दीपक लालवानी की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

दीपक लालवानी
दीपक लालवानी
मूल: दीपक लालवानी
मैं रूठा, तुम भी गर रूठे
पहल करके मनाएगा कौन ?
आज दरार जो, कल वो खाई
ऐसी ख़ला भर पाएगा कौन ?
मैं भी चुप गर तुम भी चुप हो
परत चुप्पी की छेदेगा कौन?
मैं दुखी और तुम भी बिछड़कर,
दिल को दिलासा देगा कौन ?
ना मैं राज़ी, ना तुम राज़ी,
माफ़ी का मूल्य सिखाएगा कौन ?
तुझमें मुझमें अहम् भरा जो
शिकस्त आखिर दिलाएगा कौन?
मूंद ली दोनों ने जो आँखें
मातम कहो मनाएगा कौन ?
डूबेगा दिल दर्द में ‘दीपक’ मंद चराग़ जलायेगा कौन ?
पता: ३, राधेश्याम अपार्टमेंट, पटिया, नरोदा, अहमदाबाद, ३८२३४०

देवी नागरानी
देवी नागरानी
सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
माँ रुठस ऐं तूँ बि रुठें जे वधी अगियाँ मञांईन्दो केरु?
अजु दरार जा, सुभाण खाई
अहड़ी ख़ला भराईन्दो केरु?
माँ बि चुप ऐं तूँ बि हुयें चुप
परत माठ जी भेदीन्दो केरु?
माँ दुखी ऐं तूँ बि त, विछिड़ी
दिल खे दिलासो डींन्दो केरु?
न माँ राज़ी, न तूं राज़ी
मुल्ह बख्शण जो समझाईन्दो केरु?
तोमें मूमें अहम् भरयल जो
शिकस्त आखिर डींन्दो केरु?
पूरी अख जे तो मूं गडु गडु मातम चऊ मनाईंन्दो केरु?
बुडंदी दर्द में दिल जे ‘दीपक’ मंद चराग़ जलाईंन्दो केरु?
पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५०

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