अखबार ओर TV का मोह हो रहा कम

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
किसी समय मे समाचारों के लिए केवल अखबारों ओर रेडियो पर निर्भरता हुवा करती थी, उसके बाद टेलीविजन आया जिनमे चित्रो ओर वीडियो के साथ समाचार आने लगे, वक्त के साथ साथ इसमे अब बदलाव आना शुरू हो गया है ।
जब से इंटरनेट क्रांति हुई है और इंटरनेट सुलभ ओर हाई स्पीड हुवा है तब से सूचना तंत्र में अप्रत्याशित बदलाव होने लगा है । उसमें जबरदस्त क्रांति आई है ।
भारत मे फिलहाल इंटरनेट की पहुच 40/45 प्रतिशत की आबादी तक ही है जबकि TV की पहुच 90 प्रतिशत आबादी तक है ।
सूचनाओं को आदान प्रदान करने के लिए अब अखबार ओर रेडियो और TV पर निर्भरता में कमी होने लगी है । इसका एक प्रमुख कारण है सोशियल मीडिया यह एक ऐसा नाम है इससे आज की युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है, सोशियल मीडिया के माध्यम से जहां पहले युवा केवल मनोरंजन, चेटिंग ओर जान पहचान के लिए इस्तेमाल करते थे लेकिन अब इसका सदुपयोग उनकी समझ मे आ गया है इसके माध्यम से आज व्यापार, शिक्षा, बातचीत, अपने अपने शौक , ओर नई नई जानकारियां एक दुसरो के शेयर करने लगे है चाहे वो देश ओर दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हो । सोशियल मीडिया के माध्यम से आपस मे संपर्क करने में कोई परेशानी नही होती और इसमें अब तो वॉइस कॉलिंग, वीडियो कॉलिंग, ग्रुप कॉलिंग , ओर ग्रुप वीडियो कॉलिंग, ग्रुप चैट आदि की सुविधाएं मिलने लगी है और भविष्य में इसमे ओर भी परिवर्तन होने की संभावना है ।
आज सोशियल मीडिया का सवसे ज्यादा उपयोग होने लगा है समाचारों में । एसोचेम के सर्वे के अनुसार देश मे 6.2 करोड़ अखबारों के प्रकाशन और टेलीविजन के 78 करोड़ दर्शको के बाद भी आज की युवा पीढ़ी समाचारों के लिए सोशियल मीडिया पर अधिक सक्रिय हो रही है । उनके पास अखबार पढ़ने और TV देखने के लिए वक्त नही है वो अपने जरूरत के सभी समाचारों के लिए अधिकतम सोशियल मीडिया पर सक्रिय ओर निर्भर है ओर इसे ही सबसे आसान और सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाला साधन मानते है । इसमें घटना की जानकारी कुछ ही पलों में उपलब्ध हो जाती है चाहे वो घटना दुनिया के किसी भी हिस्सेमें घटित हुई हो ।
लेकिन घटना की सूचना उपलव्ध होना अलग बात है उस घटना की प्रमाणिकता कितनी है उसके के लिए आज भी TV ओर अखबार को प्राथमिकता देती है ।
लेकिन अखबार ओर TV संचालकों ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने अपने सोशियल मीडिया डिपार्टमेंट को एक्टिव कर दिया है और वो भी अब समाचारों को शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए अपनी अपनी वेब साइट, फेश बुक अकाउंट, ट्विटर आदि आदि जैसे प्लेटफार्म पर सक्रिय हो गई है और दर्शको ओर पाठको की मांग के अनुसार उन्हें समाचार तुरंत उपलब्ध करा रही है जिसमे अब कई समाचार पत्रों अपना अपना TV बुलेटिन भी निकालने लगी है जिसमे खबरों को दिखाया जाता है । इस प्रकार सोशियल मीडिया के प्रभाव से निपटने के लिए सोशियल मीडिया का ही सहारा लेने में कोई संकोच नही हो रहा है ।
दिल्ली मुम्बई समेत 6 बड़े शहरों में हुए सर्वे के मुताविक 50 वर्ष की उम्र से अधिक पुरुष आज भी अखबार पढ़ते है ।
एक आश्चर्य जनक बात यह रही कि इतना सब कुछ होने के बाद भी अखबारों की बिक्री में किसी प्रकार की कोई कमी नही आई है लेकिन एक बात आवश्य है कि अखबार पढ़ने के लिए लोग पहले के मुकाबले कम समय खर्च करते है ।
ऐशोचेम के महासचिव D S RAVAT ने अफसोस जताया कि सोशियल मीडिया में फर्जी ओर फ़ालतू खबरों की भरमार है जो कि इसकी विश्वसनीयता को कम करती है ।
आज के इस क्रन्तिकारी परिवर्तन के दौर को स्वीकार करने वाला ही मुकाबले में टिक पायेगा नही तो वो एम्बेसेडर ओर hmt की तरह बीते जमाने की बाते ही जाएगी । आज सोशियल मीडिया की ताकत को पहचान कर उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर चलने की आवश्यकता है ना कि अपने आप मे हीन भावना पालने की ।
यह सब इंटरनेट क्रांति की बदौलत संभव हुवा है ।
हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर

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