शील निगम की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

Sheel Nigamमूल: शील निगम
ये आँसू !
ये आँसू
पारदर्शी मोती !
सतरंगी किरणों से चमक उठते हैं,
जब खुशगवार होता है मन,
मन का ही तो दर्पण हैं ये आँसू।
झूम-झूम जाता है मन,
झर-झर बहते ख़ुशी के आँसू.
यादों के झरोखे से उठती हैं…
मिलन की साँसे …
झूम-झूम जाता है मन,
झर-झर बहते ख़ुशी के आँसू
भीग जाता है दामन।
यही आँसू जब बिखरते हैं
यादों में विरह की पीड़ा लिए हुए
टूट-टूट जाता है मन,
झर-झर बहते खून के आँसू
भीग जाता है दामन।
काश! ये आँसू भी अपना रंग छोड़ सकते
रंगीन हो जाता दामन…
विरह और मिलन के रंगों से …

बी-४०१/४०२, मधुबन अपार्टमेन्ट, फिशरीस युनीवर्सिटी रोड, गुलशन कालोनी के पास,
अंधेरी (वेस्ट), मुम्बई ६१.

Devi N 1सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
ही लुडुक !
ही लुडुक
पारदर्शी मोती !
सतरंगी किरणुन सां चमकी पवन्दा आहिन ,
जडहिं खुशगवार हूंदों आहे मनु ,
मन जो ई त आईनो आहिन ही लुढुक
बाग बहार थी वेंदों आहे मनु ,
झर-झर वहन खुशीअ जा गोढ़ा .
याद जे झरोखन मां उथन था…
मिलण जा साह …
बाग बहार थी वेंदों आहे मनु ,
झर-झर वहन खुशीअ जा गोढ़ा
पुसी वञे थो दामन।
इहेई लुडुक जडहिं पखिरिजंदा आहिन
यादियुन में विरह जी पीड़ा खणी
टुटी पवंदों आहे मनु
झर-झर वहन खुशीअ जा गोढ़ा
पुसी वञे थो दामन।
काश! ही लुढुक बि पाहिंजो रंगु छडे सघन
रंगीन थी वञे हा दामन…
विरह ऐं मिलन के रंगन सां …

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