शोर है पर समाधान कहीं नहीं…

arvind apoorvaअजमेर में ऑन कॉल टेक्सी को लेकर ऑटो वालो की हड़ताल की निंदा सभी कर रहे हैं। कहना है की मनमानी रोकनी चाहिये।  पर क्या आम लोगों के ये विरोध क स्वर हाकिम तक पहुँचे हैं ? परिवहन विभाग और प्रशासन मिलकर इस दिशा काम करे तो हर कोई ख़ुश हो सकता है ।  कमी है तो सिर्फ इच्छा शक्ति की। ऑटो वालो का भी परिवार है, बच्चे हैं । ये तो बेचारे रोज़ कुआँ खोदकर पानी पीते हैं।  बजाय इन्हें नुकसान पहुँचाने के कोई ऐसा रास्ता निकाला  जाना चहिए जिससे किसी को नुकसान न हो।  ऑन काल टैक्सी पूंजीपति की उपज है। जिला प्रशासन को चाहिए की वो बड़े शहरों की तरह ऑटो में मीटर की अनिवार्यता कर दे ।  दर भी निर्धारित कर दे  ताकि इनकी मनमानी भी रुक सके और ये न बेरोजगार हों और न इनके परिवार भूखे मरे। ट्राफिक पुलिस इसकी ईमानदारी से मॉनीटरिंग करे । तो शायद विरोध  का ये शोर थम सकता है ।
-अरविंद अपूर्वा

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