए मदद की पुकार कर रहे थे, लेकिन लोग फोटो खींचने में लगे रहे। जय हो एेसी मानवता की, जो मदर्स डे पर अच्छे पुत्र, स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्त सहित हर मौके पर अपना किरदार तय कर लेते हैं, लेकिन ऐसे समय में पत्थरहीन बन जाते हैं।
Arvind apoorva
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