दलित होने के नाते अधिकारों का हनन, प्रताडना अथवा अन्य वांछित अधिकार ना मिलना वास्तव में पीडा़दायक भी होता है l
धर्म परिवर्तन करना एकअलग मसला है व कौन, कौनसेे धर्म में आस्था रखे ,ये हर मानव का मौलिक अधिकार है l
सालोदिया जी ने धर्म बदलने कि बात गलत समय पर कही,जिससे ज्यादातर दलित सहमत नही है व वह अपनी बात का वजन भी कम कर बैठे l
परन्तु यह भी सही है कि ज्यादातर दलित अधिकारी- कर्मचारीयों के साथ पदस्थापना व अन्य मामलों में पुरा न्याय नही होता l यह कटु सत्य है l
सेवा नियमों से बंधे होने व जांच में भैदभाव के चलते ,यह लोग ना चाहते हुए भी सहन करते रहते है l
यह अन्याय भाजपा राज में कुछ ज्यादा
ही बढा है, कुछ लोगों को उच्चतम पदों पर लगा देने से पुरा दलित वर्ग लाभान्वित नही हो जाता l
दलितों को पुरा सम्मान देना वह भी तब जब अब उनकी मेरिट लगभग बराबरी कि स्थिति में हो , एक सतत व निंरतर चलने वाली प्रक्रिया है l
वैसे भी ज्यादातर उच्च वर्ग दलितों को पुरा अपनापन दे रहा है ,पर यह प्रशासन में पदस्थापना के समय नही दिखता l
चाहे उमराव खान बनने से मामले कि धमक घट गई हो पर एक चिंगारी तो लगी है जो 2-3-4 साल में आग बनेगी l
यंहा सचिन जी पायलट की प्रतिक्रिया वजनदार कि अगर दलित होने के नाते अनदेखी हुई है तो गलत है l
प्रताप यादव
वरिष्ठ कांग्रेस नेता
अजमेर