डा ध्रुव तनवानी की सिंधी रचना का देवी नागरानी द्वारा हिंदी अनुवाद

मूल सिंधी: डा ध्रुव तनवानी
सिन्धी बोली
Dhruv Tanwaniबुधो हो द्वापर में,
कंस ऐं अश्वत्थामा हूंदा हुआ।
जेके पंहिंजन ई बारन जा
दुश्मन थी उन्हनखे मारींदा हुआ।
पर उहे त राकस ऐं मिरूं
इन्सान रूप में हुआ।
छा सिन्धियुन मथां
इहो इल्ज़ामु न लगंदो?
त मातृभाषा हूंदे
उनखे मारे जीअंदा हुआ?
पता : डा ध्रुव तनवानी ,2/75,मोराबदी रांची 834008)

हिन्दी अनुवाद: देवी नागरानी
सिन्धी भाषा
Devi nangraniसुना था द्वापुर में,
कंस और अश्वत्थामा हुआ करते थे
जो अपने ही बच्चों के
दुश्मन बनकर उन्हें मार देते थे
पर वे तो इन्सान के रूप में
राक्षस और हिंसक थे
क्या सिंधियों पर
यही इल्ज़ाम नहीं लगेगा?
कि मातृभाषा होते हुए
उसे मारकर जीते थे ?
पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358

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