यंग सोल्ज़र इज़ दॅ फ़ादर ऑफ ओल्ड कर्नल!

tribhuvan
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एक ख़ास मानसिकता के कुछ लोग बार-बार फ़ोन कर रहे थे कि आप उदयपुर में हार्दिक पटेल की ख़बरें क्यों छाप रहे हो? कल सुबह मुझे किसी ने बहुत बदतमीजी भरे शब्दों में उकसाया कि आप ख़ु़द हार्दिक पटेल से क्यों नहीं मिल लेते? आप जान जाएंगे कि उसके बारे में छापना कितना अप्रासंगिक है आैर वह खु़द निहायत बच्चा है आैर मीडिया ने उसे नाहक इतना प्रचार दे रखा है।
मुझे बात जची और मैं हार्दिक पटेल से मिलने चला गया। मैं यह देखकर अवाक़ रह गया कि वह ठीक मेरे छाेटे बेटे की उम्र का है और बातें करता है मेरे दादा-नाना के उम्र वाले परिपक्व लोगों जैसी। इस छोटी उम्र में कोई इतनी गहरी बातें करे तो यह भरोसा हो जाता है कि भारतीय युवा में कितना दमख़म है। वह जिस जगह रुका हुआ है, वही उसका निर्वासन शिविर है और उसके चारों तरफ़ सुरक्षा एजेंसियों के तंबू तने हुए हैं। हार्दिक पटेल जिस घर में रह रहा है, वह भी अंदर से किसी किले की तरह नज़र आता है। जैसे वहां कोई बहुत बड़ा विद्रोही लंगर लगाकर बैठो हो!
हार्दिक ने आंखें खोलने वाली बातें कीं और लाजवाब तर्क दिए। बोले : कुछ लोगों ने गुजरात में 1992 में सुनियोजित दंगे कराए। भाई के खिलाफ भाई को भड़काया। भोले लोग भड़क गए। भाइयों ने भाइयों का संहार कर डाला। बुद्धि जब भ्रष्ट होती है तो ऐसा हो जाता है। आज भाइयों की हत्या के दोष में 100 से ज्यादा पटेल आजीवन कारावास काट रहे हैं और दंगे करवाने वाले सत्ता सुख भोग रहे हैं। मैंने प्रश्न किया तो हार्दिक पटेल ने जानेमाने पत्रकार आकार पटेल का टाइम्स ऑव इंडिया में छपा एक लेख मेरे सामने रखा और उसके तथ्यों की अपने ढंग से व्याख्या शुरू कर दी।
एक सजग और तेजस्वी पत्रकार के रूप में आकार पटेल ने अपने शानदार लेख में बताया था कि गुजरात के पटेल बीजेपी को छोड़कर कहां जाएंगे? उनके पास भाजपा के अलावा कोई रास्ता ही नहीं है। लेकिन अहमदाबाद की सड़कों पर 18 लोगों को उतार लाने वाला यह साहसी कार्यकर्ता मुझे आकार पटेल की सोच को क्रॉस करता हुआ कह रहा था कि गुजरात में सतह पर भले कुछ भी दिखाई दे, लेकिन भीतर ही भीतर वहां बहुत कुछ खदबदा रहा है।
हार्दिक ने आकार पटेल के लेख के तथ्यों से एक नई सोच को आकार दिया और बोला : दंगों के मामलों में चार दिन पहले जिन 11 लोगों को उम्रकैद हुई है, वे सभी पटेल हैं। गत 9 अप्रैल को हुए हाईकोर्ट ने जिन 21 लोगों को 23 मुस्लिमों की हत्या के आरोप में जेलों में भेजा है, वे सभी पटेल हैं। चार मई को ऐसे ही आरोपों में 30 पटेलों को आजीवन कारावास हुआ है। ये सभी 1992 के दंगों में हुए नरसंहार के जिम्मेदार ठहराए गए हैं और इन सभी को उम्रकैद हुई है। ये सभी भोलेभाले पटेल हैं और उनका कभी कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा। लेकिन उन्हें रातोरात धर्मांध लोगों ने वैचारिक रूप से विषाक्त कर दिया और नतीजा सामने है।
हार्दिक पटेल ने दुहराया : भोलेभाले लाेग आज जेलों में उम्रकैद काट रहे हैं और चालाक लोग मामला भड़काकर सत्ता का सुख भोग रहे हैं।
हार्दिक पटेल गुजराती पटेलों का नेता है। उसने 18 लाख लोग एकत्र किए, लेकिन किसी एक पटेल को मरने नहीं दिया। एक आंदोलन हमारे यहां गुर्जर नेता फौजी और बूढ़े कर्नल किरोड़ीसिंह बैसला ने किया था। बैसला के नेतृत्व वाले आंदोलन में सौ से ज़्यादा गुर्जर पुलिस की गोली से मारे गए थे। मैंने हार्दिक से पूछा : आपसे 25 हजार लोग मिल चुके। क्या बैसला मिलने नहीं आए? हार्दिक ने कहा : वे तो भाजपा के आदमी है। मैंने कहा : भाजपा तो उन्होंने छोड़ दी। हार्दिक ने कहा : आप बताइए, कोई चीज़ एक बार हलक से नीचे उतर जाए तो वह फिर उससे छूटती है क्या? मैंने बाहर निकलते ही कर्नल बैसला को फ़ान करके पूछा : हार्दिक से नहीं मिले क्या? वे बोले : मिल लेंगे, अभी क्या जल्दी है!
लेकिन हार्दिक पटेल से मिलकर निकलते ही मस्तिष्क में जो झनझनाहट शुरू हुई थी, वह देर रात तक रही। मेरे सामने बैसला की भी तसवीर है और हार्दिक की भी। ऐसे अंगरेज़ी वाली वही कहावत याद आती है : यंग सोल्ज़र इज़ दॅ फ़ादर ऑफ ओल्ड कर्नल!
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