सावन

रश्मि जैन
रश्मि जैन
लगी आज सावन
की फिर से झड़ी है
पर ये तो बनी मेरी
दुश्मन बड़ी है
पिया का ना साथ हो
तो आग लगे इस
सावन को
तरस गए जब नयन मोरे
पिय की छबि को
ना जाने तुम
कब आओगे बिता जाये
सावन रे
ना जाने तुम कब आओगे
यहां मै कर रही
इंतज़ार तुम्हारा और
तुम हो के मुझे अकेला
छोड़कर हमेशा की तरह
चले गए
विरहाग्नि में
जलने के लिए
चाहे कितनी फुहारे पड़े
पर नही बुझा सकती
मेरे मन की प्यास
मेरे मन में उमड़ते घुमड़ते
मेघो की गड़गड़ाहट
नही सुन रहे क्या
नही देख सके
मेरे नयनो से हो रही
बरसात को
विरहाग्नि में जलते
जज्बातों को
धीमी धीमी पड़ती फुहारे
कुछ पलों के लिए
शायद आनंदित तो करदें
पर विरहाग्नि को
और ज्वलित कर जाती हैँ
और तुम्हरी यादें
फिर से मुझे घेर लेती हैँ
सावन का महीना और
पिया की जुदाई
कैसे हो मिलन
किये सारे जतन
दिल में बादल है छाए
तेरी यादों के जब भी
नयनो ने भी बड़े जोर
से बरसात की है
बस अब और नही
बस और नही
आ भी जाओ साजना
सावन बीता जाय…

*निमंत्रण*
*******
खिड़की के बाहर
झमाझम बारिश हो रही थी
जो मन के साथ साथ निमंत्रण दे रही थी धरती के समान तपते हुए तन को
सूरज का ताप जला रहा था धरा को और मै जल रही थी विरहाग्नि में
मेरा मन आज बारिश में भीगने को करने लगा..
और मै जा बैठी खिड़की में
देखने लगी सावन की प्रथम झड़ी को
तेज़ हवा के साथ कोई कोई फुहार
मुझ तक पहुँच रही थी
लेकिन मन बहुत अधीर हो रहा था
बारिश में सरोबार होने के लिए
चुप चाप जा पहुंची मै छत पर
ना जाने क्यूँ आज मेरा मन
बारिश में नृत्य करने को अधीर हो रहा था
लोकलाज की बेड़िया जो डली हुई थी पांवो में,
एक झटके में उनको अलग कर दिया खुद से
एक सरसरी नज़र दौड़ाई चारों ओर
किसी को न पाकर पांव और दिल दोनों मचल उठे
आज बरसो से दबी हुई कसक पूरी करने को मचल उठा मन मयूर मेरा
फिर तो जाने कितनी देर तक तन बदन बारिश में सरोबार नृत्य करते रहे
दूर से कोई मुझे टकटकी लगाये देख रहा होगा मैंने सोचा भी न था
न जाने कितनी देर तक यूँही बारिश में भीगते हुए नाचती रही अस्त व्यस्त सी
कोई होश न रहा तन मन दोनों आज बारिश में अपनी प्यास बुझाने को आतुर थे
बारिश की ठंढी फुहारे तन को जो शीतलता प्रदान कर रही थी
वो मन को असीम सुख भी पहुचा रही थी
निगाहों ने अचानक उसे देख ही लिया मानो कदम वहीँ जड़ हो गए
न जाने कब से वो निहार रहा था मुझे
मेरे लिए वहा रुकना मुश्किल था अब
कदम सीढ़ियों की ओर बढ़ चले
दूर से आती हुई उसकी आवाज सुनकर मेरा दिल भी मानो कह रहा हो
“सुनो”
‘रुक भी जाओ न’
‘मेरे लिए…
रश्मि डी जैन*
नयी दिल्ली

error: Content is protected !!