केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बयान का स्वागत

आशा है की कानून मंत्रालय व स्वास्थ्य मंत्रालय गौर फरमाएंगे।

dr. ashok mittal
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केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री श्रीमति मेनका गांधी का ये बयान की “भ्रूण के लिंग का परिक्षण बेन के बजाय अनिवार्य हो जिससे की जन्म के दौरान व जन्म पश्चात उसकी ट्रेकिंग हो सके” इस विचार धारा को सोशल मीडिया पर मेडिकल समुदाय द्वारा काफी अरसे से अपील, लेख, आदि लगातार आ रहे हैं। लिंग परिक्षण से जुड़े PCP&DT कानून में व्याप्त कमियों का खामियाजा उन मरीजों को ही सबसे अधिक उठाना पड़ रहा है जिन्हें छोटी मोटी बीमारियों के निदान हेतु सोनोग्राफी करानी होती है। दुनियाभर की कागज़ी कार्यवाही, आई ड़ी प्रूफ, तरह तरह के फॉर्म भरने का पचड़ा और उसके बाद बात-बात में डॉक्टरों के विरुद्ध दर्ज होते कोर्ट केस, फॉर्म में मामूली सी कमी पर भी मशीन का सीज़ कर देना व क्लिनिक के ताला बंदी कर देना, जैसी बीमारियों के चलते चिकित्सा समुदाय के लिए भी डायग्नोस्टिक लेब चलाना एक सर दर्द से कम नहीं है।
पिछले माह मुम्बई में व उससे पूर्व सम्पूर्ण पुणे जिले के सोनोग्राफी सेण्टर इन खामियों के विरोध में दो-दो, तीन तीन की हड़ताल पर रह कर धरने व मौन प्रदर्शन भी कर चुके है। यही नहीं दिल्ली सहित अन्य राज्यों से भी इस कानून में संशोधन करने वास्ते तीखे स्वर उभर रहे है। ऐसे में एक केंद्रीय मंत्री का बयान मरीजों व कन्या भ्रूण के हित में आशा की नयी किरण ले कर आया है।
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal. blogger

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