कुछ समकालीन कविताएं

भंवर मेघवंशी
भंवर मेघवंशी
(1)

विचाराधीन या बेचारा अधीन ?
——–
इस बार भी हुआ
जेल ब्रेक / भागे कैदी
पर उन्हें महज
कैदी कहा गया.

दाढ़ी थी इनके भी,
उनसे थोड़ी लम्बी भी
मगर नहीं कहे गये,
इस बार ये आतंकी.

थोड़े सांस्कृतिक राष्ट्रवादी
टाईप के थे.
इसलिये पकड़
लिये गये जिन्दा
वर्ना मारे जाते
भोपालवालों की तरह.

वैसे तो
आतंक का कोई
धर्म नहीं होता.
धर्म का जरूर
आतंक हो सकता है.
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(2)

” एनकाउन्टर ”
………………….

जेल से उठाओ
भगाओ
और भून दो
फिर फैंक आओ
लो गया एनकाउन्टर !

कुछ सिरफिरे
कहेंगे इसको फेक
उठायेंगे सवाल

मांगेंगे तो
दे देना
प्लेटों के खंजर
और लकड़ी की चाबी
के सुबूत तमाम.
इस तरह
हो जायेगा
सारा काम
जय सिरी राम !!
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(3)

” नजीब ”
……………….

लोग भी कैसे है
अजीब अजीब.
चिल्लाते रहते है
बस नजीब नजीब .

मुल्क पर भयानक
संकट की घड़ी है.
और इनको
नजीब की
पड़ी है.

क्या हुआ
जो खो गया है.
क्या वह राष्ट्र से भी
बड़ा हो गया है ?
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(4)

” राष्ट्र आराधन ”

आओ करें हम
राष्ट्र आराधन
सुबह शाम में
पार्क पार्क में

निक्कर छोडकर
पैंट पहन कर
लट्ठ पकड़ कर
टोपी लगा कर
शाखा लगा कर
मार्च पास्ट कर
दंगा फैला कर
दलित दबाकर
मुस्लिम भगा कर

आओ करें हम
राष्ट्र आराधन
जम कर करें हम
राष्ट्र आराधन …!
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(5)

” कालेधन के खिलाफ ”

वे देशभक्त दल के
थोक के भाव नियुक्त
पदाधिकारी है.

नोटबंदी के तुरंत बाद
उन्होंने राष्ट्र हित में
प्रसारित किया एक संदेश
कि आधे आधे में
वो सारा काला
कर देंगे सफेद.

थोड़े दिन बाद
वे पुरानी करेंसी में
प्रोपर्टी सलटा रहे थे.

कल मिला उनका
एक सख्त संदेश
कि –
” मैं मोदी जी की मुहिम में साथ हूं
काल धन के सख्त खिलाफ हूं ”

मैने हैरत से पूछा
क्या है माजरा ?
बोले – अब काला धन
रह ही कहां गया है.
सब तो ठिकाने लग गया है.

इस तरह
मंजिल पर पहुंच गई
काले धन की
काली लड़ाई .
राम दुहाई
राम दुहाई !!

– भंवर मेघवंशी
( सामाजिक कार्यकर्ता,पत्रकार एवं लेखक. सम्पर्क सूत्र – [email protected]

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