अजमेर की गन्दगी कौन साफ़ करेगा?

ashok mittalअजमेर के मन में सब से बड़ी चिंता आज यदि कोई है तो वो है सफाई! बात ये है की सफाई होगी कैसे? बड़ा सवाल -जिम्मेदारी किसकी है । नगर निगम की? साधनो, कर्मचारियों और इच्छा शक्ति की कमी, इन सबपे  भ्र्ष्टाचार के चलते कोई उम्मीद रखना ही बेकार है।  हाँ अजमेर की जनता यदि चाहे तो हो सकता है। जन भागेदारी से क्या नहीं हो सकता? बनाररस हिन्दू विश्व विध्यालय भी तो जनभागीदारी से ही बना था।  मालवीया जी ने अग्रणी भूमिका निभाई थी।

अजमेर की सफाई भी पब्लिक के सक्रीय योगदान से ही संभव है।  युवाओं से लेकर बुजुर्गों और गृहणियों से लेकर कामकाजी महिलाएं सभी इस नेक कार्य में जुटने को तैयार हैं। जरुरत सिर्फ इन सबको एक जुट करने की है।
डा. अशोक मित्तल

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