मिलावट तो हर क्षेत्र मे हैं

ओम माथुर
ओम माथुर
बाबा रामदेव के उत्पादों के विज्ञापन देखकर लगता है हम लोग सालों से भगवान भरोसे जी रहे थे। आटा, तेल,बिस्कुट,साबुन,टूथपेस्ट, शहद, टमाटर साँस सहित खाने-पीने-नहाने-जीने के पँतजलि के अलावा दूसरी कम्पनियों के उत्पादों मे अप्रत्यक्ष रूप से मिलावट बताई जा रही है। यानि चँद साल पहले पँतजलि का सामान आने से पहले देश के लोग मिलावटी सामान ही इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन फिर भी हम स्वस्थ हैं। हो भी क्यों नहीं? जब राजनीति, धर्म,संबंधों, सँस्कृति,मर्यादाओँ,मूल्यों, पारिवारिक रिश्तों मे मिलावट और गिरावट ही हमें प्रभावित और परेशान नहीं करती, वहां खाने-पीने में मिलावट हमारा क्या बिगाड़ सकती हैं। अब तो किसी का पेट खराब होता है तो उस पर ताना कसा जाता है कि कुछ शुद्ध खाना खा लिया होगा या मिनरल वाटर पी लिया होगा। हमारे नेताओं का हाजमा इतनी मिलावटी चीजें खाने के बाद भी इतना दुरूस्त रहा कि वे बिना डकार लिए अरबों रूपए रिश्वत व कमीशन के डकार गए। स्वदेशी और आर्थिक आजादी का नारा बुलंद कर बाबा रामदेव ने ऐसे विज्ञापनों की झडी लगाकर बाजार मे सीधे आक्षेपों की लडाई जरूर शुरू कर दी है। लेकिन अभी मोदी सरकार मे उनके अच्छे दिन चल रहे हैं। पर हमारे देश मे सत्ता बदलने के साथ नेताओं के दिन ही नहीं फिरते, उनसे जुडे लोगों के दिन भी बदल जाते हैं। अब हरबल जीँस निकालने की तैयारी कर रहे बाबा से ज्यादा भला इसे और कौन समझता होगा।

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