कविता अपने पास है, उनके पास कटार ।
जिसकी जैसी है प्रवृति, उसका वह हथियार ।।
उसका वह हथियार, शक्ति दोनों में होती ।
एक जगाती देश, दूसरी जीवन लेती ।।
कह नटवर कविराय, देश में सुख की सरिता ।
बढ़े ऐक्यता भाव, बनाएं ऐसी कविता ।।
– नटवर पारीक, डीडवाना