तेरी कमीज मेरी कमीज से सफेद क्यों

ओम माथुर
ओम माथुर
बहुत कन्फयूजन है। कौन सच्चा है और कौन झूठा। ईमानदारी दाव पर है। नैतिकता पर सवाल उठ रहे है। भ्रष्टाचार को मिटाने का दावा करने वाले ही दूसरे पर भ्रष्टाचार का कीचड उछाल रहे हैं। तेरी कमीज मेरी कमीज से सफेद क्यों,इसलिए कालिख लगाने का कम्पीटशन चल रहा है। एक मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को मनोरोगी और कायर बता रहा है, तो प्रधानमंत्री की पसंदीदा और खुद विवादों मे रहने वाली मंत्री मुख्यमंत्री के लिए फरमाती हैं कि वह नीचता के स्तर पर आ गए हैं। यानि उन्हें नीच ही बता रही है। खुद को ईमानदारी की आखिरी विरासत मानने वाले सीएम अपने प्रधान सचिव पर सीबीआई छापे से बिलबिलाए हैं,तो प्रधानमंत्री का कुनबा अपने वित्तमंत्री पर भ्रष्टाचार के हमले से सुलग उठा हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं जान दे दूंगा, लेकिन भ्रष्टाचार बरदाशत नहीं है। वित्तमंत्री फरमाते हैं मेरी ईमानदारी पर आज तक किसी ने अंगुली नही उठाई है। दोनों के दल और सरकारें बाकी सारा काम छोड़ दो दिन से अपने अपने सच्चे होने के दावे कर रही हैं। उधर, मीडिया है, जो राग दरबारी के ऊंचे ऊंचे आलाप ले रहा है। जिस चैनल को जिससे अच्छा चारा मिलता है। वह उसी के पक्ष मे जुगाली कर रहा है। सीबीआई से ज्यादा सवाल एंकर उठा रहे हैं। आरोपों की जांच से पहले खुद ही दोषी कौन है, बता रहे हैं।
और इन सब के बीच बेचारी जनता है। सोच रही हैं क्या इसीलिए चुना था विधायकों और सांसदों को। ना विधानसभाएं चलने देते हैं न संसद। लेकिन बिना काम किए वेतन भत्ते पूरे डकारते हैं। संसद को मछली बाजार बनाकर भी शरमाते नहीं। मंहगाई ने जीना मुहाल कर दिया है। युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं। महिलाओं की अस्मत लुट रही है। भ्रष्टाचार पूरे उफान पर है। अकाल से कई राज्य त्रस्त हैं। लेकिन इसकी फिक्र कौन करें। फालतू बातों और अहम की लडाई मे उलझे नेता देश के बारे में कब सोचेंगे। तभी तो शुरू मे कहा कि बहुत कन्फयूजन है।
ओम माथुर,9351415379

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