श्रृंद्धांजलि

Ras Bihari Gaur (Coordinator)पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न अबुल कलाम जी का निधन…! एक दम स्तब्द्ध कर देने वाली खबर..!
अभी सप्ताह भर पहले ही उनके पीए श्री प्रसाद का मेल आया था कि वे अपने स्वास्थ्य के चलते “अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल” के लिए स्वीकृति नही दे पा रहे हैं, अगस्त के अंतिम सप्ताह में बत्ताएँगे। तब सचमुच कहाँ पता था कि वे हमे तब तक अंतिम के अर्थ ही बता पाएंगे।
जी, हाँ! इस वर्ष आयोजन के लिए उनके परम मित्र डा सालवान के माध्यम से फेस्टिवल को उनकी प्रतीक्षा थी ,लेकिन ये प्रतीक्षा सदा के लिए अनुत्तरित रह गई।
इन सब बातो को याद करते हुए मुझे यह भले ही व्यक्तिगत क्षति लग रही हो ,पर समग्र मायने में ये इन दिनों की सबसे बड़ी राष्ट्रीय क्षति है।
वे मिसाइल मेन थे,वैज्ञानिक थे,पूर्व राष्ट्रपति थे,वक्ता थे,लेखक थे,या वह सब जो कुछ वे थे, उससे ज्यादा वे समूचे हिन्दुस्तान में विश्वास का आखिरी शिलालेख थे जहां भारतीय होने के सही सही मूल्य अंकित थे। राजनीती के घटाटोप अंधेरो के बीच,मूल्य रहित समाज के पलायन बोध के मध्य और वैचारिक शून्य में विचरते राष्ट्रवाद के शोर में , वे एकमात्र शालीन आवाज थे , जो आज शांत हो गई।
यकींन मानिए वे लोग जो उनके जीवन मूल्यों को नकार कर सत्ता शिखर तक पहुंचे है ,आज आंसू की नदी बहाकर नया अवसर अभियान चलाएंगे।
कलाम साहब का जाना डा राजेन्द्र प्रसाद, राधाकृष्णन, वी वी गिरी,प जवाहर लाल नेहरू,लालबहादुर शास्त्री, फकरुद्दीन अली अहमद, नीलम संजीव रेड्डी की नस्ल के आख़री वट वृक्ष का गिर जाना जैसा है। तब लगता है थकान भरे समय की धुप में अब हमे सच्चाई की छाँव कहाँ मिलेगी।
एक बार पुनः अश्रुपूरित नमन
रास बिहारी गौड़

error: Content is protected !!