प्राकृतिक आपदा और इंसानी हैवानियत

रेणु शर्मा
रेणु शर्मा

इंसान भी कितना स्वार्थी हैं अपने स्वार्थ के लिये कुछ भी कर सकता हैं यहंा तक की प्राकृतिक आपदा , किसानों की आत्महत्या या कोई एक्सिडेन्ट होने पर भी कुछ लोग गिद्व के जैसी नजर गडाये रहते हैं जैसे ही कोई घटना घटती हैं ये लोग अपना स्वार्थ साधने लगते हैं , राजनेता अपनी राजनीति करते हैं , साम्प्रदायिक ताकते अपना जहर उगलने लगती हैं , मीडिया अपने स्वार्थ के अनुसार उनका प्रचार-प्रसार करने लगती हैं और सामान्य जनता अपनी उम्र और दिमाग के अनुसार ये सारा घटनाक्रम देखती हैं और समझती हैं लेकिन वह कुछ भी नही कर सकती।
ऐसा ही मंजर कुछ दिनों पहले हमारे पडोसी मुल्क नेपाल में आये भूकंप के बाद देखने को मिला जहंा गरीब और बेसहारा लोगों की चिताओं पर कुछ लोग अपनी रोटिया सेकते नजर आये जो मानवता के दृष्टिकोण से अतिकष्ट दायक हैं। इस प्राकृतिक आपदा के बाद कई फर्जी एनजीओ , फर्जी पत्रकार और अवसरवादी लोग सक्रिय हो गये और अपना काम शुरू कर दिया। कुछ लोग नेपाल में भूंकप पीडितों की सहायता के नाम पर लोगों से चंदा वसूल रहे हैं तो कुछ नेपाल जाकर वहंा पडी लाशों से जेवर लूटने का काम कर रहे हैं तो कुछ मलबे को छान रहे हैं।
सामप्रदायिक ताकते भी बचाव अभियान के द्वारा अपने धर्म का प्रचार करती नजर आ रही हैं लोगों को बचाने के बदले में उनसे धर्म परिवर्तन करवाते हैं। ईसाई मिशनरीया लोगों की सहायता करने के बदले उनका धर्म परिवर्तन करवाने में लगी है तो पाकिस्तान से गाय के मंास का मसाला भेजा जा रहा हैं कि भूख से तडफ रहे लोगों को गाय का मंाय खिलाकर उनकर धर्म परिवर्तन करवा सके शर्म आती हैं ऐसे लोगों पर जो ऐसा करते हैं ।
धर्म विरोधी ताकने मिथ्या प्रचार कर रही हैं। इसी प्रकार एक समाचार पत्र नवभारत प्रेस में लिख गया कि आरएसएस के 20000 स्ंवय सेवक नेपाल कैसे गये? इस समाचार के पश्चात सामप्रदायिक ताकते अपने-अपने विचारों द्वारा आरएसएस के खिलाफ सोशलमीडिया पर आरएसएस के विरोध में प्रचार करने लगी। जबकी वास्तविकता यह है कि आरएसएस का कोई्र स्वंयसेवक वहंा नही गये बल्कि नेपाल में भी आरएसएस के कार्यकर्ता हैं जो वहंा सहायता कर रहे हैं। आरएसएस ने ट्विट किया था कि- नेपाल सरकार के साथ मिलकर एक योजना बनाने के बाद ही आरएसएस के स्वंय सेवक एचएसएस के साथ मिलकर काम करेगें।
कुछ लोगों द्वारा भूकंप को लेकर तरह-तरह की भविष्यवाणिया की जा रही हैं की आने वाले कुछ दिनों में भूकंप आने की संभावना हैं समझ में नहीं आता ऐसी भविष्यवाणिया कैसे की जा सकती है जब ऐसा कोई उपकरण ही नही है जो यह बता सके की कब और कहा भूंकप आने वाला हैं भूंकप से संबधित सिर्फ सीज्मोग्राफ नाम का उपकरण हैं जिससे भूकंप की तीव्रता नापी जाती हैं इसी प्रकार भूकंप से बचाव को लेकर लागों को भ्रामक जाल में फंसा कर पैसा लूटा जा रहा हैं।
प्रकृति का खेल भी अजीब हैं जिसे कोई भी नहीं समझ पाया एक ही पल में क्या होने वाला हैं कोई नहीं जान सकता नेपाल में 25 अप्रेल और 12 मई की सुबह किसी ने नहीं सोचा होगा की कुछ ही पल में सब कुछ तबाह हो जायेगा और कुछ ही पलों में वहंा लाशों का मंजर होगा। इस प्राकृतिक त्रासदी से अबतक करीब 5000 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 50000 से अधिक महिलाओं और बच्चों पर बुरा प्रभाव पडा हैं संयुक्त राष्ट्रसंघ के ताजा रिपोर्ट के अनुसार नेपाल की दस प्रकृतिक आपदा में 80000 के लगभग लोग प्रभावित हुए हैं।
नेपाल की इस आपदा की विश्व के देशों तक पहुंचने से पहले ही हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपातकालिन मीटिंग बुलाकर हमारी भारतीय सेना को भारी संख्या में बचाव दल देकर नेपाल जाने का आदेश दे दिया यहंा तक की नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला को भी नेपाल में भूंकप की सूचना मोदी के ट्विट से ही मिली थी।
रेणु शर्मा

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