गोवर्धन यादव की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

G.Yadavमूल: गोवर्धन यादव
नदी
नदी क्या सूखी
सूख गए झरने
सूखने लगे झाड़-झंखाड़
उजाड़ हो गए पहाड़
बेमौत मरने लगे जलचर
पंछियों ने छॊड़ दिए बसेरे
क्या कोई इस तरह
अपनों को छॊड़ जाता है?.
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Devi N 1सिन्धी अनुवाद : देवी नागरानी
नदी
नदी छा सुकी
सुकी विया झरना
सुकण लगा झंग-ढंगर
उजड़ी विया पहाड़
बेमौत मरण लगा जलचर
पखियुन छडे डिना आशियाना
छा को हिन तरह
पंहिंजन खे छडे वेंदो आहे?.

पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358

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